बहुत याद आओगे…
हमारे भारतवंशी पूर्वजों ने इस द्वीप देश को चार चांद लगाने में खूब खून बहाया है
'बहुत याद आओगे मॉरीशस' हिंदी कथाकार सैली बलजीत का नवीनतम प्रकाशित यात्रा संस्मरण है। हिंद महासागर के दक्षिण छोर पर भारतवंशी बंधु-बांधवों द्वारा बसाया गया मारीशॅस अपनी प्राकृतिक सुंदरता-रम्यता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। आज भारतवंशी ही इस देश की व्यवस्था का नेतृत्व करते हैं और सरकार भी उन्हीं की है। सैली बलजीत अन्य कई लेखकों के साथ आधारशिला द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन 2019 में भाग लेने के लिए मॉरीशस में थे। बलजीत जी ने हिंदी सम्मेलन और मॉरीशस की सांस्कृतिक यात्रा के दौरान उस देश को जिस तरह देखाभाला, उसे इस यात्रा संस्मरण में क्रमबद्ध किया है।
इस यात्रा में मैं व मेरे गुलेरी परिवार के सदस्य भी गवाह रहे इन क्षणों में यह भी सौभाग्य था। यह मालूम नहीं कि बहुत जल्द मित्र सैली बलजीत इसे संस्मरण का रूप देकर प्रकाशित कर सार्वजनिक भी कर देंगे। कहना न होगा कि आलोच्य पुस्तक में मॉरीशस यात्रा का वर्णन बड़े रोचक और दिलचस्प तरीके से किया गया है जो अविस्मरणीय हो गया है। पुस्तक से गुजरते हुए हम में से कोई भी मॉरीशस की सांस्कृतिक यात्रा कर लेते हैं और उस अलौकिक देश की भारतीय संस्कृति व प्राकृतिक सौंदर्य से रूबरू हो जाते हैं।
हमारे भारतवंशी पूर्वजों ने इस द्वीप देश को चार चांद लगाने में खूब खून बहाया है। इस देश को आबाद ही नहीं, आजाद भी कराया था। चौतरफ़ा समुद्र से घिरे इस द्वीप में भारतीय संस्कृति और हिंदी इसे लघु भारत की पहचान देती है। मॉरीशस को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। इस भ्रमण को सुखदायी व अविस्मरणीय बनाने में गाइड अजय यात्रा संस्मरण में एक महानायक के रूप में यादगारी हो गया है कहूं तो अत्युक्ति नहीं होगी। सैली बलजीत ऐनेलिया रिसोर्ट के आर्केस्ट्रा फ्लोर पर हिंदी फिल्म गीत गाने वाली लड़की सेलीना को विसमृत नहीं कर पाए जिसमें उन्हें अपनी बेटी शैलजा की झलक दिखी थी। चंडीगढ़ के कवि मित्र सुभाष रस्तोगी की कविताएं भी याद आती हैं। यात्रा संस्मरण को चित्रों ने रोचक बना दिया है।
-डा. प्रत्यूष गुलेरी, साहित्यकार