टीकाकरण नीति सवालों के घेरे में, जितने टीके चाहिए, उतने उपलब्ध नहीं इसी कारण टीकाकरण की रफ्तार सुस्त
केंद्र सरकार ने अपनी टीकाकरण नीति का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट से उसमें दखल न देने का आग्रह किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र सरकार ने अपनी टीकाकरण नीति का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट से उसमें दखल न देने का आग्रह किया है। कहना कठिन है कि सुप्रीम कोर्ट ऐसा करने से बचता है या नहीं, लेकिन इतना तो है ही कि टीकाकरण नीति की समीक्षा होनी चाहिए। यह समीक्षा कोई विशेषज्ञ समूह ही भली तरह कर सकता है। ऐसा कोई समूह इसलिए भी गठित होना चाहिए, क्योंकि टीकाकरण नीति को लेकर जहां कई राज्य सवाल उठा रहे हैं, वहीं फिलहाल कोई भी इस बारे में बता सकने की स्थिति में नहीं कि टीकाकरण अभियान को अपेक्षित गति कब मिलेगी और उतनी आबादी को टीका कब तक लग जाएगा, जिससे हर्ड इम्युनिटी पैदा हो सके? टीकाकरण नीति और टीकों की उपलब्धता के साथ ही इसका भी आकलन करने की जरूरत है कि इस समय जो टीके लगाए जा रहे हैं, वे कोरोना वायरस के बदले हुए सभी प्रतिरूपों पर असरकारी हैं या नहीं? ध्यान रहे कि यह अंदेशा पैदा हो गया है कि कुछ प्रतिरूपों पर मौजूदा टीके पर्याप्त कारगर नहीं हैं। जनता में भरोसा पैदा करने के लिए इस अंदेशे का निवारण करने की जरूरत है। इसके साथ ही इस सवाल का जवाब खोजने की भी आवश्यकता है कि क्या टीकों में कुछ बदलाव किया जाना चाहिए?