फुटबाल पर रार

कई देशों ने, यहां तक कि मानवाधिकार के लिए काम करने वाले संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बहुत पहले कह दिया था कि कतर, स्टेडियम बनाने वाले मजदूरों का शारीरिक और आर्थिक शोषण कर रहा है। आगे चलकर इन आरोपों को सही भी पाया गया।

Update: 2022-11-11 06:24 GMT

Written by जनसत्ता: कई देशों ने, यहां तक कि मानवाधिकार के लिए काम करने वाले संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बहुत पहले कह दिया था कि कतर, स्टेडियम बनाने वाले मजदूरों का शारीरिक और आर्थिक शोषण कर रहा है। आगे चलकर इन आरोपों को सही भी पाया गया।

व्यक्तिगत आजादी के मामले में खाड़ी के इस देश का छवि बहुत खराब रहा है। फिर भी फीफा ने कार्रवाई करने के बदले चुप रहना ही बेहतर समझा। अब कतर के पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटबालर और आगामी टूर्नामेंट के कई आधिकारिक प्रतिनिधियों में से एक, खालिद सलमान ने कहा कि देश में आने वाले समलैंगिक लोगों को 'हमारे नियमों को स्वीकार करना होगा'। शायद इसी डर से फीफा के पूर्व अध्यक्ष सैप ब्लैटर ने मंगलवार को दोहराया कि 'विश्व कप की मेजबानी के लिए कतर को चुनना एक भयंकर गलती थी।' मगर अब तो कुछ नहीं हो सकता। तीर कमान से निकल चुका है। आशा है, फीफा ऐसी गलतियों को फिर कभी नहीं दोहराएगा।

हालांकि वैज्ञानिकों ने जीएम फसलों के व्यावसायिक उपयोग को मंजूरी दे दी है, अब देश के पक्ष में समझदारी भरा फैसला लेने की जिम्मेदारी राजनेताओं की है। यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या यह जीएम के मामले में 2009 का दोहराव होगा। सरसों भी, बीटी बैंगन के रूप में, जिसे वैज्ञानिकों द्वारा नियामक अनुमोदन दिया गया था, लेकिन बाद में इसे लागू नहीं किया गया। वर्तमान सरकार को भी इस पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्वदेशी जागरण मंच ने मीडिया को बताया है कि जीएम सरसों न तो स्वदेशी है और न ही स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिए सुरक्षित।

हालांकि, बीटी कपास की सफलता की कहानी भारत के एक आयातक से दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक में बदलने और अब वैश्विक कपास उत्पादन में अग्रणी होने की है। वैज्ञानिक अध्ययन स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं कि किसी भी जीएम का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। भारत अपनी खाद्य तेल आवश्यकता का साठ फीसद से अधिक आयात करता है, जिसकी लागत 2021-22 में उन्नीस अरब डालर थी।

इस तरह सरकार अनिश्चित काल तक प्रौद्योगिकी को अवरुद्ध करने का जोखिम नहीं उठा सकती है। खाद्य सुरक्षा, उत्पादकता, उत्पादन में वृद्धि और किसानों को कम खर्च करने और अधिक कमाने के लिए सक्षम बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए, खासकर ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में कहर बरपा रहा है। इसलिए किसानों की मदद के लिए जैव प्रौद्योगिकी की क्षमता का दोहन करने की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है। हर स्तर पर कड़े जैव सुरक्षा परीक्षणों को अपनाना, जो किसानों को एक नया जीवन दे सकता है, भारत के हित में होगा।


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