Mumbai. मुंबई: कथावाचक अनिरुद्ध आचार्य ने बताया कि वो भी 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के शौकीन हैं। उन्होंने कहा कि दया को शो नहीं छोड़ना चाहिए था। टीवी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के शौकीन तो हम सभी हैं, तभी तो लंबे समय से चलने के बावजूद ये सीरियल टीआरपी में बना रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं अनिरुद्ध आचार्य भी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के फैन हैं। हाल ही में उनकी कथा सुनने आई एक महिला ने उनसे अपने बच्चों की शिकायत करते हुए कहा कि उनके बच्चे टीवी बहुत देखते हैं। जब अनिरुद्ध आचार्य ने उनसे पूछा कि बच्चे टीवी पर क्या देखते हैं तो महिला ने जवाब दिया कि वे तारक मेहता का उल्टा चश्मा देखते हैं। इसके बाद अनिरुद्ध आचार्य ने बताया कि वो भी कभी तारक मेहता का उल्टा चश्मा देखा करते थे। पता नहीं दया क्यों चली गई: अनिरुद्ध आचार्य
अनिरुद्ध आचार्य ने कहा: ‘दया चली गई बेचारी’। उन्होंने कहा- ”मैं पहले कभी कभी देखा करता था जेठालाल को मगर दया जबसे गई है उसका स्वाद कम हो गया है।” आचार्य ने आगे कहा, ”बढ़िया है उसको देखने से मन खुश रहता है, दया जी तो चली गईं। व्यक्ति थोड़ा हंस लेता था उसको देखकर। बहुत सारी चीजें उसमें हंसने हंसाने के लिए बढ़िया है। कभी-कभी देख लेने में बुराई नहीं है। जो अच्छी चीज है उसे देख लेने में बुराई नहीं है। मैं भी कभी कभी देख लिया करता था। वैसे मेरा एक मानना है कि दया नाम की स्त्री थी जो उसमें उसने बहुत पुण्य का काम किया, वैसे जेठालाल बहुत अच्छा है दया भी बहुत अच्छी है। उनका जो अभिनय था गजब का था, लाखों नहीं करोड़ों लोगों को हंसाने का काम उन्होंने किया है। गजब हंसाया, खूब हंसाते थे लोगों का आशीर्वाद लेते थे। पता नहीं दया क्यों चली गई?” अनिरुद्ध आचार्य चाहते हैं वापस आ जाए दया
अनिरुद्ध आचार्य ने आगे कहा, ”मैंने सुना है कुछ पैसों की वजह से गई हैं। जो चाहती थीं वो नहीं मिला, पर पैसा अपनी जगह होता है, पर अगर हम किसी को हंसाने के काम आ रहे हैं, तो ये भी सबसे बड़ा पुण्य है। दया को छोड़ना नहीं चाहिए था वो सीरियल। मैं ये कहना चाहता हूं दया से। वो रहती तो पैसा तो अपनी जगह है, पर वो खुश रहती। उसमें मुख्य पात्र तो जेठा और दया ही हैं। सब चले जाते तो कोई फर्क नहीं पड़ता। जेठालाल तो है अभी, वो चला भी रहा है। मगर दया भी अच्छा पात्र है उसमें। कोई बात नहीं दया गयी थी सोने तो वापस आ जाए, उसको आशीर्वाद मिलेगा। सबको हंसाती थी बेचारी, बहुत अच्छा था।” अनिरुद्ध आचार्य ने आगे ये भी कहा कि जेठालाल का बबीताजी को देखना गलत था। बाकी उसमें सब अच्छा था। ऐसा तो हर पुरुष सोचेगा उसकी भी एक बबीता हो, आपका पुरुष भी ऐसा सोचने लगा तो, वो तो सीरियल था आपका पति सच में सोचने लगा तो?