दुनिया में लोगों का वैक्सीन के प्रति विश्वास कमोबेश जम गया है, लेकिन एक वैक्सीन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका को लेकर इन दिनों ज्यादा चिंता जाहिर की जा रही है। इस वैक्सीन की वजह से अनेक लोगों के खून में थक्के बनने की शिकायत बढ़ रही है। यह असामान्य स्थिति है, जिससे तमाम वैक्सीन के प्रति आशंका में इजाफा हो सकता है। वैज्ञानिक इस कोशिश में लगे हैं कि जल्द से जल्द समाधान खोजकर इस महत्वपूर्ण और सबसे नामी वैक्सीन को निरापद बनाया जाए। हफ्तों तक जांच के बाद यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) ने 7 अप्रैल को घोषणा की है कि थक्के और वैक्सीन के बीच एक जुड़ाव की आशंका है। इसे बहुत दुर्लभ दुष्प्रभाव करार दिया जा रहा है। शायद वैक्सीन में कोई ऐसा तत्व है, जो रक्त को बाधित कर रहा है या उत्पादन प्रक्रिया में कोई कमी छूट जा रही है। इस नामी वैक्सीन का दुष्प्रभाव अगर मस्तिष्क या फेफड़ों में हो जाए, तो बहुत बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। क्या यह दुष्प्रभाव केवल उन लोगों में हो रहा है, जो खून को पतला करने की खास दवा लेते हैं या कोई और कारण है, अनेक वैज्ञानिक व अस्पताल इस खोज में युद्ध स्तर पर लगे हैं।
एस्ट्राजेनेका को ज्यादा सावधानी और अध्ययन के लिए कहा गया है। गौर करने की बात है कि इस वैक्सीन से महिलाओं को ज्यादा परेशानी हो रही है। इसकी वजह का पता अभी नहीं लग रहा है। क्या 60 से कम उम्र के लोगों में परेशानी हो रही है? क्या दुनिया के कुछ ही देशों में दुष्प्रभाव हो रहा है? अकेले यूरोप में ही 22 अस्पताल वैक्सीन की इस कमी की पड़ताल में लगे हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले से ही तैयार कोविशील्ड का भारत में प्रयोग अब तक बहुत सफल है और इससे किसी भी तरह का दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है। शिकायतें यूरोपीय देशों और अमेरिका से आ रही हैं, लेकिन भारत में सीरम कंपनी जो कोविशील्ड वैक्सीन बना रही है, उसकी आपूर्ति आम तौर पर विकासशील देशों में हुई है और वहां से अभी तक शिकायत नहीं आई है। भारत सरकार ने बहुत सोचने-समझने के बाद यह कह दिया है कि भारत के टीकाकरण अभियान में कोविशील्ड का इस्तेमाल जारी रहेगा। पश्चिम में जो कंपनियां कोविशील्ड का निर्माण कर रही हैं, उन्हें भारत की सीरम कंपनी से अनुभव लेना चाहिए। जहां एक ओर वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं, वहीं यह सवाल भी उठ रहा है कि दुनिया में क्या वैक्सीन की कमी होने लगी है। जैसे-जैसे टीकाकरण तेज हुआ है, वैसे-वैसे उत्पादन में कमी महसूस होने लगी है। दुनिया में पांच अरब विभिन्न टीकों का सालाना उत्पादन पहले होता था, लेकिन कोविड के टीकों के बाद कुल उत्पादन दोगुना हो गया है। अभी की क्षमता के अनुसार, वर्ष 2021 में दुनिया में 9.5 अरब कोविड वैक्सीन खुराक का उत्पादन हो सकेगा, जबकि जरूरत लगभग 12 अरब खुराक की है। भारत में जब टीकाकरण अभियान तेज हो रहा है, तब प्रतिदिन 40 लाख से ज्यादा वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी, लेकिन मोटे तौर पर उत्पादन अभी प्रतिदिन 25 लाख से ज्यादा नहीं है। तात्कालिक कमी से घबराना नहीं चाहिए। अब समय आ गया है, देश में दूसरी कंपनियों को वैक्सीन बनाने की इजाजत दी जाए, ताकि देश और दुनिया में वैक्सीन की कोई कमी न हो।