प्रदूषण के खिलाफ जरूरी पहल : साफ ईंधन वाले वाहनों को ही परिवहन की अनुमति देनी चाहिए

बेशक समर ऐक्शन प्लान अच्छी पहल है और सही तरह से लागू करने पर सफलता की आशा है, पर अब तक तो निराशा ही हाथ लगी है।

Update: 2022-05-20 01:44 GMT

स्वास्थ्य पत्रिका द लैंसेट के एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, वर्ष 2019 में हर तरह के प्रदूषण के कारण दुनिया में सबसे ज्यादा (23.5 लाख से ज्यादा) समय पूर्व मौतें भारत में हुईं। इनमें 16.7 लाख मौतें सिर्फ वायु प्रदूषण के कारण हुईं। 9.8 लाख मौतें वातावरण में घुले धूल कणों (पीएम 2.5) के प्रदूषण के चलते और 6.1 लाख मौतें घरेलू वायु प्रदूषण की वजह से हुईं।

ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए विंटर ऐक्शन प्लान की तरह अप्रैल से सितंबर तक के लिए दिल्ली समर ऐक्शन प्लान 12 अप्रैल से लागू किया गया है, जिसे स्वागत योग्य और सामयिक पहल माना जा सकता है। समर ऐक्शन प्लान के अंतर्गत 12 अप्रैल से 12 मई तक खुले में कूड़ा जलाने को रोकने व 15 अप्रैल से 15 मई तक एंटी रोड डस्ट के खिलाफ अभियान चलाया गया था और दोनों अभियानों के प्रथम चरण के कार्य पूरे हो चुके हैं।
फिर भी दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब ही बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली में 15 मई, 2022 को एक्यूआई अपराह्न में अस्वास्थ्यकर (240) था । मुख्य प्रदूषक पीएम 10 और धूल ही थे। विगत अप्रैल में 29 दिन खराब वायु गुणवत्ता के थे। कुछ इलाके में वायु की बहुत ही खराब गुणवत्ता थी, क्योंकि फरवरी के बाद कम बरसात हुई, जिसे ड्राई स्पैल कहा जाता है।
सामान्य अनुभव यही है कि हवा की अच्छी गति से वायु प्रदूषण में कमी आती है, किंतु गर्मियों में तेज हवा बिना नमी, बिना बरसात के कणीय प्रदूषकों को बढ़ा देती है, जैसा कि इस बार दिल्ली में अप्रैल व मई में भी देखने में आया है। हवा की गति ज्यादा थी, बरसात नहीं हुई थी, इसलिए हवा से कणीय प्रदूषक ज्यादा ऊंचाई तक उड़े। परिणाम स्वरूप हवा की गुणवत्ता खराब रही।
विचारणीय व अपेक्षित यह भी है कि अतिक्रमण-विरोधी तोड़फोड़ की कार्रवाइयों से हवा में पीएम 10 व पीएम 2.5 के प्रदूषक न बढ़ें। निर्माण स्थलों पर निर्माण संबंधी जो 14 नियम पालन होने थे, उसे समर ऐक्शन में भी जारी रखना होगा। साफ ईंधन वाले वाहनों को ही परिवहन की अनुमति देनी चाहिए। स्वस्थ वायु के जो वैश्विक मानक हैं, उनके सापेक्ष प्रदूषण स्तरों को देखकर हमें कार्रवाई करनी चाहिए।
वर्तमान में इनका स्तर डब्ल्यूएचओ के मानकों से कहीं ज्यादा है। गर्मियों में आकस्मिक अग्निकांडों की संख्या बढ़ने के जोखिम भी ज्यादा होते हैं, जिससे प्रदूषण फैलते हैं। इस बार दिल्ली में कई अग्निकांड हुए। ऐसे में समर ऐक्शन प्लान कारगर होने की संभावना घटेगी ही। दिल्ली के पहाड़ जैसे लैंडफिल तो प्रदूषण व संभावित अग्निकांडों के संदर्भ में ज्यादा बड़े खतरे हैं।
पहाड़ों में गर्मियों में जंगलों की आग का प्रदूषण भी दिल्ली तक पहुंच जाता है। ऐसी आस्मिकताओं पर समर ऐक्शन में प्रोटोकॉल तो होना ही चाहिए। दिल्ली की केजरीवाल सरकार दो तिहाई से ज्यादा प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों को जिम्मेदार मानती है। बेशक समर ऐक्शन प्लान अच्छी पहल है और सही तरह से लागू करने पर सफलता की आशा है, पर अब तक तो निराशा ही हाथ लगी है।

सोर्स: अमर उजाला

Tags:    

Similar News

-->