आरटीओ पहुंचते ही दलालों की नजरें ऐसे घूरती हैं जैसे कि कोई खजाना हाथ लगने वाला हो। परिवहन कार्यालयों में काम के लिए दलालं का सहारा लेना लोगों की मजबूरी बना दिया गया है। वहां पहुंचते ही दलाल आपके कान में फुसफुसाते हैं, क्या बनवाना है। दलाल से मिलते ही पता चल जाता है कि लाइसेंस बनवाने से लेकर गाड़ी के रजिस्ट्रेशन तक प्रत्येक कार्य के लिए उसका अलग शुल्क निर्धारित है। अगर आपको कोई कार्य है तो आप घर बैठे अपना काम करा सकते हैं। अगर आप उपस्थित हैं तो कम पैसे देने पड़ेंगे, लेकिन अगर आप अनुपस्थित हैं तो दलाल को अधिक शुल्क देना पड़ेगा। देशभर में लोग अपने काम दलालों के माध्यम से कराते हैं, इससे उन्हें बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ते। भले ही आपको दोपहिया वाहन चलाना न आता हो लाइसेंस आपको कार चलाने का भी मिल जाएगा। वैसे भी देश के लोगों में ड्राइविंग सेंस का अभाव है। महानगरों की सड़कों पर ही देख लीजिए। लोग अंधाधुंध गाड़ियां भगाते हैं और ओवरटेक कर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड मची रहती है।
सड़कों पर वाहन दुर्घटनाओं के चलते दुनियाभर में होने वाली मौतों में 11 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं। डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है। भारत में सालाना साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमे यह इसी बात का नतीजा है कि रिश्वत लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते हैं। फेसलैस सर्विसेज में ड्राइविंग लाइसेंस बनाना इतना आसान होगा। जब आप ई-लर्निंग के लिए आनलाइन टेस्ट देंगे तो आपको ट्रेफिक बुक पढ़नी ही पड़ेगी। आपको ट्रैफिक संकेतों का पूरा ज्ञान होना ही चाहिए। पहले यह काम खुद दलाल आरटी आफिस के कर्मचारियों की मदद से करवा लेते थे। आपको कम्प्यूटर के आगे बैठा दिया जाता था और कर्मचारी आपकी अंगुलियों की जगह अपनी अंगुलियों का इस्तेमाल कर टेस्ट में पास कर देता था। अब आपको पूरी तरह तैयारी करनी ही होगी। इससे अंधाधुंध ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की रफ्तार पर अंकुश लगेगा। यद्यपि भारत में नए मोटर व्हीकल एक्ट में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर भारी-भरकम जुर्माना वसूला जाता है लेकिन विदेशों में ट्रेफिक नियम बहुत ही सख्त हैं।
एशियाई देशों में नशे में गाड़ी चलाने पर सख्त जुर्माने के साथ-साथ 2 साल की सजा का भी प्रावधान है। ताइवान जैसे देश में नशे में गाड़ी चलाने पर 6700 डालर यानी 4 लाख 82 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। अगर नशे की हालत में दुर्घटना हो जाए तो 7 साल की सजा और किसी की मौत होने पर दस साल की सजा दी जाती है। यूरोपीय देशों में तो जुर्माना लाखों पाउंड में किया जाता है। ड्राइविंग लाइसेंस भी इतनी आसानी से नहीं बनता, उसके लिए कई-कई बार टेस्ट देने पड़ते हैं। वहां जान की कीमत समझी जाती है, लेकिन भारत में सब चलता है। अगर हमने अपने जीवन को सुरक्षित बनाना है तो हमें खुद को बदलना होगा।
हमें खुद को ट्रेफिक नियमों का पालन करने वाले नागरिक के रूप में बदलना होगा। यदि ड्राइविंग लाइसेंस ही ईमानदारी से बनेंगे तो सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। अब तो ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए ड्राइवर को ऑटोमेटिक ट्रैक से गुजरना होगा। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट को कठिन भी बनाया जा रहा है। दिल्ली सरकार का आरटीओ की फेसलैस सेवाओं की शुरूआत करके अनुकरणीय पहल की है। देखना होगा अब सक्रिय दलाल क्या तोड़ निकालते हैं। सेवाओं को सफल बनाने के लिए ईमानदारी और पारदर्शिता की जरूरत है। अन्य राज्यों को भी दिल्ली का अनुकरण कर आरटीओ सेवाओं को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की पहल करनी होगी। इसके लिए इच्छाशक्ति की जरूरत है, जो केजरीवाल सरकार ने दिखा दी है।