एहतियात में चूक का नतीजा

बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान पूजा पंडालों और हिंदू समुदाय पर हुए हमले की उचित ही पूरी दुनिया में निंदा हुई

Update: 2021-10-22 13:03 GMT

हालांकि सरकार ने इससे पहले इस तरह के हमले को लेकर चेतावनी जारी की थी, लेकिन उसके मुताबिक प्रशानिक इंतजाम नहीं किए गए। उसका खामियाजा हिंदुओं को भुगतना पड़ा। बहरहाल, अब उसकी परीक्षा इस बात से होगी कि जिन लोगों ने हिंसा की, उन्हें कितनी तेजी से और कितनी सख्त सजा दी जाती है। bangladesh comilla violence durgapandal


बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान पूजा पंडालों और हिंदू समुदाय पर हुए हमले की उचित ही पूरी दुनिया में निंदा हुई है। अल्पसंख्यक की किसी देश में कमजोर अवस्था में रहते हैं। ऐसे में उन्हें संरक्षण देना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। कहा जा सकता है कि बांग्लादेश की पुलिस हिंदू समुदाय की सुरक्षा के एहतियाती उपाय करने में नाकाम रही। लेकिन बाद की प्रतिक्रिया त्वरित और स्वागतयोग्य रही है। प्रधानमंत्री शेख हसीना का यह एलान आश्वस्त करने वाला रहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उतना ही सकारात्मक घटनाक्रम बांग्लादेश के सिविल सोसायटी की प्रतिक्रिया रही। ढाका यूनिवर्सिटी के हजारों छात्रों और शिक्षकों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर पीड़ितों को न्याय देने की मांग की। दक्षिण एशिया के दूसरे देशों में अब अल्पसंख्यकों के प्रति ऐसी संवेदनशीलता काफी कम देखने को मिलती है। बल्कि माहौल लगातार जहरीला होता गया है। इसके मद्देनजर दुखद घटनाओं के बीच भी बांग्लादेश में दिखा रूझान राहत देने वाला रहा। फेसबुक पर इस्लाम के खिलाफ कथित पोस्ट के बाद ये हिंसा भड़की।

दुर्गा पूजा के दौरान राजधानी ढाका समेत अन्य शहरों में पूजा पंडालों, मंदिरों और हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा हुई। उसी क्रम में हिंदू परिवारों के दो दर्जन से अधिक घर जला दिए गए। हालांकि सरकार ने इससे पहले इस तरह के हमले को लेकर चेतावनी जारी की थी, लेकिन उसके मुताबिक प्रशानिक इंतजाम नहीं किए गए। उसका खामियाजा हिंदुओं को भुगतना पड़ा। घटनाएं होने के बाद सरकार ने चुस्ती बरती। बहरहाल, अब उसकी परीक्षा इस बात से होगी कि जिन लोगों ने हिंसा की, उन्हें कितनी तेजी से और कितनी सख्त सजा सुनाई जाती है। इसके अलावा भविष्य में हिंदुओं की रक्षा के लिए कितने पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं, उस पर भी नजर रहेगी। इस प्रकरण में सोशल मीडिया की भूमिका फिर विवादित हुई है। ऐसे माध्यमों का इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए किया जाता है। ऐसे में क्या उन्हें भी हिंसा के लिए जिम्मदार ठहराया जाना चाहिए, इस सवाल पर अब चर्चा की जरूरत है। गौरतलब है कि बांग्लादश में सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ी थी कि चटगांव के कोमिला इलाके में पूजा पंडाल में मूर्ति के चरणों में कुरान रखी है। उसके बाद हिंसक घटनाएं शुरू हो गईं। अब आगे ऐसी घटनाएं काबू में रहें, इसे सुनिश्चित करना बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी है।
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