मिताली का कीर्तिमान

भारत के लिए यह गौरव की बात है कि मिताली राज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10,000 रन पूरे करने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं।

Update: 2021-03-14 02:09 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | भारत के लिए यह गौरव की बात है कि मिताली राज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10,000 रन पूरे करने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं। 20 साल से भी ज्यादा समय से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रही 38 वर्षीया मिताली राज न जाने कितने भारतीयों और भारतीय महिलाओं की प्रेरणास्रोत रही हैं। मिताली ने शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए तीसरे वनडे मैच में यह इतिहास रचा है। खास यह भी कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी हैं। उनसे पहले इंग्लैंड की चार्लेट एडवड्र्स इस मुकाम को हासिल कर चुकी हैं। जाहिर है, मिताली की इस कामयाबी को हर किसी से सराहना मिल रही है। भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट कर कहा है, 'मिताली को इंटरनेशनल क्रिकेट में 10,000 रन पूरे करने पर हार्दिक बधाई। बहुत बड़ी उपलब्धि है, मजबूत बने रहो।' वर्ष 1999 से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रही मिताली को फिटनेस, कौशल और क्रिकेट के प्रति समर्पण भाव के लिए मिसाल माना जाता है। क्रिकेट के प्रति उनकी इच्छाशक्ति विशेष रूप से मायने रखती है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके ज्यादातर रन एकदिवसीय मैचों में बने हैं, तो यह स्वाभाविक है। मिताली टेस्ट मैचों के बजाय वनडे में ज्यादा सफल मानी जाती हैं और वनडे में अब तक 6,974 रन बना चुकी हैं।

शांता रंगास्वामी और डायना एडुल्जी से लेकर हरमनप्रीत कौर तक भारतीय महिला क्रिकेट ने जो लंबा सफर तय किया है, उसमें मिताली राज की कामयाबी सबसे चमकदार है। टेस्ट क्रिकेट उन्होंने अपेक्षाकृत कम खेला है और महिला टेस्ट क्रिकेट अपेक्षाकृत कम होता भी है, इसके बावजूद कप्तान के रूप में वह टेस्ट की सफलतम भारतीय महिला कप्तान रही हैं। टेस्ट कप्तान के रूप में उनकी सफलता का प्रतिशत पचास है, वहीं वनडे में 63.35 प्रतिशत की सफलता दर उन्हें विशिष्ट दर्जे में खड़ा कर देती है। विगत कुछ वर्षों में उन्होंने अपना ध्यान एकदिवसीय मैचों में लगा रखा है और अभी रिटायरमेंट का उनका कोई इरादा नहीं है। उनकी फिटनेस बताती है कि वह उम्र के पांचवें दशक में भी क्रिकेट जारी रख सकती हैं। रणनीति और अनुशासन के साथ निरंतर सुधरा और आगे बढ़ा उनका क्रिकेट करियर भारतीय क्रिकेट को समग्रता में मजबूत करता है। जिस दौर में मिताली ने अपना करियर शुरू किया था, उस दौर में भारतीय महिला टीम को हारने वाली टीमों में गिना जाता था। लेकिन 2002 के बाद भारतीय महिला क्रिकेट में जो सुधार आया, उसमें मिताली के बल्ले का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। 2005 के वनडे वल्र्ड कप फाइनल तक पहुंची भारतीय महिला टीम ने पीछे पलटकर नहीं देखा है। अंजू जैन, अंजुम चोपड़ा, ममता मबेन, झूलन गोस्वामी के साथ मिलकर मिताली ने जिस तरह से महिला क्रिकेट को मजबूत किया है, उस पर आज किसी भी महिला क्रिकेटर को गर्व होगा। आज भारतीय महिला टीम को वनडे में दूसरे नंबर की और ट्वंटी-20 में तीसरे नंबर की टीम माना जाता है। मिताली के नाम अनेक कीर्तिमान दर्ज हैं। वह सबसे ज्यादा वनडे क्रिकेट खेलने वाली खिलाड़ी होने के अलावा वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी भी हैं। 38 की उम्र में भी सफलतापूर्वक भारतीय वनडे क्रिकेट की कप्तानी संभाल रही मिताली से अभी भी क्रिकेट और देश को बड़ी उम्मीदें हैं।


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