छह साल भूमि पेडनेकर ने किए ये काम, सुनाई ऑडीशन से लेकर रोल मिलने तक की पूरी कहानी

कम लोगों को ही पता होगा कि अभिनेत्री भूमि पेडनेकर हीरोइन बनने से पहले यशराज फिल्म्स के कास्टिंग डिवीजन का लंबे समय तक हिस्सा रही हैं।

Update: 2021-09-14 03:54 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कम लोगों को ही पता होगा कि अभिनेत्री भूमि पेडनेकर हीरोइन बनने से पहले यशराज फिल्म्स के कास्टिंग डिवीजन का लंबे समय तक हिस्सा रही हैं। दिलचस्प तथ्य ये भी है कि यही टीम फिल्म 'दम लगा के हईशा' की मुख्य नायिका संध्या के लिए संभावित अभिनेत्रियों का भी ऑडिशन कर रही थी। इस फिल्म में संध्या का किरदार उत्तर भारत की एक आत्मविश्वासी, अपने शरीर को लेकर सार्थक नजरिया रखने वाली अधिक वजन वाली लड़की का था। भूमि ने अब खुलासा किया है कि उनका चयन होने से पहले इस कास्टिंग टीम ने उनसे पहले करीब 250 लड़कियों का ऑडिशन लिया था।

भूमि का कहना है कि जब वह फिल्मों के लिए कास्टिंग किया करती थीं तब एक्टिंग करने की बात उनके दिमाग में कभी नहीं आती थी। वह बताती हैं, "ईमानदारी की बात तो यह है कि मैंने इस बारे में सोचा ही नहीं था। मैं अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित थी। मैं कास्टिंग करने में इस कदर खोई हुई थी कि मेरे मन में एक बार भी खयाल नहीं आया कि ये रोल मैं भी कर सकती हूं। ऑडिशन लेने के साथ-साथ मैं उन किरदारों को उसी वक्त निभाया भी करती थी। कभी मैं छह साल की बच्ची बन कर दिखाती थी तो कभी एक बूढ़ी औरत बन जाती थी।"

भूमि पेडनेकर के मुताबिक, "मेरे लिए यह सब भूमिकाओं की तैयारी कराने का मामला था, लेकिन सबसे अजीब वक्त तब आया जब मैं 'दम लगा के हईशा' के लिए लड़कियों का ऑडिशन करा रही थी। साथ ही साथ मेरा भी ऑडिशन हो रहा था तो मुझे एक बार लगा कि मैं कहीं इन लड़कियों के साथ किसी भी तरह का पक्षपात तो नहीं कर रही हूं। मुझे याद है कि मैं यशराज फिल्म्स की कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा के पास इस मसले को लेकर जाया करती थी। हमने इस किरदार के लिए 200-250 लड़कियों का ऑडिशन लिया था और मुझे भी यह किरदार इतना आसान नहीं लग रहा था।"

संध्या की भूमिका के लिए भूमिक को चुनने से पहले फिल्म के निर्देशक शरत कटारिया ने बहुत सोच-विचार किया। वह याद करती हैं, "मुझे वाकई अपनी काबिलियत साबित करनी पड़ी और निर्देशक शरत मुझ पर कुछ ज्यादा ही सख्त थे क्योंकि वह मुझे सिर्फ इसलिए नहीं चुन लेना चाहते थे कि मैं वाईआरएफ की कर्मचारी थी। वह किसी ऐसे कलाकार को लेना चाहते थे, जो स्क्रिप्ट की उस दुनिया से गहरा ताल्लुक रखता हो और सच पूछा जाए तो तब मैं उस दुनिया के आसपास भी नहीं थी।"

'दम लगाके हईशा' के बारे में चर्चा करते हुए भूमि बताती हैं, "मैं मुंबई में जन्मी और यहीं पली-बढ़ी। मुझे 90 के दशक की शुरुआत वाली एक महिला के किरदार में ढलना था। मेरी हिंदी शहरी लहजे की थी और मुझे वाकई खुद को साबित करना था। लगातार चार महीने तक चले सख्त ऑडिशन के बाद निर्देशक ने एक दिन मुझे सूचित किया कि आखिरकार यह भूमिका मुझे सौंपी जा रही है। अपनी पहली फिल्म हासिल करने के लिए मुझे कैमरे के पीछे छह साल से ज्यादा काम करना पड़ा।"

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