राहुल गांधी ने लक्ष्मण रेखा लांघकर गरमा दी सियासत, क्षेत्रवाद की ओछी राजनीति कांग्रेस पार्टी को कर सकती है घायल

कांग्रेस क्षेत्रवाद की ऐसी ओछी राजनीति करके अपना और नुकसान ही करेगी।

Update: 2021-02-25 01:55 GMT

तिरुअनंतपुरम में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तर-दक्षिण की राजनीति से संबंधित राहुल गांधी के बयान पर कांग्रेस के प्रवक्ताओं को जिस तरह उनके बचाव में उतरना पड़ा, उससे यही साबित होता है कि वह एक बार फिर ऐसा कुछ कह गए, जो उन्हें नहीं कहना चाहिए था। राहुल गांधी ने खुद के 15 साल तक उत्तर भारत से सांसद रहने का जिक्र करते हुए जिस तरह यह कहा कि केरल आकर उन्हें लगा कि यहां के लोग सतही राजनीति करने के बजाय मुद्दों की राजनीति करते हैं, उससे तो केवल यही ध्वनित हुआ कि उनके हिसाब से उत्तर भारत वालों की राजनीतिक समझ वैसी नहीं, जैसी दक्षिण भारत के लोगों की है। यह समझ आता है कि राहुल गांधी संसद में केरल का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस नाते उनके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह यहां के लोगों की तारीफ करें, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि देश के दूसरे हिस्से के लोगों को नीचा दिखाएं। जाने-अनजाने उन्होंने ऐसा ही किया। यह उनके साथ-साथ कांग्रेस के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है, इसका प्रमाण पार्टी नेताओं का उनके बचाव में उतरने के साथ उन्हें नसीहत देना भी है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने राहुल गांधी का बचाव तो किया, लेकिन लगे हाथ यह भी कहा कि उन्होंने अपना नजरिया किस संदर्भ में रखा, यह उन्हें ही स्पष्ट करना चाहिए, ताकि किसी तरह के भ्रम की गुंजाइश न रहे। एक अन्य वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी यही कहा कि यह तो राहुल गांधी ही स्पष्ट कर सकते हैं कि उन्होंने अपनी बात किस सिलसिले में कही। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि मतदाता कहीं का भी हो, उसका सम्मान होना चाहिए। साफ है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी यह आभास है कि राहुल गांधी ने लक्ष्मण रेखा लांघकर बेवजह उत्तर बनाम दक्षिण का सवाल भी खड़ा कर दिया। यह ठीक नहीं कि कांग्रेस सरीखा राष्ट्रीय दल क्षेत्रीयता को हवा देने वाले क्षेत्रीय दलों के नक्शेकदम पर चले। इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे। राहुल गांधी को सोच-समझकर बोलने की सख्त जरूरत है, क्योंकि अभी हाल में जब वह असम गए थे तो यह बेतुकी बात बोल गए थे कि यहां के चाय मजदूरों को तो मामूली मजदूरी मिलती है, लेकिन गुजरात के व्यापारियों को पूरा चाय बागान ही मिल जाता है। इसी तरह तमिलनाडु दौरे पर उनके ऐसे बिगड़े बोल सुनने को मिले थे कि यहां के लोगों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने और उनकी भाषा एवं संस्कृति को दबाने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस क्षेत्रवाद की ऐसी ओछी राजनीति करके अपना और नुकसान ही करेगी।


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