मास्क पहनने संबंधी राजस्थान की पहल
कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकारें अपने स्तर पर न केवल यत्न कर रही हैं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंजाब की तारीफ की थी। दिल्ली सरकार की मुहिम भी मजबूत रही है। हरियाणा में मृत्यु दर नियंत्रित रही। कोरोना नियंत्रण के लिए केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल रहा। केंद्र ने अनलॉक संबंधी दिए निर्देशों को लागू करने के लिए राज्य सरकारों पर छोड़ा है। यह यथार्थ है कि प्रत्येक राज्य की परिस्थितियां अलग होती हैं और किसी समस्या को निपटने के लिए अपने अलग संसाधन होते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि कोरोना वायरस से निपटने में भारत की स्थिति दुनिया के मजबूत देशों की अपेक्षा बेहतर रही है तो उसका बड़ा कारण केंद्र व राज्यों में तालमेल व राज्यों को मिले कार्य करने के अधिकार थे। यदि अन्य मामलों में भी केंद्र व राज्य सरकारें बिना राजनीतिक स्वार्थ से काम करें तब देश सुरक्षित ही नहीं बल्कि खुशहाल भी बनेगा।
नि:संदेह राजस्थान सरकार ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि मास्क ही वैक्सीन है। मास्क ही महामारी को हराने में सबसे बड़ा हथियार है। अन्य सूबों को भी राजस्थान से सीख लेकर काम करने की आवश्यकता है। मास्क संबंधी कानून उन राजनीतिक नेताओं को भी बड़ी नसीहत है जो बिना मास्क पहने बड़ी-बड़ी रैलियों में शामिल होते रहे हैं। कोरोना एक खतरनाक वायरस है, बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों से लेकर आम व्यक्ति तक भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। मास्क पहनना चाहिए और जब तक वैक्सीन नहीं आती तब तक पहनना ही होगा। हिदायतों को मानने में ही सबकी भलाई है।