बेहतरीन फिल्म ‘ गंगुबई काठियावाड़ी ’का एक साल पूरा
ग्लोबल मैप पर भारतीय सिनेमा का नाम जिंदा रखा है। फिल्म ने संजय लीला भंसाली को देवदास के बाद बाफ्टा अवार्ड्स में उनका दूसरा नामांकन भी जीताया।
संजय लीला भंसाली का यह जन्मदिन वास्तव में उनके लिए बेहद खास रहा है, क्योंकि एक तरफ जहां उनके निर्देशन में बनने वाली पहली ओटीटी सीरीज हीरामंडी के फर्स्ट लुक ने हर तरफ सुर्खीयां बटोरी, वहीं उनकी एक और बेहतरीन फिल्म ‘ गंगुबई काठियावाड़ी ’ ने आज अपना एक साल पूरा कर लिया हैं। इस फिल्म को जहां अपने बारीक प्रदर्शनों के लिए खूब तरीफ मिली थी, वहीं आलिया भट्ट के परफॉर्मेंस को भी सराहा गया जिसका पूरा क्रेडिट मास्टर फिल्म मेकर संजय लीला भंसाली को जाता है, जो अपने एक्टर से हमेशा बेस्ट निकलवाले में सफल होते है। यहीं नही फिल्म ने सिनेमाघरों की खोई रौनक को वापस लौटाया और दर्शकों के एक शानदार विचुअस ट्रीट दी।
‘गंगुबाई काठियावाड़ी’ ने अपने थिएट्रिकल रन के दौरान इंडियन बॉक्स ऑफिस पर कुल 153.69 करोड़ का बिजनेस किया था, जबिक विश्व स्तर पर 209.77 करोड़ के साथ फिल्म ने बड़ी कमर्शियल सफलता दर्ज कराई थी - जिसने इस उपलब्धि को और भी ज्यादा खास इसलिए बना दिया क्योंकि फिल्म सभी बधाओं के सामने मजबूती की डठी रही। दरअसल फिल्म की रिलीज के दौरान कोविड महामारी के चलते बहुत कम ही दर्शक सिनेमाघरों में फिल्म देखने के इच्छुक थे और उस समय सिनेमाघरों में ऑक्यूपेंसी भी केवल 50% ही थी, साथ ही गंगुबई एक फिल्म स्टार की फिल्म थी, जो आमतौर पर मेल एक्टर्स की फिल्मों के मुकाबले कम ही बिजनेस करती है।
ये फिल्म काठियावाड की एक साधारण लड़की के उदय को दर्शाती, जिसके पास नियति के तरीकों को गले लगाने और उसे अपने पक्ष में करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। ये एक मॉडर्न-क्लासिक है, जो भंसाली के सिग्नेचर स्टाइल, कलात्मक फ्रेम और मूविंग स्टोरी टेलिंग का एक पर्फेक्ट उदाहरण पेश करती है। इस फिल्म ने केवल ग्लोबल ऑडियंस के दिलों को छूआं बल्कि कोविड जैसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान पहली सफल फिल्म के रूप में भी उभर कर सामने आई, साथ ही हिंदी सिनेमा में एक मशाल के रूप में संजय लीला भंसाली की स्थिति को भी मजबूत किया। इस फिल्म ने मुश्किल समय में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को उसके पैरों पर खड़ा करने में अपना पूरा योगदान दिया।
इस फिल्म का वैश्विक प्रभाव कुछ ऐसा था कि द गार्डियन ने कहा कि गंगुबाई काठियावाड़ी इस अवॉर्ड सीजन में संभावित अग्रणी फिल्मों में से एक थी और भारतीय सिनेमा के लिए इस तरह के एक्सपोज़र ने एक विशेष उल्लेख किया क्योंकि संजय भंसाली ने ग्लोबल मैप पर भारतीय सिनेमा का नाम जिंदा रखा है। फिल्म ने संजय लीला भंसाली को देवदास के बाद बाफ्टा अवार्ड्स में उनका दूसरा नामांकन भी जीताया।