5 साल की सावन्या की वो खुली आंखें मुझे नहीं सोने दे रहीं…
फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज के बाहर एक 12 साल का लड़का एक छोटी सी बच्ची को गोद में लिए इधर-उधर भाग रहा था
सौरभ शुक्ला। फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज के बाहर एक 12 साल का लड़का एक छोटी सी बच्ची को गोद में लिए इधर-उधर भाग रहा था, बच्ची का बदन बुखार से तप रहा था. बुखार इतना ज्यादा था कि बच्ची की आंख नहीं खुल रही थी. लड़का और उसके मां-बाप बार-बार इमरजेंसी में बैठे डॉक्टर से गिड़गिड़ा रहे थे कि बच्ची को भर्ती कर लो पर डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल में जगह नहीं है, दवाई ले लो और घर ले जाओ, पर बच्ची की हालत बिगड़ती जा रही थी मैं अपने साथी कैमरामैन अशोक महाले के साथ वहीं शूट कर रहा था. अचानक उस बच्ची की मां को रोते देखा तो नज़दीक जाकर पूछा तो पता लगा कि 5 साल की सावन्या को दो दिन से बुखार है और परिवार सुबह से अस्पताल में बच्ची को भर्ती कराने की कोशिश कर रहा था. हम भी डॉक्टर के पास गए, थोड़ी कहासुनी के बाद डॉक्टर सावन्या को भर्ती करने के लिए मान गए. डॉक्टर बोले बच्ची को दूसरे तल पर ले जाओ, बच्ची के भाई विशाल ने फिर सावन्या को गोद में लिया और दूसरे तल की तरफ चल दिया, सावन्या की मां बार-बार सावन्या के गाल पर हाथ लगा कर बोल रही थी "बेटा आंखें खोलो" पर सावन्या बुखार से इतनी कमजोर हो चुकी थी कि उसकी आंखें नहीं खुल रही थीं. सावन्या की मां बार-बार कह रही थी कि दो दिन से कुछ नहीं खाया है, सावन्या की सांस चल रही थी, मुझे भी लगा कि परिवार के साथ वार्ड तक जाना चाहिए. वार्ड के बाहर ही मेरे साथी कैमरामैन अशोक को ये कहकर रोक दिया कि मीडिया को अंदर जाने की इजाजत नहीं है पर फिर भी मैं बिना कैमरामैन परिवार के साथ वार्ड के अंदर चला गया. सावन्या थोड़ी-सी बेचैन होने लगी. परिवार ने मुंह खोलकर पानी पिलाया तो सावन्या ने उल्टी कर दी. मां ने उसे अपनी गोद में ले लिया बोली देखो बेड मिल गया है. अब आराम से यहां सो जाऔर गर्मी नहीं लगेगी.