Bell Bottom Review : अक्षय कुमार इस बार देश देशभक्त के किरदार में नज़र आयगे, रिव्यू में जानिए कैसी है 'बेल बॉटम'?

फिल्म बेल बॉटम की कहानी को आप सच्ची घटना

Update: 2021-08-18 17:31 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की फिल्म 'बेल बॉटम' (Bell Bottom) कल यानी 19 अगस्त को रिलीज हो रही है. अक्षय कुमार को देशभक्त के किरदार में देखने के लिए उनके फैंस हमेशा ही उत्साहित रहते हैं. यह फिल्म भी देशभक्ति की भावना जगाती है. इस फिल्म को रंजीत एम तिवारी द्वारा निर्देशित किया गया है. जैकी भगनानी और निखिल आडवाणी के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बनी इस फिल्म की कहानी 1984 के एक हाईजैकिंग की घटना पर सेट की गई है. फिल्म में अक्षय कुमार के अलावा आदिल हुसैन, हुमा कुरैशी, लारा दत्ता और वाणी कपूर जैसे कई सितारे शामिल हैं. कल सिनेमाघरों में ये फिल्म रिलीज हो रही है, लेकिन फिल्म देखने लायक है या नहीं, यह जानने के लिए पहले इसका यहां रिव्यू पढ़ लीजिए.

फिल्म बेल बॉटम की कहानी को आप सच्ची घटना पर आधारित नहीं कह सकते, लेकिन हां अगर इसे सच्ची घटना से प्रेरित कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा. फिल्म की कहानी शुरू होती है उन 210 यात्रियों की चीखों और दर्दनाक आवाज के साथ, जिनकी फ्लाइट को आतंकियों द्वारा हाईजैक कर लिया गया है. हाईजैकिंग के बाद इस भारतीय यात्री विमान को अमृतसर में उतारा जाता है.
हाईजैकिंग की खबर दिल्ली पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगती और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (लारा दत्ता) तुरंत उच्च अधिकारियों के साथ मीटिंग करके हालात का जायजा लेती हैं. इस बीच कुछ मंत्री उन्हें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से नेगोशिएट करने की सलाह देते हैं. वहीं, आदिल हुसैन जो फिल्म में एक बहुत ही दमदार भूमिका निभा रहे हैं. वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सलाह देते हैं कि वह अंशुल (अक्षय कुमार) से एक बार मुलाकात करें. अंशुल यानी अक्षय, जो फिल्म में एक रॉ एजेंट की भूमिका निभा रहे हैं.
यहां से होती है अक्षय कुमार की कहानी में एंट्री. अंशुल अपने फुल प्लान के साथ 210 यात्रियों को बचाने और फ्लाइट में मौजूद चार आतंकवादियों को पकड़ने की तैयारियों में जुट जाता है. इस प्लान को नाम दिया जाता है बेल बॉटम. बेल बॉटम के पैरेलल दो कहानियां और चलती है. एक वाणी और अक्षय की प्रेम कहानी और दूसरी अंशुल और उसकी मां के बीच के मजबूत और प्यारे से रिश्ते की कहानी.
फिलहाल, बेल बॉटम मिशन की बात करें तो क्या प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अंशुल के प्लान पर पूरा भरोसा है? अगर भरोसा है तो अंशुल इस प्लान को कैसे अंजाम देगा? यह सब आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चल पाएगा. फिल्म की कहानी का पूरा स्पॉइलर देकर हम आपकी फिल्म को लेकर बनी हुई उत्सुकता खत्म नहीं करेंगे.
अक्षय कुमार ने एक बार फिर से अपने देशभक्त रूप से आकर्षित किया है. अक्षय अपनी टॉप फॉर्म में दिखाई दिए हैं, लेकिन कई जगहों पर उनकी थोड़ी ओवरएक्टिंग भी नजर आई. हालांकि, एक रॉ एजेंट की भूमिका अक्षय ने काफी अच्छे तरीके से निभाई है. आदिल हुसैन और अक्षय कुमार की केमिस्ट्री लोगों को खूब भाने वाली है. दोनों के बीच के संवाद को दर्शक शायद जरूर एन्जॉय करें. वहीं, वाणी कपूर का फिल्म में बहुत ही प्यारा सा किरदार है, जो काफी प्रभावी भी है. वाणी कपूर ने फिल्म की कहानी को एक फाइनल ट्विस्ट दिया है, जो आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा. वाणी का भले ही स्क्रीन टाइम छोटा है, लेकिन उनके किरदार और एक्टिंग को आप बिना नोटिस किए नहीं छोड़ पाएंगे. वहीं, हुमा कुरैशी भी अपने शानदार किरदार में नजर आईं.
अब बात करते हुए इस किरदार की जिसने हर किसी को आचंभित किया है. यहां बात हो रही है लारा दत्ता की. सबसे पहले तो लारा दत्ता, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रूप में किसी को पहचान में ही नहीं आती है. लारा दत्ता ने इंदिरा गांधी के किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. उन्हें जो दायित्व दिया गया था, उन्होंने उसे पूरे तरीके से निभाया है. लारा दत्ता का बोलने का तरीका, चलने का तरीके, यानी हर चीज इंदिरा गांधी से काफी मिलता-जुलता सा लगा. एक बार तो आपको देखकर ये कतई नहीं लगेगा कि आप लारा दत्ता को देख रहे हैं. आपको लगेगा कि आप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ही असल में देख रहे हैं. यह किरदार जरूर लारा के पंखों को एक नई उड़ान देगा.
फिल्म की कहानी के फर्स्ट हाफ में बहुत कुछ घटित होता है, जिससे यह ट्रैक रख पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि आखिर चल क्या रहा है? साथ ही, पहले हाफ में फिल्म की गति थोड़ी धीमी है. हालांकि, सेकेंड हाफ में यह रफ्तार पकड़ लेती है. इस फिल्म के क्लाइमेक्स पर थोड़ा और काम किया जा सकता था. जहां फिल्म का सेकेंड हाफ जोरदार है, वहीं क्लाइमेक्स हल्का नजर आया. जब लग रहा होता है कि अभी इसमें कुछ दिलचस्प होगा, तो पता चलता है कि फिल्म खत्म हो गई है. फिल्म का क्लाइमेक्स छोटा है. इसमें थोड़ा और टकराव रोमांच में इजाफा कर सकता था. हालांकि, एक बार फिल्म जरूर देखी जा सकती है.


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