गिरावट का दौर
बंबई शेयर बाजार में सोमवार को डेढ़ हजार अंकों से ज्यादा की गिरावट बता रही है कि बाजार में अनिश्चितताओं का दौर अभी थमने वाला नहीं है। अठारह जनवरी से बाजार में बना लगातार गिरावट का रुख इसके संकेत दे रहा था।
बंबई शेयर बाजार में सोमवार को डेढ़ हजार अंकों से ज्यादा की गिरावट बता रही है कि बाजार में अनिश्चितताओं का दौर अभी थमने वाला नहीं है। अठारह जनवरी से बाजार में बना लगातार गिरावट का रुख इसके संकेत दे रहा था। इससे पहले पिछले साल छब्बीस नवंबर को बीएसई में एक दिन में सोलह सौ अंक से ज्यादा की गिरावट ने निवेशकों की नींद उड़ा दी थी। पर तब कारण देश में कोरोना विषाणु के नए रूप ओमीक्रान के आने की खबर थी। लेकिन इस बार गिरावट के जो कारण बने हैं, वे बाहरी ज्यादा हैं। सबसे बड़ा कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दरें बढ़ाना है।
हालांकि फेडरल बैंक ने पिछले साल ही कह दिया था कि वर्ष 2022 में वह तीन बार ब्याज दरें बढ़ाएगा। साथ ही उसने मार्च 2022 तक बांड खरीद बंद कर देने का भी इशारा कर दिया था। जाहिर है, उसके इस कदम से न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के शेयर बाजार हिलने ही थे। सोमवार को ब्रिटेन, जापान, हांगकांग और चीन सहित दुनिया के लगभग सभी बाजारों में भी गिरावट रही। शेयर बाजारों में गिरावट का यह ऐसा बड़ा कारण है जिससे बच पाना फिलहाल दुनिया के किसी भी बाजार या बड़े निवेशकों के लिए संभव नहीं है।
सिर्फ फेडरल बैंक ही नहीं, दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक भी महंगाई बढ़ने से परेशान हैं। ऐसे में महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंकों के सामने ब्याज दरें बढ़ाने के अलावा कोई चारा रह भी नहीं गया है। महामारी ने दो साल में सभी विकसित और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था चौपट कर डाली है। इन दो वर्षों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के संकट को देखते हुए फेडरल बैंक ने ब्याज दरों पर लगाम लगाए रखी थी। पर अब दावा किया जा रहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था संकट से लगभग निकल चुकी है। जाहिर है ऐसे में ब्याज दरें बढ़ेंगी ही।