शिवराज ने अपनी पार्टी के नेताओं को मीडिया के सामने क्यूं सुनाई खरी खरी

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इकलौते ऐसे नेता हैं

Update: 2021-11-28 17:18 GMT

प्रवीण दुबे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इकलौते ऐसे नेता हैं जो इतनी लम्बी पारी खेलने के बाद भी दम्भी नहीं हैं, क्रोधी नहीं हैं, ढींगे हांकने वाले नहीं हैं और भाषा को लेकर संयमित हैं… इसके बावज़ूद शुक्रवार को हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में देश और प्रदेश के सभी बड़े भाजपा नेताओं के सामने जो उन्होंने भाषण दिया, उसमें एक लीडर की समझाइश कम और परिवार के मुखिया की जमकर लताड़ ज्यादा थी. पहले बात करते हैं उनके भाषण के उन अंशों की जो "देखन में छोटे लगे और घाव करें गंभीर" वाले थे.

बहुत दिनों से एमपी की सियासत में ये कयास लग रहे थे कि क्या यहां कोई नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इसके लिए बाकायदा ट्वीट भी कर दिया था. भाजपा के कुछ नेताओं के हवाले से भी मीडिया में बैठकों के गूढ़ार्थ निकाले जाते रहे हैं. शिवराज ने कभी इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की. वे मौन होकर सारा काम करते रहे. ना उन्होंने ऐसी ख़बरों का कोई खंडन ही किया. ज़ाहिर है कि वे ऐसी ख़बरों से असहज ज़रूर होते रहे होंगे, लेकिन उन्हें पता था कि खंडन करना और विवादों को पैर दे जाएगा. शायद इसीलिए उन्होंने चुना प्रदेश कार्यसमिति की बैठक जैसा बहुत बड़ा मंच, जहां कही गई बात के पार्टी के लिए बेहद मायने होते हैं. कल बिलकुल बदले-बदले शिवराज नज़र आ रहे थे जिनमें तेवर भी था और तरन्नुम भी… ज़रा एक बार उनके बयान के मायने समझिये..यथावत यहां प्रस्तुत है कि उन्होंने कहा क्या क्या….
पार्टी विधायकों की शिवराज ने ऐसे लगाई क्लास
"हमारे विधायक जी आते हैं, तो कागज लेकर आते हैं.. बिना कागज के आते ही नहीं. और कागज में भी ज्यादा कागज काहे के रहते हैं, आप समझ गए होंगे…अगर वो सब कर दो, तो पता चला स्कूल में मास्टर ही नहीं बचे और कई अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं बचे. हमें तो दोनों चीज सोचनी पड़ती है कि स्कूल में मास्टर भी रहे और अस्पताल में डॉक्टर भी रहे. जो करवाने वाले होते हैं, वो बड़े कलाकार होते हैं. वो कांग्रेस में भी करवा लाते हैं, सरकार बदलती है तो इधर भी आ जाते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि ट्रांसपेरेंट ट्रांसफर पॉलिसी बनाकर हम उसको आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से हम उसका इस्तेमाल करें.
दरअसल शिवराज की इस नाराज़गी की भी पृष्ठभूमि है. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के पहले प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने विधायकों से वन टू वन चर्चा की. इस मीटिंग से शिवराज को दूर रखा गया था, ताकि बातें खुलकर सामने आ सकें. विधायकों ने रोना रोया कि सरकार में उनकी सुनवाई नहीं होती. ये जानकारी शिवराज जी के पास आ गई थी कि विधायकों ने क्या बोला और क्यूं बोला, उसी के जवाब में उन्होंने सार्वजनिक तौर पर विधायकों की क्लास ले ली.
छींका टूटने की आस में बैठे नेताओं पर यूं कसा तंज
शिवराज ने एमपी में संभावित फेरबदल की अटकलों पर विराम लगाने के आशय से कहा, "कई अर्थों में ये बैठक अभूतपूर्व है, जिसको आपने बोलने का काम दिया, वही चौके-छक्के मार रहा है. बॉलर भी बैटिंग कर रहे हैं. ये भारतीय जनता पार्टी में होता है. ये मत सोचना कि… राजनीति में मीडिया वाले चला देते हैं, ऐसा हो रहा है…, वैसा हो रहा है… ये सब गलतफहमी में हैं. हर बात शेयर करते हैं हम, इसलिए मैं कह रहा हूं… समझने वाले समझ गए…
प्रधानमंत्री जी जब हरदा में स्वामित्व योजना पर बोलने आए थे, उन्होंने कहा मध्यप्रदेश गजब है लेकिन देश का गौरव भी है. इसलिए मध्यप्रदेश के काम करने की जो गति थी, उसकी उन्होंने इस ढंग से प्रशंसा की, कि हमारा उत्साह कई गुना ज्यादा बढ़ गया."
इस एक बयान के ज़रिए शिवराज ने ना केवल अटकलों पर विराम लगाया, बल्कि धमकी भी दे दी कि मंच से या फिर मीडिया को ऑफ द रिकॉर्ड ब्रीफिंग करने वाले नेता भ्रम न पालें कि कोई बदलाव एमपी में निकट भविष्य में होने वाला है. उन्होंने संकेतों में ये भी बता दिया कि किस तरह प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के क़रीबी होने के कारण उनका हौसला बढ़ा है.
विरोधियों को दिया संदेश
शिवराज यूं भी बहुत मंझे हुए और परिपक्व नेता हैं. उन्हें पता है कि कब कहां और कितना बोलना है. साथ ही वे मंच की ज़रूरत और रुचि भांपकर ही बोलते हैं. कुल मिलाकर कल ऐसा लग रहा था कि शिवराज मानों उस बल्लेबाज़ की तरह इंतज़ार ही कर रहे हों कि उचित अवसर आने पर गेंद को कैसे हवा ही हवा में बाउंड्री के पार छह रनों के लिए भेजा जाए. कल की बैठक में वे सारे नेता भी थे, जिनके नाम एमपी में संभावित अगले चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट किये जाते रहे हैं. एक झटके में शिवराज ने ये संदेश उनके मानस में पैबस्त करा दिया कि "माफ़ कीजिए अभी आप क़तार में ही रहेंगे"


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