ईश ने ही रोहित शर्मा जैसे धुरंधर बल्लेबाज को आउट किया। टीम इंडिया 50 रन तक 4 शुरुआती बल्लेबाज खो चुकी थी, लिहाजा टीम की रीढ़ टूटना स्वाभाविक था। हार्दिक पंड्या और पंत भी अपने चिर-परिचित अंदाज में नहीं खेल सके। हम यह मानने को भी तैयार नहीं हैं कि फॉर्म खो चुके खिलाडि़यों पर ही टीम प्रबंधन ने दांव लगाया था। दरअसल हमारे खिलाड़ी दबाव में खेलते महसूस हुए। ऐसा लगा मानो पाकिस्तान के खिलाफ करारी हार ने उनका मनोबल तोड़ कर रख दिया हो! खेल में हार-जीत अप्रत्याशित नहीं है, लेकिन टीम इंडिया टी-20 विश्व कप की सबसे पसंदीदा टीम मानी गई थी। खिताब की प्रबल दावेदार….! टी-20 क्रिकेट में टीम इंडिया को महारत भी हासिल है, लेकिन अब अंकों के नाम पर फिलहाल हमारे सामने 'शून्य' लिखा है। अफगानिस्तान के नाम भी दो जीत दर्ज हैं और वह दूसरे स्थान पर है। हम सेमीफाइनल में तभी पहुंच सकते हैं, जब अफगानिस्तान, नामीबिया और स्कॉटलैंड को बेहतर अंतर से पराजित करें और न्यूज़ीलैंड अफगानिस्तान से मैच हार जाए।
पराजय के बाद कैसी फालतू कल्पनाएं दिमाग में जन्म लेने लगती हैं! क्रिकेट भारतीयों के लिए धर्म से कम नहीं है। औसत भारतीय देश के विभिन्न हिस्सों में टीम इंडिया की जीत के लिए हवऩ, यज्ञ, पूजा-पाठ करते हैं। धर्मस्थलों में जाकर मन्नतें मांगते हैं। उनकी अपेक्षाओं, भावनाओं और उम्मीदों को समझें। टीम इंडिया का ही नहीं, औसत क्रिकेटर भी आज करोड़पति है। देश ने उन्हें संसाधन और सम्मान दिए हैं। ऐसा नहीं है कि आप हर मैच में जीत ही हासिल करेंगे, लेकिन यह भी समझ के परे है कि बड़ी कसौटियों पर आकर हमारे खिलाड़ी नाकाम क्यों हो जाते हैं? जिस स्पिनर वरुण चक्रवर्ती का चयन 'रहस्यमय गेंदबाज' के तौर पर किया गया था, वह दूसरे मैच में भी सिफर रहा है। अभी तक विश्व कप में जितने भी मैच खेले गए हैं, उनमें से तीन टीमोें ने ही पहले बल्लेबाजी कर मैच जीते हैं। स्कॉटलैंड और नामीबिया के खिलाफ अफगानिस्तान और बांग्लादेश के खिलाफ वेस्टइंडीज पहले बल्लेबाजी कर जीते हैं। यह भी तथ्य सामने आया है कि सिर्फ दो बार बांग्लादेश ने 171/4 और अफगानिस्तान ने 190/4 रन पहले बल्लेबाजी करते हुए मैच जीते हैं। सिर्फ पिच को बहाना नहीं बनाया जा सकता कि हमारे बल्लेबाज नमीदार पिच पर अच्छी तरह बल्लेबाजी नहीं कर सके। विश्व कप के बाद विराट कप्तानी छोड़ देंगे, यह उन्होंने पहले ही घोषणा कर रखी है, लेकिन दुर्भाग्य होगा कि उनकी कप्तानी के नाम आईसीसी की कोई भी ट्रॉफी नहीं है। बहरहाल इसे एक दुःस्वप्न मान कर ही छोड़ना बेहतर होगा, क्योंकि टीम इंडिया विश्व की नंबर दो टीम है।