जूता कांड से चर्चित हुए पूर्व सांसद शरद त्रिपाठी का दिवंगत होना और यूपी की राजनीति

जूता कांड से चर्चित

Update: 2021-07-01 14:12 GMT

संयम श्रीवास्तव। बुधवार देर रात गुड़गांव (Gurugram) के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) में संतकबीर नगर उत्तर प्रदेश से पूर्व सांसद रहे बीजेपी नेता शरद त्रिपाठी (Sharad tripathi) का निधन हो गया. बताया जा रहा है कि काफी दिन से वो लिवर संबंधी किसी बीमारी से परेशान थे. डीएम की मीटिंग में अपनी ही पार्टी के विधायक की जूते से पिटाई करके पूरे देश में चर्चा में आए पूर्व सांसद उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता और देवरिया से बीजेपी सांसद रमापति राम त्रिपाठी के पुत्र थे. कहते हैं कि जब आदमी के ग्रह नक्षत्र गड़बड़ाते हैं तो लाख कोशिशों के बावजूद चीजें आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती हैं. कोई भी शख्स अपने जीवन में कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहता जिससे उसका करियर चौपट हो जाए. ऐसा कार्य कोई तभी करता है जब उसके सर के ऊपर से पानी बहने लगता है.

यूं कहें कि ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जो बर्दाश्त के बाहर हो जाती हैं. कुछ ऐसी ही परिस्थितियां बनीं होंगी शरद त्रिपाठी के साथ जिसके चलते उन्हें भरी सभा में वो कृत्य करने के लिए मजबूर होना पड़ा जो कोई राजनीतिक शख्स नहीं करना चाहेगा. इस घटना की कीमत भी उन्हें चुकानी पड़ी. बीजेपी का टिकट तो नहीं ही मिला मेन स्ट्रीम राजनीति के लिए भी वो अछूत बन गए. इसके बाद शरीर ने भी स्वास्थ्य छोड़ना शुरू कर दिया. बीमार हुए और दिन प्रति दिन कमजोर होते गए. आखिर में उनको बचाया नहीं जा सका.
पीएम मोदी, नड्डा और ईरानी ने दी श्रद्धांजलि
हालांकि, शरद त्रिपाठी की मौत के बाद बीजेपी ने जो जेस्चर दिखाया वो बहुत शानदार रहा. कई बार ऐसा होते देखा गया है कि एक बार नाम पर कोई दाग लगने के बाद पार्टियां उन्हें भुला देती हैं. लेकिन शरद त्रिपाठी के लिए बीजेपी ने अपना बड़ा दिल दिखाया है. सुबह से ही लगातार श्रद्धांजलियों का तांता लगा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिवंगत सांसद शरद त्रिपाठी को गुरुवार सुबह-सुबह उनको ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी. पीएम ने न केवल उनको याद किया बल्कि भारतीय परंपरा के हिसाब से उनका महिमामंडन भी किया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनकी मौत को बीजेपी के लिए अपूरणीय क्षति बताया. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव नारायण सिंह ने भी शरद त्रिपाठी को भावभीनि श्रद्धांजलि अर्पित की है.
पूर्वी यूपी की राजनीति को प्रभावित करेगी यह श्रद्धांजलि
दरअसल ब्राह्मण वर्सेस क्षत्रिय राजनीति का केंद्र रहा है गोरखपुर, यहीं से पूर्वी यूपी की जातिगत राजनीति करीब 6 दशकों से संचालित होती रही है. हर दशक में चेहरे बदल जाते हैं पर ब्राह्मण बनाम क्षत्रियों के वर्चस्व की जंग चलती रहती है. गोरखनाथ मंदिर हिंदुओं के लिए भारत से लेकर नेपाल तक के लिए बहुत पवित्र स्थान है. इस कारण यहां से हिंदू राजनीति का पताका भी विस्तार पाता रहा है. गोरखपुर से सटे संतकबीर नगर में जिला प्रशासन की एक बैठक में शरद त्रिपाठी का जूता विधायक राकेश सिंह बघेल के सिर पर पड़ा था. बताया जाता है कि राकेश सिंह बघेल यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बहुत खास थे.
घटना के समय पूर्वी यूपी में ब्राह्मण और राजपूतों ने सोशल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ जिस तरह का मोर्चा खोल रखा था उससे बीजेपी की सांस अटक गई थीं. क्योंकि घटना के कुछ दिन बाद ही देश में आम चुनाव थे. बीजेपी ब्राह्मण या क्षत्रिय दोनों में से किसी को नाराज नहीं कर सकती थी. बड़ी मुश्किल से यूपी में कांग्रेस छोड़कर ब्राह्मण वोट बीजेपी में शिफ्ट हुए थे, उसे बीजेपी इस घटना के चलते अपने से दूर नहीं कर सकती थी. शरद त्रिपाठी का टिकट काटने पर ब्राह्मणों की नाराजगी और न काटने पर ठाकुरों की नाराजगी को देखते हुए पार्टी ने बीच का रास्ता निकाला. शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर उनके पिता रमापति राम त्रिपाठी को देवरिया से टिकट दिया गया. जबकि बीजेपी की लिहाज से वो मार्गदर्शक मंडल के सदस्य बन चुके थे. फिलहाल बीजेपी की रणनीति काम आई और पार्टी संतकबीर नगर और देवरिया दोनों ही सीट जीतने में कामयाब ही नहीं रही बल्कि ब्राह्मणों का वोट भी भर-भर कर मिला.
पूर्वी यूपी में फिर एक बार कुछ ऐसी ही सिचुएशन क्रिएट हो रही है. गोरखनाथ मठ ठाकुरों की पीठ रही है. माना जाता है कि जन्म से क्षत्रिय लोगों को ही इस पीठ का महंत होने का सौभाग्य मिलता है. प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी इसी मठ के महंत हैं. इसके पहले योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ और अवैद्यनाथ के गुरु दिग्विजयनाथ के समय भी यह पीठ पूर्वी यूपी की राजनीति की धुरी रही है. योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद लगातार उनपर क्षत्रियों के लिए सॉफ्ट होने का आरोप लगता रहा है. इसलिए पार्टी को ब्राह्मण वोटों के छिटकने का डर सता रहा है. दूसरी ओर प्रियंका गांधी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी ब्राह्वण वोटर्स को खुश रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. यह देखते हुए बीजेपी भी ब्राह्मण वोटों को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार है.
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