क्या वैक्सीन की दीवार तोड़ने में सक्षम है डेल्टा प्लस का वायरस
डेल्टा वेरिएंट की वजह से दूसरी लहर का कहर भारत ही नहीं बल्कि दुनियां के कई देश झेल रहे हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पंकज कुमार| डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की वजह से दूसरी लहर का कहर भारत ही नहीं बल्कि दुनियां के कई देश झेल रहे हैं. डेल्टा प्लस (Delta Plus Variant) के मामले अभी भारत के 12 राज्यों में मिले हैं. इन मामलों की संख्या 51 है. लेकिन जीनोम सिक्वेंसिंग (Genome Sequencing) की संख्या में कमी और देरी गंभीर परेशानी खड़ी कर सकती है. इसलिए एक्सपर्ट राज्यों को डेल्टा प्लस को लेकर लगातार आगाह कर रहे हैं. माना जा रहा है कि डेल्टा प्लस डेल्टा वेरिएंट का सब लीनिएज है और फेफड़े के रिसेप्टर पर आसानी से चिपकता है. इसलिए इसको इग्नोर करना फिर से गंभीर परेशानी की वजह बन सकता है.
सरकार ने डेल्टा प्लस को वेरिएंट ऑफ कंसर्न माना है. मतलब सरकार इसके खतरे को लेकर गंभीर है. आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट की ट्रांसमिसिबिलिटी, फेफड़े के रिसेप्टर से जुड़ने की आसान कला और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (Monoclonal Antibodies) के खिलाफ कम रिस्पॉन्स की क्षमता परेशानी का सबब बन सकती है. इसलिए भारत सरकार ने उन राज्यों को जरूरी उपाय करने का सुझाव दिया है जहां डेल्टा प्लस के वेरिएंट मिले हैं. सरकार ने टेस्टिंग, ट्रेसिंग को बढ़ाकर प्रायोरिटी बेसिस पर वैक्सीन कवरेज बढ़ाने की मांग की है.
डेल्टा प्लस को लेकर सावधान रहने जरूरत क्यों है?
भारत उन दस देशों की श्रेणी में आता है जहां डेल्टा प्लस के वेरिएंट यूएस, यूके, पॉर्चुगल, स्विट्जरलैंड, जापान, पोलैंड, रशिया, नेपाल और चीन जैसे देशों की तरह मिले हैं. दरअसल वैक्सीन को बनाने की प्रक्रिया में ओरीजनल वेरिएंट अल्फा स्ट्रेन को ध्यान में रखा गया है. इसलिए साइंटिस्ट को अंदेशा है कि डेल्टा वेरिएंट में वैक्सीन द्वारा शरीर में तैयार किए गए ऐंटीबॉडी को चकमा देने की क्षमता हो सकती है.
वैसे हाल में किए गए अध्ययन में इस बात का दावा किया गया है कि कुछ कोविड वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कारगर हैं, लेकिन डेल्टा प्लस के खिलाफ ये वैक्सीन कारगर हैं या नहीं इसके पुख्ता परिणाम सामने आना बाकी हैं. नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इम्यूनाइजेशन के मुखिया डॉ एन के. अरोड़ा ने कहा कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के बारे में साफ तभी कुछ कहा जा सकता है जब कुछ मामलों की पुष्टि हो जाए. डॉ अरोड़ा ने आगे कहा कि एक या दो डोज वैक्सीन लेने वाले लोगों में इसका असर हल्का फुल्का ही देखा जा रहा है.
वैक्सीन कारगर है या नहीं इसको लेकर क्यों है चिंता
आधिकारिक तौर पर चार लोगों की मौत डेल्टा प्लस से हो चुकी है. राजस्थान में 65 साल की एक महिला को वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी डेल्टा प्लस का शिकार होना पड़ा. मई महीने में ये महिला कोरोना से रिकवर हो चुकी थी. इस महिला का सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए 30 मई को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे में भेजा गया था जहां 25 जून को डेल्टा प्लस से संक्रमित होने की रिपोर्ट सामने आई है. गौरतलब है कि राजस्थान की महिला वैक्सीन के दोनों डोजेज ले चुकी थी और मई महीने में ही वो कोविड बीमारी से रिकवर हुई थी. इसलिए डेल्टा प्लस से संक्रमण वैक्सीन ले चुके लोगों सहित कोविड से निजात पाने वाले लोगों में हो सकता है.
डेल्टा प्लस संक्रमण से बचने के उपायों पर ध्यान देने की जरूरत
सुरक्षा कवच को मजबूत करना अभी भी बेहतरीन उपाय बताया गया है. डेल्टा प्लस की ट्रांसमिसिबिलिटी ज्यादा होने की वजह से डबल मास्किंग, सोशल डिस्टेंसिंग और वैक्सीन लेने की प्रक्रिया को ही कारगर माना जा रहा है. चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ अरुण शाह कहते हैं कि दूसरी लहर से उबर रहे देश में लोगों को ये नहीं मान लेना चाहिए कि वो सुरक्षित हो गए हैं. इसलिए वैक्सीन लेने में कोई कोताही नहीं बरतते हुए कोविड अप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन शख्ती से करें.
नेशनल कोविड टास्क फोर्स के सदस्य और एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं कि हमें संभावित तीसरी लहर की तैयारी के मद्देनजर पब्लिक हेल्थ सिस्टम पर फोकस करते हुए उसे और मजबूत करना चाहिए. दरअसर डॉ गुलेरिया इन बातों का जिक्र दूसरी लहर के संदर्भ में कर रहे हैं और कहते हैं कि जो सबक हमने दूसरी लहर से सीखा है उसे जमीन पर उतारा जाना चाहिए.