चीन पर कठोर एक्शन का वक्त… अमेरिका से बिगुल बजेगा सख्त?
पड़ोसी का आचरण जब आपके लिए खतरा बनने लगे, आपको परेशानियों में डालने लगे
विवेक त्रिपाठी पड़ोसी का आचरण जब आपके लिए खतरा बनने लगे, आपको परेशानियों में डालने लगे, तब अपना अंदाज भी बदल देना जरूरी होता है. आज ठीक ऐसा ही भारत के साथ है, पड़ोसी मुल्क चीन (China) दूसरे पड़ोसी के साथ मिलकर किसी भी हद तक जाकर भारत को तबाह करना चाहता है. हर मोर्चे पर भारत के खिलाफ साजिश रचने में जुटा रहता है, अब ऐसे में उन पड़ोसियों को नजरअंदाज करना आने वाले सालों में बड़ा खतरा बन सकता है. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के आने के बाद पड़ोसी को कई मोर्चों पर करारा जवाब भी मिला है. पीएम मोदी का अमेरिका (America) दौरा चीन को मिर्ची लगने जैसा है.
चीन एक विस्तार वादी देश है उसने अपने देश से लगने वाली सभी सीमाओं पर अतिक्रमण किया है, 1965 से भारत को भी वह कमजोर समझता रहा है, लेकिन भारत की अमेरिका से बढ़ती नजदीकियां चीन के सभी तरह के षड्यंत्रों पर पानी फेरने का काम कर रही हैं. 2019 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका पहुंचे तो पूरी दुनिया ने उन्हें सुना था चीन भारत के मोर्चे पर वहीं से कमजोर होता दिखने लगा. पूरी दुनिया में पीएम मोदी के तारीफों में कसीदे पढ़े जाने लगे, और अभी हाल ही में एक सर्वे ने ये साबित कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरी दुनिया पसंद करती है. भारत के कड़े फैसले चीन की राह में रोड़े अटकाने का काम कर रहे हैं.
चीन को फिर एक्सपोज करने का मौका
2019 के ठीक 2 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे से भारत को और मजबूती के संकेत भी मिल रहे हैं, जाहिर है बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका जाना एक मजबूत संबंधों को जन्म देगा, ऐसे में पीएम मोदी को इस मौके को भरपूर भुनाना चाहिए, भारत के लिए अगर इस वक्त सबसे बड़ा कोई खतरा है तो वह है चीन, चीन भारत तनाव पर अमेरिका का ओपन स्टैंड भी दुनिया के सामने आना बेहद जरूरी है, और यह काम प्रधानमंत्री मोदी ही कर सकते हैं.
पड़ोसी चीन बड़ा खतरा
चीन लगातार अपनी सीमाओं का विस्तार, उद्योगों को बढ़ाना, भारत के पड़ोसियों से संबंध मजबूत करना, पड़ोसियों से भारत के रिश्ते खराब करना. चीन हर मोर्चे पर भारत को घेरने के प्लान पर काम कर रहा है. अमेरिका में पीएम मोदी को तथ्यों के साथ चीन को एक्सपोज करना होगा, क्योंकि चीन लगातार पाकिस्तान को खुलकर सपोर्ट करता है, और दुनिया इस बात को जानती है कि पाकिस्तान ही आतंकवाद की जन्मस्थली और शरण स्थली है. पाकिस्तान चीन की शह पर भारत में अशांति फैलाने के तरह-तरह के हथकंडे अपनाता रहा है.
आतंक पर चीन की चाल
चीन की हरकतों से तो साफ लगता है कि वह आतंकवाद को कहीं ना कहीं बैक डोर से सपोर्ट तो करता है, पहले भी वह मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के विरोध में रहा है. पाकिस्तान की तरफ से भारतीय सीमा में दाखिल होने वाले जितने भी हथियार हैं उसमें ज्यादातर हथियार चीन के ही होते हैं, यानि इससे साफ है कि चीन पाकिस्तान के आतंकवादियों को हथियार और फंडिंग दोनों देता है और भारत में अशांति फैलाने की पूरी नापाक साजिश पर काम करता है. चीन को पता है कि भारत विश्वगुरु बनने की राह पर है, महाशक्तियों से अच्छे संबंध और भारत के उभरते बाजार इस बात के संकेत हैं.
तालिबान से दोस्ती, टारगेट पर भारत
अब चीन ने इन दिनों एक नया हथकंडा अपना रखा है, पाकिस्तान को मध्यस्थ बनाकर तालिबान से दोस्ती करके वो क्या करना चाहता है ये दुनिया जानती है, अफगानिस्तान में भारत की ताकतवर मौजूदगी चीन को कभी रास नहीं आई. पहले तो चीन भारत को अफगानिस्तान में आर्थिक झटके देना चाहता है तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के सहारे तालिबान गुट के आतंकियों का भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहता है. पाकिस्तान तो पहले से ही भारत के खिलाफ एक महाशक्ति का साथ चाहता था जो उसे चीन के रूप में मिल गया.
ग्लोबल वार्मिंग के लिए भी चीन जिम्मेदार
पर्यावरण बदलाव के लिए भी ड्रैगन सबसे ज्यादा जिम्मेदार देश है. चीन पर कोरोना ओरिजिन के आरोप भी लगते रहे हैं, वुहान लैब में होने वाले रिसर्च और खतरनाक परीक्षण इस बात के गवाह हैं, चीन हमेशा से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करता रहा है, अब वक्त आ गया है कि चीन को इसी की भाषा में समझाया जाए नहीं तो आने वाला भविष्य मानव जाति के लिए बड़ा संकट होगा. चीन को हर हाल में रोकना जरूरी है, और इसके लिए पीएम मोदी जैसे नेता ही मजबूत देशों के साथ मिलकर कुछ कर सकते हैं.
चीन को हल्के में न ले दुनिया
क्वॉड और ऑकस जैसे गठबंधन भले चीन के खिलाफ बने हों, लेकिन चीन अपनी गति से चल रहा है चाहे वह दक्षिण चीन सागर हो, या फिर एशिया सहित यूरोप तक अपनी पैठ बनाने की रणनीति हो, चीन लगातार इस पर काम कर रहा है कई बार तो अमेरिका ऑस्ट्रेलिया जापान आंख दिखाने में चीन को कोई गुरेज नहीं है. CPEC और BRI प्रोजेक्ट चीन की मंशा को साफ बताते हैं, समुद्र हो या जमीन चीन हर तरफ अपनी पैठ बनाने में जुटा है. जिस दिन चीन अपनी इस चाल में कामयाब हो गया उस दिन अमेरिका और ब्रिटेन जैसी महाशक्तियां चीन का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी, क्योंकि आर्थिक तौर पर चीन पहले से बहुत ज्यादा मजबूत हुआ है, सैन्य मोर्चे पर भी चीन ने बहुत काम किया है. ऐसे में दुनिया के सामने चीन अब बड़ी चुनौती बन गया है. और इस चुनौती को अगर नजरअंदाज किया गया, उस पर समय रहते एक्शन नहीं लिया गया तो परिणाम बहुत ही खतरनाक होंगे.