मनी प्लांट कैसे उगा

आजादी मिलने के बाद से आज तक उसकी स्थिति में केवल एक ही अंतर आया कि उसने अब झोंपड़ी के बाहर मनी प्लांट लगा दिया है

Update: 2021-11-01 04:41 GMT

आजादी मिलने के बाद से आज तक उसकी स्थिति में केवल एक ही अंतर आया कि उसने अब झोंपड़ी के बाहर मनी प्लांट लगा दिया है। उसे उम्मीद है कि कोई तो ऐसा दिन आएगा जब मनी प्लांट के बहाने कुछ मनी भी आ जाएगी। उसके पड़ोसी ईर्ष्या करने लगे हैं कि अब गरीब भी अमीरों के चोंचले कैसे कर सकता है। वह बाकायदा इसकी पूजा करता है और दिवाली के दीए जलाता है। जब भी देश कुछ अच्छा करता है या वित्त मंत्री के हवाले से मालूम होता है कि अच्छे दिन आ रहे हैं, वह मनी प्लांट के कान में खुसर-फुसर करता रहता है। उसने यह प्लांट दरअसल ऐसे ही नहीं चुराया, बल्कि कई असफल प्रयास करके उसे एक दिन बैंक कार्यालय के बाहर उखड़ा हुआ मिल गया। उसे मालूम नहीं था कि बैंक प्रबंधन ने एनपीए मामलों से तंग आकर ही इसे उखाड़ा, बल्कि वह अपनी किस्मत को मनी प्लांट के मिल जाने से जोड़ रहा था। यह मनी प्लांट आजादी से ही उखड़ रहा है। सर्वप्रथम कोई अंग्रेज इसे लाया था और इसलिए यह दिल्ली की सत्ता से हिल मिल गया। इसे कमोबेश हर बार सत्ता ने भरपूर तरीके से उगाया और अंततः हर नेता खुद ही मनी प्लांट बन गया।


उसने बार-बार महसूस किया कि राजनीति से गुजर कर हर कोई मनी को प्लांट कर पाता है, इसलिए बार-बार नेताओं के इर्द-गिर्द इसी ताक में रहा कि ऐसी कोई जड़ उसे भी मिल जाए। अब तो हर नेता का नाम लेते हुए वह 'जय श्रीराम' का उद्घोष करता है। उसने देखा कि नेताओं की खुशी में भगवान भी काफी व्यस्त दिखाई देते हैं। उसने मनी प्लांट के पास चारों ओर सारे देवी-देवता बिठाने के लिए खूब खाक छानी। ज्योतिषियों से पूछा कि किस देवता का हुक्म मनी प्लांट पर चलता है, लेकिन उसको उम्मीद यही है कि अगर 'जय श्रीराम' कहने से राजनीति के खोटे सिक्के चल सकते हैं, तो उसे भी यही अवतार चला सकता है। ज्योतिषी यह अनुमान नहीं लगा पा रहे कि मनी प्लांट का नक्षत्र आम आदमी से ऊंचा है या आम आदमी की ग्रह चाल से मनी प्लांट भी बेकार हो रहा है। हालांकि झोंपड़ी में उगे मनी प्लांट पर भरोसा करके पूरा परिवार इसलिए खुश है, क्योंकि इसके आने के बाद उनकी हालत 'मुफ्त राशन' प्राप्त करने वालों में शरीक हो गई है।

अब मुफ्त राशन जब कभी मिलता है, तो परिवार इसे मनी प्लांट पर चढ़ा कर ही ग्रहण करता है। उसे न तो बढ़ते पेट्रोल के दाम की चिंता और न ही रसोई गैस की कीमत में हुए इजाफे से कोई फर्क पड़ता है, क्योंकि चूल्हे पर आज भी उसे पूरा भरोसा है। मनी प्लांट को देखकर वह खुश रहने लगा ही था कि पड़ोसियों को उसकी व उसके परिवार की खुशी पर संदेह हो गया। पड़ोसी भी मुफ्त का राशन ही खा रहे थे, लेकिन वे इसे राम राज्य नहीं मान रहे थे, तो उन्हीं की स्थिति में रह रहा बगल की झोंपड़ी का परिवार कैसे खुद में भगवान राम का आशीर्वाद पाल रहा है। अंततः उन्होंने पंचायत में शिकायत कर दी कि यह बंदा मनी प्लांट की बेइज्जती कर रहा है। कोई गरीब व्यक्ति कैसे मनी प्लांट उगा सकता है, जिसे उगाने से तमाम बैंक भयभीत हैं। जिसे व्यापारी भी अब अपशगुन मानने लगे, उस पौधे का झोंपड़ी में उगना किसे भी गवारा नहीं हुआ। इनकम टैक्स, ईडी और आईबी के लिए भी यह जांच का विषय बन गया कि मनी प्लांट झोंपड़ी में कैसे उग गया। अंततः झोंपड़ी से मनी प्लांट को हटाने का हुक्म जारी हुआ, ताकि पौधे की नस्ल बचाई जा सके, वरना हर गरीब भी कुछ न कुछ उगाने की हिम्मत या आशा कर लेता।

निर्मल असो, स्वतंत्र लेखक
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