बिना नाम लिए अनुपम खेर ने साधा JNU पर निशाना, बोले- टुकड़े-टुकड़े गैंग शब्द आया कहां से…

हर लाइन आतंकियों और प्रोफेसर्स द्वारा लिखी गई है. हमने 700 पीड़ितों का इंटरव्यू किया था.

Update: 2022-03-15 10:40 GMT

अनुपम खेर (Anupam Kher) स्टारर फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है. आलम ये है कि लोगों को सिनेमाघरों में फिल्म की टिकट तक नहीं मिल पा रही है. विवेक रंजन अग्निहोत्री (Vivek Ranjan Agnihotri) द्वारा निर्देशित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में अनुपम खेर के अलावा दर्शन कुमार (Darshan Kumar), पल्लवी जोशी (Pallavi Joshi) और मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) अहम भूमिका में नजर आ रहे हैं. हाल ही में अनुपम खेर ने रिपब्लिक टीवी को इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में उन्होंने फिल्म को लेकर हो रहे विवाद पर बात तो की ही, लेकिन साथ ही नाम बदलकर जवाहरलाल नेहरु विश्वाद्यालय को फिल्म में दिखाए जाने को लेकर भी कई तरह की जो बातें सामने आईं, उनपर भी अभिनेता ने अपनी चुप्पी तोड़ी है.

अनपम खेर बोले- टुकड़े-टुकड़े गैंग शब्द आया कहां से…
अनुपम खेर ने फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में एक कश्मीरी पंडित की भूमिका निभाई है. इंटरव्यू में सच्चाई को लेकर बात करते हुए हुए अनुपम खेर ने कहा कि लोग सच्चाई नहीं जानना चाहते हैं, क्योंकि एक सच बना दिया गया है, जो झूठ की तरह दिखता है और जो झूठा ही है. जब अनुपम खेर से पूछा गया कि सच क्या है, तो इस पर अभिनेता ने कहा कि सच तो हमने फिल्म में दिखाया है.
अभिनेता ने आगे कहा कि सच्चाई यह है कि हमने विश्वविद्यालय का नाम बदल दिया है. हमने वहां 'आजादी गीत' सुना. हमने 'वहां सुना 'तेरे कातिल जिदा हैं, अफजल हम शर्मिंदा हैं', हमने वहां हर किसी को सुना. तो उसे चित्रित करने में क्या गलत है? टुकड़े-टुकड़े गैंग शब्द कहां से आया है? चलिए ईमानदार रहते हैं, खासकर युवा पीढ़ी के साथ जो इससे प्रभावित नहीं है. कुछ विश्वविद्यालयों में कई सालों से रह रहे हैं. वे रिटायरमेंट की उम्र तक पहुंच चुके हैं और वे अभी भी वहां हैं.
अनुपम खेर के साथ-साथ इस इंटरव्यू में विवेक अग्निहोत्री और पल्लवी जोशी भी शामिल रहीं. इन दोनों ने भी फिल्म को लेकर अपनी बात रखी और फिल्म की रिलीज के बाद बन रहे देश में माहौल पर भी अपनी राय रखी. इसके साथ ही विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि फिल्म को बनाने में उन्हें किस-किस प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था. विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि हमने इस फिल्म को नहीं लिखा है. हर लाइन आतंकियों और प्रोफेसर्स द्वारा लिखी गई है. हमने 700 पीड़ितों का इंटरव्यू किया था.

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