यहां तक की कुछ परिवार तो भुखमरी के कगार पर आ गए हैं, इसलिए यह पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी अब वापस पाकिस्तान जाना चाहते हैं. इनका मानना है कि वहां उनके घर हैं खेती बाड़ी है, उन पर अत्याचार भले ही होगा लेकिन कम से कम वह जिंदा तो रहेंगे, भुखमरी से जिस तरह हिंदुस्तान में मर रहे हैं वैसे मरेंगे तो नहीं. पाकिस्तान से टूरिस्ट वीजा पर हिंदुस्तान आए हिंदू परिवारों की संख्या हजारों में है जो देश के अलग-अलग हिस्से में रहते हैं इन सभी परिवारों के साथ एक जैसी ही समस्या आ रही है, पहले उन्होंने हिंदुस्तान में नागरिकता पाने के लिए लड़ाई लड़ी और जब नागरिकता मिली तो कोरोना महामारी ने ऐसा कहर बरपाया कि अब खाने के लाले पड़ रहे हैं. विडंबना यह है कि भारत में इस समय एक ऐसी सरकार सत्ता में है जो नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लाने की इच्छुक है – जो हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी से संबंधित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना चाहती है, फिर भी कोई भी अपना मन बदलने को तैयार नहीं दिख रहा है. संसद द्वारा पारित किए जाने के लगभग डेढ़ साल बाद भी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के नियमों को अधिसूचित नहीं किया है.
क्यों जा रहे हिंदू परिवार पाकिस्तान
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान से आए हिंदू परिवार हिंदुस्तान में बेहतर भविष्य की तलाश में आए थे, लेकिन जब एक दशक तक यहां रहने पर भी उनके हालत में कोई सुधार नहीं आई तो वह अब अपने देश पाकिस्तान की ओर लौटने को मजबूर हैं. पाकिस्तानी उच्चायोग की रिपोर्ट के अनुसार 25 मार्च 2020 से 17 मार्च 2021 के बीच तक 1288 पाकिस्तानी हिंदू जो भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे थे वह वापस पाकिस्तान लौट आए हैं. वहीं कुछ हिंदू अभी भी बॉर्डर पर पाकिस्तान वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं. पाकिस्तान से हिंदुस्तान आए ज्यादातर शरणार्थी बलूचिस्तान, सिंध और पंजाब प्रांत से हैं. जो परिवार पाकिस्तान से हिंदुस्तान आए हैं उनका कहना है कि उन्हें पाकिस्तान में कम से कम घर के किराए और खाने के लिए सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि वहां उनका अपना मकान है. लेकिन हिंदुस्तान में वह किराए के घर में रहते हैं और मजदूरी करके अपना गुजर-बसर करते हैं. अब कोरोना महामारी ने उनके इस गुजर-बसर करने का रास्ता भी छीन लिया और वह अब पूरी तरह से मजबूर हैं.
हिंदुस्तान में भी मूलभूत सुविधाओं की कमी
पाकिस्तान से हिंदू शरणार्थी हिंदुस्तान इसीलिए आए थे कि उन्हें कम से कम यहां एक बेहतर जीवन मिलेगा. बेहतर भविष्य मिलेगा और मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी. लेकिन यहां भी जहां इन हिंदू शरणार्थियों की बस्तियां बसाई गई हैं वहां मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है, दिल्ली के मजनू का टीला स्थित बस्ती की हालत तो ऐसी है कि हर तरफ कीचड़ फैला है, शौंच के लिए पूरी बस्ती में केवल एक कम्युनिटी शौचालय है, बिजली की सही सुविधा नहीं है और पीने के पानी का इंतजाम नहीं है. कई बार इनकी झुग्गियां जल गईं और कई बार जब यमुना का स्तर बढ़ता है तो इनके घरों में पानी घुस जाता है, जिससे कीड़े मकोड़े और सांप जैसे जहरीले जीव-जंतु भी इनके घरों में घुस जाते हैं. वह इस बात से जरूर खुश हैं कि उनको नागरिकता मिल गई है, लेकिन इस बात से दुखी भी हैं कि वह आज भी मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर हैं.
किस मजबूरी से पाकिस्तान से हिंदुस्तान भागकर आए थे
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ किस तरह का बर्ताव किया जाता है यह किसी से छुपा नहीं है, जबरन उनका धर्म परिवर्तन कराना हो या उनके इलाकों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव या फिर उनके साथ बहुसंख्यक मुसलमानों का अत्याचार करना. सब कुछ आए दिन खबरों में छपता रहता है. बीबीसी से बात करते हुए एक हिंदू शरणार्थी कहती हैं कि हम पाकिस्तान से सिर्फ इसलिए भाग का हिंदुस्तान आए थे, क्योंकि वहां हमारी इज्जत नहीं बच पा रही थी. हम हर रात चैन की नींद नहीं सो पा रहे थे, हमारे लिए दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल था. हमारे घर की बेटियों को लोग उठा ले जा रहे थे और कानून उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा था. सोचिए कि जो हिंदू परिवार इतनी मुसीबतें झेल कर हिंदुस्तान बेहतर जिंदगी की तलाश में आया हो, उन्हें यहां कितनी तकलीफ हुई होगी कि वह अब वापस उसी नर्क में जाने को मजबूर हैं.