उत्तर प्रदेश बीजेपी में फेरबदल की सुगबुगाहट कैसे तेज हुई

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति में सबकुछ सामान्य नहीं हैं

Update: 2021-06-04 13:07 GMT

पंकज कुमार। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति में सबकुछ सामान्य नहीं हैं. वहां साल 2022 में चुनाव होना है और सरकार और संगठन में बदलाव की चर्चा जोरों पर है. चार सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब आरएसएस (RSS) और बीजेपी संगठन की बैठकों में कुछ मंत्रियों को अकेले में बुलाकर फ़ीडबैक लिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) की सार्वजनिक तौर पर कोविड मैनेजमेंट (Covid management) के लिए भले ही पार्टी सराहना कर रही हो लेकिन कोविड मिसमैनेजमेंट को लेकर जनता में आक्रोश और पंचायत चुनाव में खराब परिणाम की वजह से राज्य की सरकार और संगठन सवालों के घेरे में है.

राज्य में सगठन के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी के अंदर भारी असंतोष की वजह नौकरशाहों के द्वारा सत्ता चलाया जाना और पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के साथ पंचायत चुनाव के खराब परिणाम प्रमुख वजह हैं, लेकिन ये सब जल्द समाप्त हो जाने की पूरी उम्मीद है. ये पूछे जाने पर कि क्या पार्टी अध्यक्ष और सरकार में नेतृत्व को लेकर फेरबदल संभव है तो उन्होंने ये कहा कि पार्टी के शीर्ष लेवल पर मंथन जारी है. पार्टी वस्तुस्थिती का जायजा लेकर उचित फैसला करेगी ऐसा सभी लोगों को विश्वास है.
राज्य में फेरबदल की सुगबुगाहट तेज कैसे हुई
पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल पर चर्चा करने के लिए एक अहम बैठक हुई जिसमें पीएम मोदी समेत गृहमंत्री अमितशाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और सर कार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले शामिल हुए थे. इस बैठक में संगठन मंत्री सुनील बंसल भी मौजूद थे, लेकिन यूपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत सीएम योगी इस बैठक में मौजूद नहीं थे. इस बैठक के कुछ ही दिनों बाद लखनऊ के दौरे पर सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबोले गए लेकिन उनकी मुलाकात यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से हो नहीं पाई .माना जा रहा है योगी आदित्यनाथ ताजा डेवलपमेंट से खासा नाराज हैं. इसलिए उन दिनों वह अपने गृह जिले गोरखपुर की ओर रवाना हो गए थे.
यूपी के नेतृत्व से शीर्ष नेतृत्व इस बात को लेकर भी नाराज बताया जा रहा है कि चार महीने भेजे गए एक सेवा निवृत अधिकारी को वहां एमएलसी तो बनाया गया, लेकिन सरकार के कैबिनेट में उन्हें कोई जगह नहीं दिया गया. दरअसल राज्य सरकार के इस फैसले को केन्द्रीय नेतृत्व के फैसले का उल्लंघन माना जा रहा है.
दिल्ली बीजेपी के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि बी एल संतोष जी से कई मंत्रियों और संगठन के नेताओं की मुलाकात हुई है जिसमें पार्टी के अंदर के अंसतोष से उन्हें अवगत कराया गया है. बीजेपी नेता ने आगे कहा कि योगी जी का कद बड़ा है और वो लोकप्रिय नेता हैं लेकिन वो नामित मुख्यमंत्री हैं. पार्टी साल 2022 के चुनाव से पहले तमाम पहलुओं पर विचार कर रही है जो पार्टी के यूपी में वापसी पर केन्द्रित है. वैसे राजनीति के जानकार अमरनाथ शुक्ला के मुताबिक योगी भले ही नामित मुख्यमंत्री हों लेकिन वो रबड़ स्टांप की तरह काम करने वाले नहीं हैं. अमरनाथ शुक्ला ने कहा कि ये बात योगी समर्थकों द्वारा काफी समय से प्रचारित की जा रहा है कि मोदी के बाद पीएम के दावेदार योगी आदित्यनाथ ही हैं.
संघ और बीजेपी की चिंता आखिरकार क्या है?
योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को लेकर संघ और बीजेपी में मंथन जारी है, लेकिन बीजेपी के लिए फिलहाल योगी की मर्जी के खिलाफ फैसले लेना आसान नहीं दिखाई पड़ रहा है. बंगाल चुनाव में हार के बाद सरकार और संगठन डिफेंसिव है. तमाम विकल्पों पर गहरा चिंतन करना शीर्ष नेतृत्व की मजबूरी है. माना जा रहा है कि हर फैसला यूपी चुनाव के हित को ध्यान में रखकर लिया जाएगा जो कि संगठन से संबंधित भी हो सकता है. पार्टी में चिंतन मंथन का दौर इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2022 का परिणाम पार्टी के विपरीत गया तो इसका सीधा असर साल 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. वैसे सीएम योगी के पक्ष में उनकी ईमानदार छवि और कोई व्यक्तिगत आरोप का नहीं होना है जो बेदाग नेता के तौर पर उन्हें पेश करता है.
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