भारत भूषण हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता थे।
चलिए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारत भूषण हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता थे। उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी दमदार अदाकारी के दम पर अपनी खास पहचान बनाई थी। उनकी अदाकारी से लेकर उनके लुक्स की दुनिया दीवानी थी। खास कर 50 के दशक में उनकी डैशिंग और चार्मिंग पर्सनालिटी की लड़कियां दीवानी हुआ करती थीं। भले ही अभिनेता सिनेमा के शिखर पर बैठे रहे, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी संघर्षों का सामना किया। आज दिवंगत अभिनेता का जन्मदिवस के अवसर पर चलिए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें...
भारत भूषण का जन्म 14 जून 1920 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था। दो साल की उम्र में ही भारत की मां गुजर गई थीं। भारत के पिता एक पक्के आर्य समाजी थे। उन्हें बच्चों का फिल्मी देखना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। भारत में इंटरव्यू में बताया था कि बचपन में जब उनके पिता किसी काम के सिलसिले में बाहर गए थे तो वह अपने साथियों के साथ मिलकर फिल्म देखने चले गए थे। जब इस बारे में उनके पिता पता चला तो उन्होंने भारत की खूब पिटाई की थी।
अपने पिता की मार को वह सह नहीं पाए और उनसे अलग रहने लगे। अपने पिता से अलग रहते हुए ही भारत ने पढ़ाई पूरी की। इस दौरान उन्होंने शास्त्रीय संगीत भी सीखा। गायक बनने का सपना लेकर भारत भूषण मुंबई पहुंचे, लेकिन अभिनय के दम पर उनका सिक्का चमका। निर्देशक केदार शर्मा की 1941 में आई फिल्म 'चित्रलेखा' के जरिए अपने अभिनय करियर की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने छोटी भूमिका निभाई थी। इस दौरान उन्होंने कई फिल्में कीं, लेकिन उन्हें अभिनेता के तौर पर निर्देशक विजय भट्ट की क्लासिकल फिल्म 'बैजू बावरा' से पहचान मिली। इसके बाद लगातार वह कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए।
50 के दशक में जब हिंदी सिनेमा में राज कपूर, देवानंद और दिलीप कुमार का दौर था, तब भारत भूषण ने अपने लुक्स और बेहतरीन अदाकारी के दम पर अपनी एक अलग पहचान बनाई। भारत ने 'बैजू बावरा', 'आनंदमठ', 'मिर्जा गालिब' और 'मुड़ मुड़ के ना देख' जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया। भारत भूषण ने हिंदी सिनेमा तक का सफर करने के लिए अपने परिवार के खूब ताने सुने और मार भी खाई, लेकिन इसके बावजूद वह सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचे।