अंतरास्ट्रीय महिला दिवस पर सामने आया भूमि पेडनेकर के मन की बात

भूमि पेडनेकर ने कहा है कि आज की दुनिया में एक महिला होने के नाते बहुत सारी जिम्मेदारी हैं.

Update: 2021-03-07 18:52 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भूमि पेडनेकर ने कहा है कि आज की दुनिया में एक महिला होने के नाते बहुत सारी जिम्मेदारी हैं. महिलाएं एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, लेकिन अब भी महिलाओं को वह समानता हासिल नहीं हो पाई है जिसकी वो हकदार हैं.

अंतराराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को दुनियाभर में सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन तमाम जगहों पर महिलाओं के हक, उनकी खुशी, सम्मान और सुरक्षा के बारे में बात करने के साथ ही इससे संबंधित कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. माज में महिलाओं की भूमिका की एहमियत को नमन करते हुए ये दिन उन्हें समर्पित किया गया है. ऐसे में महिलादिवस के मौके से ठीक पहले एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर ने दिल की बात कही है. भूमि पेडनेकर ने कहा है कि आज की दुनिया में एक महिला होने के नाते बहुत सारी जिम्मेदारी हैं. महिलाएं एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, लेकिन अब भी महिलाओं को वह समानता हासिल नहीं हो पाई है जिसकी वो हकदार हैं.
भूमि पेडनेकर वैसे तो सोशल मीडिया पर बहुत ही ज्यादा एक्टिव रहती हैं. कोई न कोई तस्वीर या वीडियो वो अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करती ही रहती हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी अगली फिल्म के को-स्टार राजकुमार राव के साथ एक तस्वीर इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की थी, जिसमें दोनों बिस्तर पर लेटे हुए नजर आ रहे थे, लेकिन अब भूमि को एक परेशानी ने घेर रखा है. आप भी इस परेशानी को खुद से रिलेट करेंगे क्योंकि ये तकरीबन-तकरीबन लोगों की परेशानी है. हम बात कर रहे हैं मुहासों की.भूमि ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपने चाहने वालों के सामने मुंहासों को लेकर चिंता जाहिर की है. इसे लेकर उन्होंने अपनी एक तस्वीर भी पोस्ट की है, जिसमें वो अपने गाल पर हुए पिंपल्स को दिखा रही हैं. मुंहासे को दिखाते हुए भूमि कहती हैं कि, 'ओह हेलो, तुम वापस मुझे परेशान करने के लिए आ गए.'एक्ट्रेस ने कहा है कि आज की पीढ़ी ने जिस तरह की आजादी और आजादी के लिए लड़ाई लड़ी है और हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यही करना है. इतना ही नहीं भूमि ने आगे कहा है कि महिला सशक्तिकरण का उपाय व्यक्तिपरक है. अगर मैं अपने बारे में बात करूं तो मैं खुद को सशक्त महसूस करती हूं क्योंकि मैं एक आजाद परिवार में पैदा हुई, जहां रोक टोक नहीं रही.
लेकिन जब मैंने दुनिया में कदम रखा था तभी से मुझे एहसास है कि मैं बहुत विशेषाधिकार प्राप्त हूं. ऐसी महिलाएं हैं, जिनके पास आज भी कोई बुनियादी ज़रूरतों और उनके अधिकार नहीं हैं, जैसे शिक्षा आदि. कुल मिलाकर, हम विपरीत लिंग के बराबर होने से अब भी बहुत दूर हैं.भूमि के अनुसार महिला दिवस का दिन एक विशेष दिन है, हर दिन महिला दिवस होना चाहिए. इसलिए, हर दिन, हमारे कार्यों और बातचीत के माध्यम से हमें एक समान दुनिया को सुनिश्चित करना चाहिए.



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