व्हाट्सएप और निजता का अधिकार

Whatsapp privacy

Update: 2021-05-21 05:43 GMT

व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर मचा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा। पांच महीने तक चले विवाद के बाद व्हाट्सएप ने 15 मई से अपनी प्राइवेसी पॉलिसी भारत समेत कई देशों में लागू कर दी है। व्हाट्सएप ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनकी नई प्राइवेसी पॉलिसी पैटेंट कम्पनी फेसबुक को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इस पॉलिसी के तहत व्हाट्सएप का डाटा फेसबुक, इंस्टाग्राम और भागीदार कम्पनियों के साथ शेयर किया जाएगा लेकिन नई पॉलिसी सिर्फ बिजनेस अकाउंट के लिए है यानी आप किसी बिजनेस अकाउंट (व्हाट्सएप बिजनेस) से व्हाट्सएप पर चैट करते हैं तो सिर्फ वही डाटा कम्पनी लेगी और अन्य कम्पनियों को देगी लेकिन यदि आप किसी दोस्त या रिश्तेदार से आम व्हाट्सएप अकाउंट से बात कर रहे हैं तो आपकी चैटिंग कम्पनी नहीं देखेगी। सीधी बात यह है कि नई प्राइवेसी पॉलिसी सिर्फ बिजनेस अकाउंट के लिए है, इसे स्वीकार करने के बाद ​निजी चैट प्रभावित नहीं होंगे। यद्यपि व्हाट्सएप ने कहा है कि यदि आप उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार नहीं भी करते तो वह आपके अकाउंट को डिलीट नहीं करेगा लेकिन धीरे-धीरे सभी फीचर्स को बंद कर देगा, जैसे आपको किसी के मैसेज आने का नोटिफिकेशन तो दिखेगा लेकिन आप उसे पढ़ नहीं पाएंगे। नई पॉलिसी का मामला दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है। इलैक्ट्रानिकी और सूचना मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि व्हाट्सएप की नई पॉलिसी कई भारतीय कानूनों को तोड़ने वाली है। अब मंत्रालय ने व्हाट्सएप को नई पॉलिसी को वापिस लेने का निर्देश दिया है और कम्पनी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी भारतीय यूजर्स की निजता, डाटा ​सिक्योरिटी के अधिकार को खत्म करने वाली है। करोड़ों भारतीय यूजर्स कम्युनिकेशन के लिए व्हाट्सएप पर निर्भर है लेकिन उसने नई पॉलिसी लागू करके गैर जिम्मेदार होने का प्रमाण दे दिया है। मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि व्हाट्सएप सात दिनों के भीतर जवाब दे, यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो व्हाट्सएप के खिलाफ कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।


आम नागरिक भी इस बात से चिंतित हैं कि व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव गोपनीयता और आंकड़े या ब्यौरों की सुरक्षा के मूल्यों को कमजोर करती है और इस तरह व्हाट्सएप भारतीय नागरिकों के अधिकारों पर कुठाराघात कर रहा है। व्हाट्सएप ने पहले अपनी सेवाएं मुफ्त में प्रदान कीं और लोग इससे जुड़ते चले गए। अब जबकि व्हाट्सएप जिन्दगी की जरूरत बन गई तो अब वह यूजर्स की निजता पर नजर रखना चाहता है। व्हाट्सएप अकाउंट बनाते समय दी गई बेसिक जानकारी, फोन नम्बर्स और एड्रेस बुक, स्टेटस की जानकारी, कस्टमर सपोर्ट से शेयर की गई जानकारी, ट्राजैक्शन और पेमेंट की जानकारी मांग रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार करने का अर्थ खुद को किसी बड़ी परेशानी में डालना होगा, इसका मतलब यही है कि आपने खुद अपने फोन और कम्प्यूटर की जानकारी व्हाट्सएप को दे दी है। व्हाट्सएप की नई पॉलिसी से राष्ट्रीय सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। दुनिया भर में इसके 2 अरब यूजर्स हैं जबकि 40 करोड़ से ज्यादा यूजर्स तो सिर्फ भारत में हैं। व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे प्लेटफार्म जिन्हें हम लगभग मुफ्त में इस्तेमाल करते हैं, वास्तव में तो मुफ्त में नहीं है।

सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूजर्स के निजी डेटा से कमाई करते हैं। लोगों की निजी जानकारियां और डेटा के खतरे में पड़ने से न सिर्फ उनकी जिन्दगी पर असर पड़ेगा, बल्कि यह सरकारों और लोकतंत्र के लिए भी खतरनाक है। 2019 में इस्राइली कम्पनी पेगासस ने व्हाट्सएप के जरिये हजारों भारतीयों की जासूसी की। वर्ष 2016 के अमेरिकी चुनावों में फेसबुक का कैंब्रिज एगलिटिका स्कैंडल भी छिपा नहीं है। सोशल प्लेटफार्म लोगों के विचारों को प्रभावित करने लगे हैं। यह भी काफी आश्चर्यजनक है कि व्हाट्सएप भारतीय यूजर्स पर जो नियम थोपना चाहता है, यूरोप के लोगों को उससे छूट है। वैश्विक मंच होने के नाते व्हाट्सएप को इस भेदभावपूर्ण व्यवहार का आधार क्या है? ​किसी सार्वजनिक मंच के उपयोग का अर्थ यही नहीं हो सकता कि उसके संचालकों को यूजर्स की निजता पर निगरानी रखने आैर उसका मनमाना इस्तेमाल करने का अधिकार मिल जाए। व्हाट्सएप की मंशा का दुनिया भर में विरोध भी होने लगा है और वैकल्पिक मंचों को अपनाने का अभियान भी चल पड़ा है। नई प्राइवेसी पा​ॅलिसी यूजर्स काे आग के भंवर में घसीटने जैसी है। व्हाट्सएप जानता है कि भारत उसके लिए कितना बड़ा बाजार है। साथ ही वह यह भी जानता है कि भारत में साइबर सुरक्षा और निजता से जुड़े कानूनों का अभाव है। मंत्रालय को चाहिए कि वह व्हाट्सएप पर शिकंजा कसने के लिए ठोस कानूनों के अ​ाधार पर आगे बढ़े और यदि कम्पनी फिर भी मनमानी करे तो उसका बोरिया बिस्तरा गोल कर दे। भारतीय उपयोगकर्ताओं को भी चाहिए कि वे जागरूक बनें और अपनी निजता किसी के पास गिरवी मत रखें। कुछ नए विकल्प हैं तो उन्हें आजमाया जा सकता है।

आदित्य नारायण चोपड़ा


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