जनसंख्या की चिंता

अपने देश में क्षेत्रफल के मामले में चौथे स्थान पर और आबादी में अव्वल उत्तर प्रदेश ने अगर जनसंख्या नीति 2021-30 का एलान किया है,

Update: 2021-07-12 03:55 GMT

अपने देश में क्षेत्रफल के मामले में चौथे स्थान पर और आबादी में अव्वल उत्तर प्रदेश ने अगर जनसंख्या नीति 2021-30 का एलान किया है, तो यह हर तरह से स्वागतयोग्य और अनुकरणीय है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके जनसंख्या नीति का एलान कर जिस गंभीरता का एहसास कराया है, उसके आलोक में उत्तर प्रदेश अपना भविष्य संवार सकता है। मुख्यमंत्री ने दोटूक स्वीकार किया है कि बढ़ती आबादी विकास की राह में बाधक हो सकती है और इस पर समय-समय पर चिंता का इजहार होता रहा है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ होंगे, जो यह मानेंगे कि आबादी विकास का कारण भी बन सकती है, लेकिन आम तौर ज्यादातर विशेषज्ञ भारत की जमीनी हकीकत के मद्देनजर यही बताएंगे कि जरूरत से ज्यादा आबादी किसी भी राज्य के पांव में बेड़ियां डाल सकती है। उत्तर प्रदेश के साथ यही होता आ रहा है। बढ़ती आबादी ने राज्य के संसाधनों पर जरूरत से ज्यादा दबाव बना रखा है। खासकर दक्षिण भारत के जिन राज्यों ने बेहतर जनसंख्या नीति को अंजाम तक पहुंचाया है, वह आज लाभ देख रहे हैं। उत्तर प्रदेश को भी आगामी दस वर्षों में विकास के मोर्चे पर तेजी से आगे बढ़ते हुए आबादी को संभालना होगा।

आज प्रदेश, देश और दुनिया जिस कठिन दौर से गुजर रही है, चीन इत्यादि कुछ देशों को छोड़कर कहीं भी जनसंख्या बढ़ना खतरे से खाली नहीं है। जनसंख्या स्थिर करना जरूरी है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य आगामी दस साल में जनसंख्या स्थिर भी कर लें, तो उनके विकास के पैमाने खुशहाली का संकेत देने लगेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लगे हाथ जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े का उद्घाटन किया है, तो कोई आश्चर्य नहीं। यह प्रदेश सरकार ही नहीं, समाज और आम लोगों को समझ लेना चाहिए कि उनकी गरीबी का एक बड़ा कारण जनसंख्या भी है। उत्तर प्रदेश में वाकई युद्ध स्तर पर प्रजनन दर कम करने की जरूरत है। फिलहाल प्रजनन दर 2.9 है। राज्य सरकार का लक्ष्य इसे कम करके 2.1 पर लाना है, यह लक्ष्य मुश्किल नहीं है। दो बच्चों के बीच अंतर, कुपोषण से मुक्ति, परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भनिरोधक उपायों को पहले की तुलना में ज्यादा जनसुलभ बनाने के इंतजाम सुनिश्चित करने पड़ेंगे। जनसंख्या स्थिर करने के लिए सुरक्षित गर्भपात की व्यवस्था, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात व मातृ मृत्यु दर कम करना जरूरी है।
जनसंख्या को कम करने के लिए राज्य सरकार ने शिक्षा पर भी यथोचित ध्यान देने का फैसला लिया है, लेकिन सबसे अहम फैसला नौकरी, पदोन्नति, वेतन वृद्धि और अन्य लाभ के मोर्चे पर लिया गया है। दो या उससे कम बच्चों वाले माता-पिता को नियोजित रूप से सहूलियत देकर बढ़ावा देना कारगर सिद्ध होगा। केवल सरकारी कर्मचारी ही नहीं, प्रदेश के आम लोगों को भी जनसंख्या नियंत्रण में भागीदार बनने पर चिकित्सा सुविधा, पानी, आवास, गृह ऋण आदि करों में छूट जैसे लाभ प्रशंसनीय हैं। अब समाज के हर तबके को सोचना पड़ेगा। दक्षिणी राज्यों में जैसे लोगों ने जागरूकता और एकजुटता से अपने लिए तमाम सुविधाओं को संचालित-प्रबंधित किया है, ठीक वैसा ही करने के लिए उत्तर भारतीयों को भी दृढ़ता और हठ का परिचय देना होगा।


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