टीम इंडिया में 'सूर्य' की जोड़ी जमा रही रंग, 42 मैचों में ही हासिल कर लिए 424 विकेट
टीम इंडिया में 'सूर्य' की जोड़ी जमा रही रंग
रवि अश्विन (R Ashwin) और रवि जडेजा (Ravindra Jadeja) की जोड़ी. रवि मतलब सूर्य. वाकई में टीम इंडिया के लिए ये दोनों दिग्गज स्पिनर पिछले एक दशक में सूरज की रोशनी की ही तरह चमकते दिख रहे हैं. 42 टेस्ट मैचों के दौरान इस जोड़ी ने 424 विकेट हासिल किए हैं जिसका मतलब है औसतन हर टेस्ट में 10 से ज्यादा विकेट. अनिल कुंबले (Anil Kumble) और हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) की जोड़ी ने भारत के लिए अश्विन-जडेजा की जोड़ी से ज्यादा विकेट लिए हैं. 54 टेस्ट में 501 विकेट लेकिन हर मैच में इस जोड़ी का औसत 9 से सिर्फ थोड़ा ज्यादा जो कि अश्विन-जडेजा से कम है.
बहरहाल, अश्विन और रवींद्र जडेजा की जोड़ी का लक्ष्य साथ में कम कम से 90 टेस्ट खेलने का होना चाहिए जिससे वो मुथैया मुरलीधरन और सनथ जयसूर्या वाली श्रीलंकाई जोड़ी के 667 विकेट के वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ पायें. स्पिन जोड़ी के तौर पर उन दोनों श्रीलंकाई गेंदबाजों के आगे कोई नहीं टिकता है. लेकिन, जिस रफ्तार में भारतीय जोड़ी विकेट हासिल कर रही है उससे तो यही लगता है उन्हें इस लक्ष्य. को हासिल करने के लिए ना तो 90 टेस्ट और लंबे समय का इतंजार करना पड़े क्योंकि लंकाई जोड़ी अमूमन हर टेस्ट में सिर्फ 7 से ही ज्यादा विकेट ले पाती थी.
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श्रीलंका के खिलाफ मोहाली टेस्ट में इस जोड़ी ने ना सिर्फ गेंद से बल्कि बल्ले से भी कमाल दिखाया. अगर अश्विन ने नाजुक लम्हें में अर्धशतक बनाया तो जडेजा को थोड़ा वक्त और मिल जाता तो अपने करियर का पहला दोहरा शतक जमा देते. जडेजा को इस बात का भी थोड़ा मलाल रहेगा कि सिर्फ और सिर्फ अगर वो एक विकेट और ले लेते तो एक टेस्ट में शतक बनाने के लिए 10 विकेट हासिल करने वाले 145 सालों के टेस्ट इतिहास में सिर्फ चौथे खिलाड़ी बन जाते. लेकिन, जडेजा को ये भी बखूबी एहसास है कि दूसरे छोर पर अगर अश्विन जैसा साथी है तो उन्हें हर विकेट के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा क्योंकि अश्विन के सामने विरोधी बल्लेबाजों का भारत में ज्यादा समय तक के लिए टिकना सामान्य बात नहीं मानी जाती है.
अगर जडेजा के लिए मोहाली का मैदान यादगार रहा क्योंकि उन्हें लगातार तीसरे टेस्ट में यहां मैन ऑफ दे मैच का खिताब जीता. वहीं अश्विन के लिए भी मोहाली का मैदान यादगार रहेगा क्योंकि इसी शहर(चंडीगढ़) से कपिल देव जैसा दिग्गज भी भारतीय क्रिकेट में आया और आकर छा गया था. उसी महान कपिल देव के 434 टेस्ट विकटों के रिकॉर्ड को अश्विन ने इस मैदान पर तोड़ा लेकिन, ये कोई साधारण बात नहीं थी.
ये जरूर है अश्विन की काबिलियत और हाल के सालों में उनके विकेट लेने की अद्भुत रफ्तार को देखते हुई ये बिल्कुल अवश्यंभावी लग रहा था लेकिन इतने बड़े अंतर से अश्विन कपिल जैसे दिग्गज को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ेंगे, इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो, आज से एक दशक पहले. कपिल देव को अगर इस मुकाम तक पहुंचने में 132 टेस्ट लगे तो अश्विन ने ये कमाल सिर्फ 85वें टेस्ट में दिखा दिया. 45 टेस्ट पहले.
अब आप सोचेंगे 45 टेस्ट के क्या मायने हैं तो आपको बता दूं कि भारत के महान स्पिनर्स में से एक वीनू मांकड़ ने अपने पूरे करियर में सिर्फ 44 टेस्ट ही खेले और इस दौरान उन्होंने 162 विकेट झटके!
जडेजा और अश्विन की शायद क्रिकेट से एक ही तरह की एक शिकायत हो. दोनों की महानता और उनके रिकॉर्ड को कई क्रिकेट जानकार उतनी अहमियत नहीं देते जिसके वो हकदार है.
इन दोनों खिलाड़ियों के भारत में असाधारण रिकॉर्ड को अक्सर फीका करने के लिए इनके ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीकी सरजमीं पर खेल की तुलना से गुजरवाने की कोशिश की जाती है. लेकिन, पश्चिमी देशों के आलोचक ये भूल जातें हैं कि स्टुअर्ट ब्रॉड, मोर्ने मार्केल और ट्रेंट बोल्ट समेत ना जाने कितने उम्दा विदेशी गेंदबाजों का रिकॉर्ड भारतीय जमीं पर उन्हें बेहद बौना साबित करता है.
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अश्विन और जडेजा की गेंदबाजी के अलावा उनकी बल्लेबाजी को भी वो सम्मान नहीं मिलता है जिसके वो हकदार हैं. अब आप खुद सोचिए कि जडेजा ने पिछले 5 साल में करीब 50 की औसत से टेस्ट क्रिकेट में रन बनायें है लेकिन आपने इस बात की कितनी चर्चा सुनी है? ठीक उसी तरह अश्विन ने अपने पूरे करयिर में 5 टेस्ट शतक जमायें हैं लेकिन कोई उन्हें बल्लेबाज तो दूर की बात ऑलराउंडर कहने में भी हिचकिचाता है. विनोद कांबली, संजय मांजरेकर और यहां तक युवराज सिंह ने भी टेस्ट क्रिकेट में उतने शतक नहीं लगा पाए हैं जितने कि चेन्नई के अश्विन ने जमाए हैं.
ये ठीक है कि मौजूदा श्रीलंकाई टीम टेस्ट क्रिकेट में बेहद मजबूत नहीं है लेकिन इसमें कसूर इस जोड़ी का तो नहीं है. अपने शानदार खेल से फिर से जिस तरह से इन्होंने समां बांधा है कि जयंत यादव और कुलदीप यादव जैसे खिलाड़ियों के लिए फिलहाल टेस्ट क्रिकेट में बहुत मौके नहीं मिल पायेंगे. युजवेंद्र चहल तो इनकी मौजूदगी के चलते टेस्ट क्रिकेट में तो दस्तक भी नहीं दे पाए हैं जबकि अक्षर पटेल बेहद शानदार शुरुआत के बावजूद प्लेइंग-XI में दोबारा आसानी से वापसी करते नहीं दिख रहें हैं. और यही बात अश्विन और जडेजा को खडास बनाती है. ये दोनों ना सिर्फ एक दशक से शानदार खेल दिखा रहें है कि आने वाली पीढ़ी के सामने जबरदस्त चुनौती भी पेश कर रहें है कि अगर दम हैं तो हमें हटाओ.
अश्विन अब 36 साल तरफ बढ़ते दिख रहें हैं और जडेजा 34 की तरफ. आने वाले वक्त में उम्र के चलते थकान का असर इनकी क्रिकेट पर देखने को मिल सकतें है लकिन जब तक ये जोड़ी रंग जमा रही है, इसका भरपूर आनंद उठा लें क्योंकि ऐसी जोड़ी बड़ी किस्मत और मेहनत से बनती है और टीम इंडिया इस मामलें में काफी भाग्यशाली है कि उन्हें कुंबले-हरभजन के बाद उतनी ही कामयाब जोड़ी मिल गई.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.