अमिताभ बच्चन का आज जन्मदिन, 79 के हुए महानायक

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Update: 2021-10-11 00:55 GMT

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आज पूरे 79 सालों के हो चुके हैं। बिग बी ने पिछले 5 दशकों में हिंदी सिनेमा को कई नायाब और यादगार फिल्मों की सौगात दी है, हालांकि उनका शुरुआती करियर संघर्षों से भरा रहा था। लगातार नाकामयाबी का सामना करते हुए बिग बी ने हमेशा के लिए इंडस्ट्री छोड़ने का तक मन बना लिया था, हालांकि उनकी किस्मत उनका सुनहरा भविष्य लिए इंतजार कर रही थी। आज महानायक के जन्मदिन के खास मौके पर आइए जानते हैं उनकी संघर्षों से भरी जिंदगी की कुछ अनसुनी बातें-

इंकलाब श्रीवास्तव था बिग बी का असली नाम
11 अक्टूबर 1942 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में जन्में अमिताभ बच्चन के पिता डॉ हरिवंश राय बच्चन अपने जमाने के मशहूर लेखक थे और मां तेजी बच्चन कराची से थीं। आजादी के लड़ाई लड़ रहे भारत में पैदा हुए अमिताभ को बचपन में मां-बाप ने इंकलाब नाम दिया था, लेकिन बाद में उनका नाम बदल दिया गया। हरिवंश राय बच्चन को उनके मित्र और कवि सुमित्रा नंदन पंत ने बेटे का नाम इंकलाब से अमिताभ रखने कि सलाह दी थी। अमिताभ का परिवार श्रीवास्तव सरनेम फॉलो करता था, लेकिन उनके पिता ने पेन नेम बच्चन को ही अपना सरनेम बना लिया था।
अमिताभ बचपन से ही अभिनय में रुचि रखते थे, जिसके चलते उनके पिता हरिवंश ने पृथ्वी थिएटर के फाउंडर पृथ्वीराज कपूर से बेटे को इंडस्ट्री में काम दिलाने को कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
भारी आवाज के कारण रेडियो में नहीं मिली नौकरी
नौकरी की तलाश में अमिताभ बच्चन ऑल इंडिया रेडियो पहुंचे थे, लेकिन उनकी भारी आवाज के चलते उनका मजाक उड़ाकर उन्हें ऑडीशन से भगा दिया गया था। उस समय हर कोई अंजान था कि यही आवाज एक दिन दुनिया जीत लेगी।
शिपिंग कंपनी में किया काम
आज बॉलीवुड के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले अभिनेताओं में से एक अमिताभ ने महज 500 रुपए की सैलेरी में अपनी पहली नौकरी की थी। जिसमें से कट-पिट कर उन्हें महज 460 रुपए ही मिला करते थे। बिग बी कोलकाता की बर्ड एंड शिपिंग कंपनी में एग्जीक्यूटिव थे। इस नौकरी के दौरान ही वो समय निकालकर प्ले में हिस्सा लिया करते थे।
सात हिंदुस्तानी से किया था एक्टिंग डेब्यू
अमिताभ बच्चन ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत फिल्म 'सात हिन्दुस्तानी'(1969) से की थी, लेकिन यह फिल्म उनके करियर की सुपर फ्लॉप फिल्मों में से एक है। इसके बाद उन्होंने 'रेशमा और शेरा'(1972) फिल्में की जिनमें उनका रोल गूंगे का था और यह फिल्म भी फ्लॉप ही रही थी। 1971 की, 'आनंद' फिल्म ने उन्हें जरूर पहचान दी थी, लेकिन इसका क्रेडिट राजेश खन्ना को दिया गया। इसके बाद दर्जनभर फ्लॉप फिल्मों की ऐसी लाइन लगी कि मुंबई के निर्माता और निर्देशक उन्हें अपनी फिल्मों में लेने से कतराने लगे थे। वे मुंबई से लगभग पैकअप करके वापस जाने का मन बना चुके थे।
जंजीर फिल्म ने हटा फ्लॉप एक्टर का टैग
उन दिनों प्रकाश मेहरा 'जंजीर'(1973) की कास्टिंग को लेकर परेशान रहा करते थे। इस फिल्म से उन्हें काफी उम्मीदें थीं। वे अपने ऑफिस में इसी फिल्म के बारे में प्राण से चर्चा कर रहे थे। तब प्राण ने उन्हें अमिताभ का नाम सुझाया। लेकिन प्रकाश मेहरा ने बिना कुछ कहे ही इनकार कर दिया। तब प्राण ने केवल इतना कहा कि बेहतर ये होगा कि आप उसकी चंद फिल्में देख लें और फिर फैसला करें। साथ ही यह भी कहा कि बेशक उसकी ज्यादातर फिल्में फ्लॉप हुई हैं, लेकिन उसके अंदर कुछ खास जरूर है। टैलेंट की उसमें कमी नहीं।
चंद फिल्में देखकर प्रकाश मेहरा ने अमिताभ पर दाव लगा दिया। 'जंजीर' के डायलॉग सलीम-जावेद की हिट जोड़ी ने लिखे थे। फिल्म बनकर तैयार हो गई, लेकिन ट्रायल शो को वितरकों ने बेहद ठंडा रिस्पॉन्स दिया। अमिताभ उनके लिए पिटे हुए हीरो थे, जिसकी मार्केट वैल्यू न के बराबर थी। लेकिन जब दर्शकों ने फिल्म देखी तो देखते ही रह गए।
सिनेमाघर से निकलने वाला हर शख्स अमिताभ के डायलॉग और उनके लुक का दीवाना बन चुका था। हर कोई बार-बार उनके स्टाइल को कॉपी करते हुए डायलॉग दौहरा रहा था। देखते ही देखते एक नए सुपरस्टार का आगाज हो चुका था, वो थे अमिताभ बच्चन।
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