उगाही-वसूली के आका: उगाही-वसूली के गंभीर आरोपों से घिरे महाराष्ट्र के गृह मंत्री का बचाव करना शर्मनाक बात है

यह भी किसी से छिपा नहीं कि उगाही-वसूली के धंधे को भ्रष्ट नेताओं का संरक्षण मिलता रहा है।

Update: 2021-03-23 02:59 GMT

इससे शर्मनाक और कुछ नहीं कि जब उगाही-वसूली के गंभीर आरोपों से घिरे महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, तब उनका बचाव किया जा रहा है और वह भी बहुत भोंडे ढंग से। बचाव करने वालों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं के साथ जिस तरह शिवसेना और कांग्रेस के नेता भी शामिल हो गए हैं, उससे तो यही लगता है कि दाल में कुछ काला होने के बजाय पूरी दाल ही काली है और इस सनसनीखेज कांड के तार केवल अनिल देशमुख तक सीमित नहीं हैं। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अनिल देशमुख जिस सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाझे के जरिये सौ करोड़ रुपये महीना मांग रहे थे, उसकी बहाली की कोशिश खुद उद्धव ठाकरे ने तब की थी, जब देवेंद्र फड़नवीस मुख्यमंत्री थे। आखिर निलंबन के बाद नौकरी छोड़ चुके इंस्पेक्टर की बहाली के पीछे उद्धव का क्या स्वार्थ था? सवाल यह भी है कि उद्धव के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब इस इंस्पेक्टर की बहाली हुई तो कांग्रेस और राकांपा ने कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई? क्या कारण रहा कि उसे बहाल करने के बाद सारे महत्वपूर्ण मामले सौंपे गए? आखिर यह मनमानी किसके इशारे पर और किस मकसद से की गई? क्या इसलिए कि उससे उगाही-वसूली कराई जा सके? क्या इसी मकसद के लिए मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक लदी कार खड़ी की गई? जो भी हो, यह महज दुर्योग नहीं कि यह संदेह सचिन वाझे पर ही है कि उसने ही विस्फोटकों एवं कार का इंतजाम किया और बाद में कार मालिक को रास्ते से हटाया।

यह निर्लज्जता की पराकाष्ठा ही है कि शिवसेना अपराधी किस्म के सचिन वाझे का खुलकर बचाव कर रही है तो राकांपा प्रमुख शरद पवार गृह मंत्री अनिल देशमुख को क्लीन चिट देने की हास्यास्पद कोशिश कर रहे हैं। इस कोशिश में उन्हेंं जिस तरह र्शंिमदा होना पड़ा और वह झूठ का सहारा लेते दिखे, उससे यही कहावत चरितार्थ हुई कि एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं। इस मामले में कांग्रेस भी जिस तरह लीपापोती करने में जुटी है, उससे तो यही लगता है कि सत्ता के लोभ में उसे भी अपनी प्रतिष्ठा की रत्ती भर परवाह नहीं। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के रवैये से यह संदेह दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है कि महा विकास अघाड़ी के सत्ता में रहते इस मामले की तह तक नहीं पहुंचा जा सकता। संदेह इसलिए और गहरा रहा है, क्योंकि महाराष्ट्र और खासकर मुंबई में हफ्ता वसूली कोई नई बात नहीं है। यह भी किसी से छिपा नहीं कि उगाही-वसूली के धंधे को भ्रष्ट नेताओं का संरक्षण मिलता रहा है।


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