'बजरंगी भाईजान' : एक्ट्रेस सुनीता शिरोल ने लगाई आर्थिक मदद की गुहार, कहा - 'जिंदा रहना मुश्किल हो रहा'

पिछले दो साल से चल रही महामारी के कारण तमाम कलाकारों की तरह वरिष्ठ अभिनेत्री सुनीता शिरोल (Sunita Shirole) का जीवन भी कठिनाइयों से गुजर रहा है

Update: 2021-08-18 14:37 GMT

पिछले दो साल से चल रही महामारी के कारण तमाम कलाकारों की तरह वरिष्ठ अभिनेत्री सुनीता शिरोल (Sunita Shirole) का जीवन भी कठिनाइयों से गुजर रहा है. काम ना मिलने और खराब स्वास्थ्य के चलते कई सिलेब्रिटीज की फाइनेंशियल हालात खराब होने की जानकारी सामने आती रही है. जिसके बाद उन्हें मदद के लिए लोगों से पुकार लगानी पड़ी. अब इस कड़ी में 85 वर्षीय सुनीता शिरोल (Sunita Shirole Financial Crisis) भी शामिल हो गई हैं. उन्होंने 'शापित', 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह', 'बजरंगी भाईजान' और 'मेड इन चाइना' जैसी फिल्मों में काम किया है. लेकिन आज, वह कई स्वास्थ्य बीमारियों के कारण अपने बिस्तर तक ही सीमित हैं.

ETimes के रिपोर्ट के अनुसार सुनीता शिरोल (Sunita Shirole) ने कहा, 'मैं तब तक काम कर रही थी जब तक महामारी नहीं आ गई. मैंने उस दौरान जीवित रहने के लिए अपनी सारी सेविंग का उपयोग कर लिया. दुर्भाग्य से, मुझे उस समय किडनी में संक्रमण और घुटने में तेज दर्द होने के बाद अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था. वह काफी बुरा वक्त था, लेकिन उससे ज्यादा बुरा तो मेरे साथ तब हुआ जब मैं अस्पताल में दो बार गिर गई और मेरा बायां पैर टूट गया. मैं इसे अब और नहीं मोड़ सकती. मेरी पहले भी एंजियोप्लास्टी हो चुकी है और मैं दूसरी बीमारियों से भी जूझ रही हूं.'
इस बीच वह एक्ट्रेस नुपुर अलंकार (Nupur Alankar) के घर पर रह रही हैं. सुनीता कहती हैं, 'मैं एक फ्लैट में पेइंग गेस्ट के रूप में रह रही थी, लेकिन मैं तीन महीने तक भुगतान नहीं कर सकी, क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं बचे थे. नूपुर को मेरी मदद करने भेजने के लिए मैं CINTAA का आभारी हूं. वह मुझे फिलहाल अपने घर ले आई है और मेरे लिए एक नर्स भी हायर की है. मैं काम शुरू करना चाहती हूं क्योंकि मुझे पैसे की जरूरत है, लेकिन मेरे पैर की हालत बिगड़ रही है और मुझे नहीं पता कि मैं फिर से चल पाऊंगा या नहीं. जब तक मैं अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो जाती, तब तक मुझे आर्थिक मदद की जरूरत है.'
अपने अतीत को याद करते हुए वह कहती हैं, 'मैंने अपने पुराने दिनों में बहुत कुछ कमाया है और जरूरतमंदों की मदद की है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं जीवन के इस चौराहे पर कभी आउंगी. मैंने अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा अपने पति और मेरे द्वारा स्थापित कंपनी में निवेश किया था. हालांकि, गोदाम में आग लग गई और हमने सब कुछ खो दिया. 2003 में उनका निधन हो गया. आज मैं दुनिया के रहम और करम पर हूं. जीवित रहना बहुत कठिन है. मुझे इस बात का अफसोस है कि मैंने मेरे बुरे वक्त के लिए पैसे नहीं बचाए और मुंबई में अपना घर नहीं बनाया.'


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