प्रतिक्रिया : कविता में संप्रेषण का संकट
कविता में वर्तमान में दो किस्म का संप्रेषण काम करता है, एक मौखिक और दूसरा लिखित
कविता में वर्तमान में दो किस्म का संप्रेषण काम करता है, एक मौखिक और दूसरा लिखित। कविता जब मंच पर बोली जाती है तो यह मौखिक संप्रेषण है। अभिव्यक्ति की परिपक्वता कविता को अच्छी, बुरी या प्रभावी बनाती है। दूसरे शब्दों में कहूं तो बोलने वाले के लहजे, उसकी बॉडी लैंग्वेज, शब्दों के उच्चारण से कविता प्रभावित होती है। अभिव्यक्ति के कारण एक बेकार कविता भी खूब तालियां बटोर लेती है और एक अच्छी कविता भी अभिव्यक्ति दोष के कारण श्रोताओं के सिर के ऊपर से निकल जाती है। मौखिक संप्रेषण तब तक अस्थायी होता है जब तक कविता लिखित रूप में नहीं आ जाती। यदि कविता लिखित रूप में है और किसी पुस्तक का हिस्सा है तो इससे होने वाला संप्रेषण स्थायी होगा। पाठक उस कविता से कितना प्रभावित होता है, यह उस पर आश्रित है कि कविता कितनी उसकी समझ में आई है। एक विद्वान कवि कविता की तह तक पहुंच जाता है और उसके गुण-दोष की समीक्षा करता है।