किसान आंदोलन

किसान आंदोलन के नौ माह पूरे हो गए हैं

Update: 2021-08-28 05:57 GMT

Divyahimachal .

किसान आंदोलन के नौ माह पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर एकत्रित हुए किसान नेता पर सुर अलग-अलग रहे। वैसे संयुक्त किसान मोर्चे ने ऐलान किया कि पच्चीस सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। इस सम्मेलन को संबोधित करते राकेश टिकैत ने कहा कि सभी किसान लीडर हैं, हम तो उनके चेहरे या प्रतिनिधि मात्र हैं। यह भी सवाल उठाया कि एक फोन कॉल की दूरी कब तक बनी रहेगी? हमारे पास तो नंबर ही नहीं। योगेंद्र यादव ने कहा कि नौ माह में तो नई जि़ंदगी जन्म ले लेती है, लेकिन किसानों की जि़ंदगी में बदलाव क्यों नहीं आया? पर एक चीज़ जरूर हुई पचहतर वर्षों में कि अभूतपूर्व एकता पैदा हुई। सरकार की हठधर्मिता के चलते। जबकि गुरनाम सिंह चढूनी की सोच और कहें कि लाइन अलग रही कि हमें भारत बंद की बजाय दिल्ली और दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास घेरने की घोषणा करनी चाहिए, तब असर होगा सरकार पर। वे अरविंद केजरीवाल की राह पर भी चल रहे हैं और कह रहे हैं कि चुनाव लडऩे चाहिएं।
बीच में ऐसे बयान आए भी थे कि चढूनी पंजाब विधानसभा लड़ेंगे बाकायदा पार्टी बना कर, फिर इंकार भी आया लेकिन मन से अभी वह बात निकली नहीं। कभी पंजाब विधानसभा निकट आते ही फिर यह मन वही कर बैठे। कौन भरोसा करे इनका किसान आंदोलन पर यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है कि सरकार पूरी तरह से उदासीन रवैया अपनाए हुए है। कोई खोज खबर तक नहीं लेती। शुरू में लगभग एक दर्जन दौर की वार्ताएं जरूर हुईं लेकिन बेनतीजा रहीं और फिर हमारे साहब पश्चिमी बंगाल के चुनाव में व्यस्त हो गए। वहां मनमुताबिक परिणाम न आए तो और खफा हो गए किसानों पर। सारा गुस्सा निकला किसानों पर बल्कि ज्यादतियों में इजाफा हुआ। हरियाणा में किसानों पर लाठीचार्ज और आंसू गैस आम बात हो गई। केस दर्ज होने लग गए और प्रदर्शन बढ़ते गए। दिल्ली की सीमाओं के बारे में सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि दो सप्ताह के अंदर रास्ते खोलने के बारे में सोचा जाए और ज्यादा देर तक रास्ते बंद रखना भी आम जनता की परेशानी का सबब बनता है।
-कमलेश भारतीय, साहित्यकार
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