फार्मा सेक्टर में नवाचार-गुणवत्ता जरूरी

Update: 2023-07-03 17:23 GMT
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान 23 जून को अमरीका के साथ जो महत्वपूर्ण करार हुए हैं, उनमें फार्मास्युटिकल सप्लाई चेन और टीके के लिए कच्चे माल को लेकर जो सहमति बनी है, उससे भारत के फार्मा सेक्टर को तेजी से आगे बढऩे में मदद मिलेगी। इस परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय है कि 23 जून को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस द्वारा आयोजित क्वालिटी फोरम में कहा है कि सरकार फार्मा उद्योग के अनुकूल रणनीति के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण दवाई उत्पादन के लिए पूर्णतया ध्यान दे रही है। भारत का फार्मा सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और भारत दुनिया की गुणवत्ता वाली फार्मेसी है। भारत के द्वारा नकली दवाओं के मामले में कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति के तहत लगातार व्यापक जोखिम आधारित विश्लेषण किया जाता है। अब दवाई उद्योग के लिए सरकार के द्वारा स्व-नियामकीय संस्था बनाने की योजना है, जो निरन्तर आधार पर दवाई उद्योग का आकलन करेगी। नि:संदेह देश में सरकार के द्वारा एक ओर फार्मा सेक्टर को तेजी से बढऩे के लिए प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गुणवत्तापूर्ण दवाओं के लिए उपयुक्त नियमों का परिपालन भी किया जा रहा है। लेकिन इस समय भारतीय दवाओं से संबंधित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर कई सुधारमूलक जरूरतें अनुभव की जा रही हैं। दवाई ग्राहकों के हितों के मद्देनजर गुणवत्ता और दवाई के कम मूल्य किए जाने हेतु अभी और अधिक ध्यान देने की जरूरत बनी हुई है।
जहां आए दिन भारतीय दवाओं की गुणवत्ता को लेकर उठने वाले सवालों के मद्देनजर अधिक सतर्क होकर देश में गुणवत्तापूर्ण दवाओं का उत्पादन सुनिश्चित करना होगा, वहीं जरूरी दवाओं की कीमतें कम करनी होंगी, ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, जिसके तहत ग्राहक दवाई की दुकानों से उतनी ही दवाएं खरीद सकें, जितनी उन्हें जरूरत है। गौरतलब है कि इस समय भारत दुनिया में फार्मा के नए हब के रूप में रेखांकित हो रहा है। जो भारतीय दवाई उद्योग कोई पांच दशक पहले केवल विदेशी कंपनियों और ब्रांड पर निर्भर रहता था, वहीं अब भारत का दवाई उद्योग अपनी दवाई क्षेत्र की प्रतिभाओं की शक्ति के बल पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का जोरदार मुकाबला कर रहा है। नए आंकड़े बता रहे हैं कि देश में 3000 से अधिक दवाई कंपनियां हैं और 10500 से अधिक क्रियाशील दवाई उत्पादक इकाइयां हैं तथा भारत 185 से अधिक देशों को दवाइयों का निर्यात करता है। भारत दवाई उद्योग उत्पादन की मात्रा के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर है और दवाई के मूल्य के मद्देनजर 14वें क्रम पर है। इस समय दुनिया के फार्मा सेक्टर में भारत के तेजी से आगे बढऩे के कई कारण हैं। कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनियाभर में जिस तरह दवाई की आपूर्ति बाधित हुई है, उसका लाभ भारत को मिल रहा है। भारत में दवाई उत्पादन की लागत अमरीका एवं पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम है। भारत में फार्मा सेक्टर में रिसर्च बढ़ रहा है। दुनिया की बड़ी-बड़ी फार्मा कंपनियां भारत में अपना उत्पादन तेजी से बढ़ा रही हैं। इसी कारण भारत घरेलू और वैश्विक बाजारों के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण, उच्च गुणवत्ता और कम लागत वाली दवाओं के निर्माण में एक प्रभावी भूमिका निभा रहा है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने दवाई उत्पादन में आत्मनिर्भरता लाने, अधिक कीमतों वाली दवाइयों के स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहन देने और चीन से होने वाले दवाइयों के कच्चे माल- एपीआई के भारत में ही उत्पादन हेतु कोई ढाई वर्ष पहले शुरू की गई पीएलआई स्कीम को बड़ी सफलता मिली है।
सरकार की पीएलआई स्कीम की मदद से कई महत्वपूर्ण बल्क ड्रग (कच्चे माल) का उत्पादन भारत में ही शुरू हो गया है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि देश के कोने-कोने में जहां दवाइयों के करोड़ों ग्राहक दवाइयों की बिक्री व्यवस्था और दवाइयों के अधिक मूल्यों से परेशानी का सामना कर रहे हैं, वहीं कई भारतीय दवाइयां गुणवत्ता के घेरे में आ रही हैं। निश्चित रूप से अब देश में दवाइयों की गुणवत्ता पर और अधिक ध्यान देना होगा। अब सरकार के द्वारा देश के करोड़ों लोगों की इस शिकायत पर भी ध्यान देना होगा कि केमिस्ट या मेडिकल स्टोर ग्राहकों को 10, 15 या 20 टेबलेट या कैप्सूल वाली पूरी स्ट्रिप खरीदने पर जोर देते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि पैसे की कमी की वजह से कई गरीब दवाई उपभोक्ता एक साथ पूरी स्ट्रिप खरीदने में असमर्थ रहते हैं। हाल ही में दवाई खरीदने वाले लोगों से संबंधित जो एक देशव्यापी सर्वे हुआ है, उसमें यह बात सामने आई है कि पूरी स्ट्रिप की खरीदी के कारण बड़ी मात्रा में खरीदी गई दवाएं बिना उपयोग के कारण फेंक दी जाती हैं। सर्वे में यह भी सामने आया कि लोगों के द्वारा पिछले 3 साल में खरीदी गई दवाओं में से 70 फीसदी दवाएं बिना किसी उपयोग के फेंक दी गई और ऐसा हर 4 में से 3 घरों में पाया गया है। ऐसे में सरकार को दवाई ग्राहकों की न्यायसंगत मदद के लिए दवाई की दुकानों से दवाओं की बेची जा रही पूरी स्ट्रिप की जगह जरूरत के हिसाब से ही दवाई की बिक्री हेतु आदेश जारी करने होंगे। लोगों को ऐसी सुविधा दी जाए कि उन्हें दवा की पूरी स्ट्रिप खरीदने के लिए मजबूर न होना पड़े। नि:संदेह अब देश में बड़े पैमाने पर दवाई उत्पादन होने के कारण कई दवाइयों की लागत कम आ रही है। इसके साथ-साथ अब कई दवाओं के कच्चे माल का उत्पादन भी तेजी से बढऩे से कई दवाओं की लागत भी कम हो रही है।
ऐसे में अब सरकार के द्वारा दवाइयों की कीमतों को और कम करने के बारे में स्पष्ट निर्णय लेने होंगे। यह सर्वाविदित है कि अभी भी दवा के कारोबार में कई दवाओं में लाभ की मात्रा बहुत ज्यादा है। हम उम्मीद करें कि हाल ही में राष्ट्रीय औषधि मूल्य नियामक ‘नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथारिटी’ (एनपीपीए) के द्वारा जिस तरह देश के करोड़ों लोगों के दैनिक जीवन में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी अनेक बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल में आने वाली कई दवाइयों की खुदरा कीमतें नियंत्रित करके कम की गई हैं, उसी तरह आम लोगों के उपयोग से आने वाली अन्य कई और दवाओं की कीमतें कम की जाएंगी। हम उम्मीद करें कि अब देश में दवाई के करोड़ों ग्राहकों को सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से ऐसी राहत मिलेगी जिसके तहत दवाई की दुकानों से ग्राहक उतनी ही दवाएं खरीद सके, जितनी उन्हें आवश्यकता हो। हम उम्मीद करें कि हाल ही में 23 जून को अमरीका के साथ फार्मास्युटिकल सप्लाई चेन और टीके के लिए कच्चे माल को लेकर जो सहमति बनी है, उससे भारत का फार्मा उद्योग तेजी से आगे बढ़ेगा। हम उम्मीद करें कि हमारी फार्मा कंपनियों और सरकार के द्वारा फार्मा से संबंधित शोध और नियमन में नवाचार पर आधारित ऐसे बदलाव किए जाएंगे जिससे हमारा फार्मा उद्योग गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के साथ दुनिया में और तेजी से बढ़ते हुए दिखाई देगा। ऐसे में एक ओर देश में पीएलआई योजना और अन्य सरकारी प्रोत्साहनों से देश का जो दवाई उद्योग वर्तमान में 50 अरब डॉलर के स्तर पर है, वह 2030 तक करीब 130 अरब डॉलर की ऊंचाई पर दिखाई दे सकेगा। वहीं दूसरी ओर देश में दवाइयों का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होगा, निर्यात बढ़ेंगे और दवाइयों की कीमतें भी कम होंगी। इससे लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठेगा और इससे सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था लाभान्वित होगी।
डा. जयंती लाल भंडारी
विख्यात अर्थशास्त्री
By: divyahimachal
 
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