कश्मीरः समय पर पूर्ण राज्य
गृहमन्त्री श्री अमित शाह के यह स्पष्ट कर देने के बाद, जम्मू-कश्मीर को उपयुक्त समय पर पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जायेगा
गृहमन्त्री श्री अमित शाह के यह स्पष्ट कर देने के बाद, जम्मू-कश्मीर को उपयुक्त समय पर पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जायेगा, यह सवाल खड़ा नहीं किया जाना चाहिए कि पाकिस्तान से लगे इस संवेदनशील राज्य की जनता के अधिकारों के साथ मोदी सरकार किसी प्रकार का दो मेल करना चाहती है। इस राज्य के पुनर्गठन के पीछे केन्द्र सरकार की मंशा राज्य के लोगों को पूर्ण सुरक्षा देने व पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद से मुक्त कराने की रही है जिसकी वजह से विगत वर्ष 5 अगस्त को इसे दो केन्द्र शासित क्षेत्रों लद्दाख व जम्मू-कश्मीर में बांटा गया था। हकीकत यह है कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के फैसले से ही यह साफ हो जाना चाहिए था कि 'नाजायज मुल्क' पाकिस्तान इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगा और उसने ऐसे प्रयास भी किये मगर उसकी कोई चाल सफल नहीं हो सकी क्योंकि 370 एक अस्थायी प्रावधान था जो संविधान में बाद में जोड़ा गया था। यह बात हमेशा ध्यान रखी जानी चाहिए कि 26 अक्तूबर, 1947 को जब जम्मू-कश्मीर रियासत का विलय महाराजा हरिसिंह ने भारतीय संघ में किया था तो भारत के संविधान लिखने की प्रक्रिया जारी थी मगर अनुच्छेद 370 इसे पूरा लिखने के बाद में यह कहते हुए जोड़ा गया था कि यह अस्थायी प्रावधान है जिसके तहत इस राज्य के लोगों को विशेष दर्जा दिया जा रहा है। यह भी पुख्ता इतिहास है कि संविधान निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर ने इस पर आपत्ति की थी और कहा था कि एक देश के भीतर ही किसी एक राज्य का अपना पृथक संविधान कैसे हो सकता है?