स्मार्टफोन की चमक
आवश्यक वस्तुओं को छोड़ दिया जाए, तो ज्यादातर वस्तुओं की मांग और खपत कम हुई।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैश्विक महामारी से लड़ाई के क्रम में लागू की गई पूर्णबंदी के बाद पिछले करीब छह महीने के दौरान अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई। कुछ आवश्यक वस्तुओं को छोड़ दिया जाए, तो ज्यादातर वस्तुओं की मांग और खपत कम हुई। लेकिन इस बीच एक अहम खबर यह आई है कि बाजार में स्मार्टफोन के कारोबार में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है।
बाजार शोध कंपनी कैनालिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जुलाई से लेकर सितंबर के बीच स्मार्टफोन की बिक्री आठ फीसद तक बढ़ी है। महज तीन महीने की अवधि में करीब पांच करोड़ नए स्मार्टफोन बिके। भारत में किसी एक तिमाही में इतने ज्यादा स्मार्टफोन बिकने का यह अब तक का सर्वोच्च स्तर है। माना जा रहा था कि चीन से तनाव और दूसरे कारोबारी मसलों की वजह से चीन में बने मोबाइल फोन की बिक्री में भी गिरावट आएगी। लेकिन अब जो आंकड़े आए हैं, उससे साफ है कि चीन से तनाव का वहां निर्मित मोबाइलों की खरीदारी के निर्णय पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
बल्कि स्मार्टफोन के बाजार में सभी चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी करीब छिहत्तर फीसद रही। इसके अलावा, बाजार के लिए ही आंकड़े जुटाने वाली कंपनी टेकआर्क ने अपनी एक रिपोर्ट में अगले दो महीने में स्मार्टफोन की बिक्री में छत्तीस फीसद तक वृद्धि का अनुमान जताया है। गौरतलब है कि पूर्णबंदी लागू होने के बाद शुरुआती कुछ समय तक बाकी सभी व्यवसायों की तरह मोबाइल की बिक्री पर भी विपरीत असर पड़ा था। जून में एक रिपोर्ट में यह बताया गया था कि स्मार्टफोन की बिक्री में बीस फीसद तक की गिरावट आएगी, क्योंकि मांग में भारी कमी के मद्देनजर इसकी आपूर्ति भी कम हुई।
जाहिर है, समूचे देश में जब पूर्णबंदी सख्ती से लागू थी, तब लगभग सभी आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ी थीं और आमदनी बंद या कम होने की वजह से लोगों के सामने अपना खर्च कम करने की मजबूरी थी। इस वजह से बहुत सारे लोगों ने तब जरूरत के बावजूद कुछ वस्तुओं को खरीदना टाल दिया था। लेकिन पूर्णबंदी में राहत के साथ जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने की दिशा में बढ़ रही हैं, लोगों की आय के स्रोत खुल रहे हैं, वैसे-वैसे स्मार्टफोन की बिक्री में इजाफा हुआ है। लेकिन इसका कारण जितना आर्थिक है, उससे ज्यादा यह हुआ है कि ऐसी बहुत सारी जरूरतें इंटरनेट और स्क्रीन पर आधारित होती जा रही हैं, जिन्हें पूरा करना स्मार्टफोन या कंप्यूटर के बिना संभव नहीं है।
मसलन, पिछले सात महीने से स्कूल-कॉलेज बंद हैं। शिक्षण संस्थानों में नियमित पढ़ाई बाधित होने की स्थिति में एक विकल्प यह निकाला गया कि विद्यार्थियों को आॅनलाइन पढ़ाया जाए। मगर ई-लर्निंग विकल्प में शामिल होने के लिए विद्यार्थियों के घर में इंटरनेट सहित कंप्यूटर या फिर स्मार्टफोन अनिवार्य है। ऐसे में बड़ी तादाद में लोगों ने अपने दूसरे खर्चों में कटौती करके भी अपने बच्चों के लिए स्मार्टफोन खरीदे। इसके अलावा, कई कंपनियों ने अपने आॅनलाइन मंचों का दायरा और व्यापक किया है और वे लोगों को घर बैठे कोई जरूरत का सामान या फिर अन्य सुविधा मुहैया कराने का आश्वासन दे रही हैं।
फिर कई ऐसे क्षेत्र भी हैं, जिनमें सुविधाओं का इस्तेमाल केवल आॅनलाइन या इंटरनेट पर निर्भर है। यही वजह है कि लघु-कंप्यूटर की तरह उपयोग में आने वाले स्मार्टफोन की बिक्री में काफी तेजी आई है। मगर सवाल है कि महामारी के आलोक में बन रही एक तरह की नई व्यवस्था में जैसे रोजी-रोजगार के अवसर फिलहाल कम हुए हैं और ज्यादातर चीजें इंटरनेट आधारित होती जा रही हैं, उसमें अभाव से दो-चार परिवारों के लिए क्या और कैसी जगह बचेगी!