सोशल मीडिया: दूसरों तक बात पहुंचाने में जितना मददगार, उतना ही झूठ का जरिया भी
अमेरिकी संसद की एक समिति की ओर से फेसबुक और ट्विटर के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और जैक डोर्सी को एक बार फिर तलब किया गया।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिकी संसद की एक समिति की ओर से फेसबुक और ट्विटर के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और जैक डोर्सी को एक बार फिर तलब किया गया। इसके पहले अक्टूबर में भी उन्हें तलब किया गया था। तब उनके साथ गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई भी थे। उस दौरान उन्हें और खासकर जैक डोर्सी को खासी फटकार लगाई गई थी, क्योंकि ट्विटर ने जो बाइडन के खिलाफ न्यूयार्क पोस्ट को अपनी एक खबर साझा करने से रोक दिया था। चूंकि ट्विटर के पास ऐसा करने का कोई ठोस आधार नहीं था इसलिए उसने माफी मांग कर न्यूयार्क पोस्ट की उक्त खबर के खिलाफ उठाए गए अपने मनमाने कदम को वापस ले लिया। उस समय जैक डोर्सी उक्त समिति के ऐसे सवालों के भी जवाब नहीं दे सके थे कि वह किस आधार राष्ट्रपति ट्रंप के ट्वीट को तो गलत सूचना कहकर 'लेबल' कर देते हैं, लेकिन ईरान के अयातुल्ला खामनेई के उन ट्वीट के खिलाफ कुछ नहीं करते, जिनमें वह इजरायल के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल करने की धमकी दे रहे होते हैं?
एकाउंट को निलंबित करने की मांग पर ट्विटर ने महातिर को क्यों बख्श दिया
ट्विटर की ओर से अभी तक इस सवाल का भी जवाब नहीं दिया गया कि उसने मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मुहम्मद के उस ट्वीट को हटाया भर क्यों, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमानों को फ्रांस के लाखों लोगों का कत्ल करने का अधिकार है। आम तौर पर ट्विटर हिंसा की ऐसी खुली वकालत करने वालों के एकाउंट निलंबित कर देता है, लेकिन कोई नहीं जानता कि उसने महातिर को क्यों बख्श दिया और वह भी तब जब फ्रांस के एक मंत्री ने उनके एकाउंट को निलंबित करने की मांग करते हुए कहा था कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो यह हत्या के आह्वान में ट्विटर की भागीदारी का प्रमाण होगा। इसके बावजूद ट्विटर के कान पर जूं नहीं रेंगी।
ट्विटर, फेसबुक का मनमाना रवैया, भिन्न-भिन्न देशों के लिए अलग-अलग मानदंड
सोशल मीडिया कंपनियों और खासकर ट्विटर, फेसबुक का मनमाना रवैया नया नहीं है। इन कंपनियों ने भिन्न-भिन्न देशों के लिए अलग-अलग मानदंड अपना रखे हैं। हालांकि इन कंपनियों को चीन ने अपने यहां घुसने नहीं दिया है, लेकिन चीन सरकार और उसके नेता इनके प्लेटफार्म पर सक्रिय हैं और कई बार तो आपत्तिजनक टिप्पणियां भी करते रहते हैं। किसी को नहीं पता कि जिस चीन ने फेसबुक और ट्विटर समेत अन्य सोशल मीडिया कंपनियों को प्रतिबंधित किया हुआ है, उसी के प्रति वे इतना नरम रवैया क्यों अपनाए हुए हैं?
सोशल मीडिया की जवाबदेही बढ़ रही है, लेकिन गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार से लोग परेशान है
जैसे-जैसे सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही की जरूरत बढ़ रही है, वैसे-वैसे वे और गैर-जिम्मेदार होती जा रही हैं। इन कंपनियों के ऐसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार से भारत भी दो-चार हो रहा है। कुछ समय पहले जिस ब्रिटिश सलाहकार फर्म कैंब्रिज एनालिटिका की ओर से फेसबुक के पांच करोड़ लोगों का डाटा चोरी कर उसका राजनीतिक इस्तेमाल करने का मामला सामने आया था, उसकी सेवाएं लेने का आरोप कांग्रेस पर भी लगा था और भाजपा पर भी।
फेसबुक की वजह से दुनिया के कई देशों में दंगे भड़क चुके हैं
जब अमेरिका में इस मामले ने बहुत तूल पकड़ा और मार्क जुकरबर्ग को वहां की संसद में तलब किया गया तो उन्होंने माफी मांग कर कर्तव्य की इतिश्री कर ली। फेसबुक की वजह से दुनिया के कई देशों में दंगे भड़क चुके हैं और उसने कई देशों के चुनाव भी प्रभावित किए हैं, लेकिन इस तरह के प्रत्येक मामलों में जुकरबर्ग हर बार माफी मांग कर बच निकले हैं।
सोशल मीडिया आधी-अधूरी, एकपक्षीय, निराधार और झूठी खबरों के गढ़ भी हैं
इसमें संदेह नहीं कि सोशल मीडिया कंपनियों ने लोगों को जहां अपनी बात कहने, संवाद करने की सहूलियत प्रदान की है, वहीं शासन-प्रशासन को भी अपनी बात जनता तक पहुंचाने की सुविधा दी है, लेकिन इसमें भी दोराय नहीं कि उनके प्लेटफार्म आधी-अधूरी, एकपक्षीय, निराधार और झूठी खबरों के सबसे बड़े गढ़ भी हैं। सोशल मीडिया लोगों को अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने में जितना मददगार है, उतना ही झूठ और वैमनस्य फैलाने का जरिया भी है। सोशल मीडिया कंपनियां प्रकट रूप में यह दावा करती हैं कि वे फर्जी खबरों से लड़ने का काम करती हैं, लेकिन हकीकत इसके उलट है। इन कंपनियों की ओर से यह भी दावा किया जाता है कि वे नफरती बातों के खिलाफ हैं, लेकिन नफरत फैलाने का काम उनके ही जरिये किया जाता है।
ट्विटर पर आपत्तिजनक, वैमनस्य फैलाने और गाली-गलौज वाले हैशटैग बढ़ते जा रहे हैं
ट्विटर पर घोर आपत्तिजनक, वैमनस्य फैलाने और गाली-गलौज वाले हैशटैग समय के साथ बढ़ते जा रहे हैं। 10-20 लोग ठान लें तो वे मिलकर किसी के भी खिलाफ कितना भी भद्दा-ओछा हैशटैग ट्रेंड करा सकते हैं। ट्विटर ऐसे लोगों के खिलाफ कुछ नहीं करता। एक के बाद एक अध्ययन यही बता रहे हैं कि सोशल मीडिया कंपनियां फर्जी खबरों और नफरती बयानों को रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही हैं।
सोशल मीडिया की मनमानी बढ़ती जा रही, ट्विटर पर लेह की भौगोलिक स्थिति चीन में दिखाया गया
सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी किस तरह बढ़ती जा रही है, इसका ताजा उदाहरण है ट्विटर की ओर से अभी हाल में लेह की भौगोलिक स्थिति चीन में दिखाया जाना। इस पर भारत सरकार की ओर से आपत्ति जताए जाने पर ट्विटर ने कहा कि वह भारत की भावनाओं का सम्मान करता है। संसद की एक समिति ने उसके इस जवाब को नाकाफी बताया। यह नाकाफी साबित भी हुआ।
क्यों न ट्विटर के खिलाफ कार्रवाई की जाए?
ट्विटर ने भारतीय मानचित्र को पूरी तरह सही करने के बजाय लेह की भौगोलिक स्थिति जम्मू-कश्मीर में दिखानी शुरू कर दी। इस पर बीते नौ नवंबर को उसे नोटिस देकर यह पूछा गया कि क्यों न उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए?
ट्विटर ने अमित शाह के ट्विटर एकाउंट से उनकी प्रोफाइल फोटो हटा दी
क्या ट्विटर सुधरने को तैयार होगा? कहना कठिन है, क्योंकि यह नोटिस जारी होने के चार दिन बाद उसने गृहमंत्री अमित शाह के ट्विटर एकाउंट से उनकी प्रोफाइल फोटो हटा दी। जब इस पर सवाल उठे तो कभी यह कहा गया कि कथित कॉपीराइट दावे के कारण ऐसा हुआ और कभी यह कि गलती से ऐसा हो गया था, अब सुधार दिया गया है। पता नहीं सच क्या है, लेकिन एक धारणा यह भी है कि ट्विटर ऐसा करके भारतीय शासन के रुख-रवैये की थाह लेना चाह रहा था। यदि सोशल मीडिया कंपनियां मनमानी करने में सक्षम हैं तो इसकी एक वजह सरकारों की शिथिलता भी है।