पाकिस्तान का पाखंड
लश्करे-तैयबा के संस्थापक और वैश्विक आतंकी हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक अदालत ने दस साल की कैद की सजा सुनाई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लश्करे-तैयबा के संस्थापक और वैश्विक आतंकी हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक अदालत ने दस साल की कैद की सजा सुनाई है। पाकिस्तानी न्यायपालिका के इस फैसले से पहली नजर में तो संदेश यही गया है कि आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान सरकार का रुख एकदम स्पष्ट और कड़ा है और वह आतंकी सरगनाओं के खिलाफ कार्रवाई में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? आतंकियों, उनके संगठनों और साम्राज्य को लेकर पाकिस्तान सरकार ने क्या सही में कड़ा रुख अपना लिया है?
ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब सब जानते हैं। हाफिज सईद को सजा, उसे जेल में बंद रखने और उसके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की खबरें हैरानी इसलिए पैदा करती हैं क्योंकि यह पाकिस्तान का झूठ और पाखंड है। सईद को सजा पहले भी होती रही हैं और ऐसी कार्रवाइयां कर पाकिस्तान दुनिया की आंखों में धूल झोंकता रहा है। सवाल यह है कि अगर सईद और उसके संगठन के खिलाफ पाकिस्तान सरकार इतनी सख्त है तो फिर कैसे सईद जेल से आतंकी अभियानों को अंजाम देने में लगा है? दो दिन पहले जम्मू-कश्मीर में नगरोटा में बड़ा हमला करने वाले आतंकी लश्कर के ही थे।
पाकिस्तान दुनिया में किसी अच्छे या नेक काम के लिए नहीं, बल्कि आतंकवाद फैलाने वाले देश के रूप में जाना जाता है। उसे यह तमगा दशकों तक उसके करीबी मददगार रहे अमेरिका ने ही दिया है। आतंकवाद के खात्मे के लिए अमेरिका से पाकिस्तान को जो पैसा मिलता रहा, वह उसे आतंकवाद फैलाने में इस्तेमाल करता रहा। खुद अमेरिका की एजेंसियां इस बात का खुलासा कर चुकी हैं। अमेरिका पर सबसे बड़े आतंकी हमले के असली सूत्रधार अलकायदा सरगना उसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने अपने यहां छिपाए रखा था।
दरअसल, आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति का हिस्सा है। यह बात भी दुनिया से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ ही आतंकी संगठनों को पैसे, हथियार और प्रशिक्षण मुहैया कराती है। लेकिन पिछले कुछ समय से पाकिस्तान पर पश्चिमी देशों ने जिस तरह से शिकंजा कसना शुरू किया है और विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे वित्तीय संस्थानों से आर्थिक मदद मिलने में उसे जिस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, उससे छुटकारा पाने के लिए ही पाकिस्तान अब हाफिज सईद जैसों के खिलाफ कुछ कदम उठाने को मजबूर हुआ है, हालांकि सब जानते हैं कि यह दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है।
भारत में संसद भवन पर हमले से लेकर मुंबई हमले और उसके बाद पठानकोट, उरी जैसे जितने आतंकी हमले हुए, वे पाकिस्तान की जमीन से ही हुए। आतंकी सरगना पाकिस्तान में बैठ कर हमलावरों को निर्देश देते रहे। भारत इन सभी हमलों के गुनहगारों को उसे सौंपने की मांग करता रहा है। सभी हमलों में आतंकी संगठनों की भूमिका के अकाट्य प्रमाण भी पाकिस्तान को दिए जा चुके हैं। लेकिन पाकिस्तान तो इस बात से ही इंकार करता रहा है कि हमलों के असली साजिशकर्ता उसके यहां मौजूद हैं।
पुलवामा हमले की बात तो खुद पाकिस्तान सरकार के मंत्री ने हाल में संसद में स्वीकार की। इस बात के भी प्रमाण सामने आ चुके हैं कि मुंबई बम कांड का सरगना दाउद इब्राहिम पाकिस्तान में सेना और आइएसआइ की पनाह में रह रहा है, लेकिन पाकिस्तान इस हकीकत को भी झुठलाता रहा है और दाऊद को अब तक भारत को नहीं सौंपा है। हाफिज सईद जैसे आतंकियों की असली सजा तो यह होगी कि पाकिस्तान उन्हें भारत के हवाले करे और भारत उन्हें सजा दे।