धरने पर बैठ गए मणिपुर में असहाय पत्रकार, राष्ट्रीय मीडिया में इसकी कोई चर्चा नहीं
मणिपुर में पत्रकारों की हड़ताल हर लिहाज से महत्त्वपूर्ण रही है।
मणिपुर में पत्रकारों की हड़ताल हर लिहाज से महत्त्वपूर्ण रही है। हैरतअंगेज है कि बाकी देश में- या कहें कथित राष्ट्रीय मीडिया में इसकी कोई चर्चा नहीं हुई। ये अनिश्चितकालीन हड़ताल पत्रकारों मीडिया घरानों और पत्रकारों पर बढ़ते हमलों के विरोध में की। गौरतलब है कि एक महिला हमलावर ने 14 फरवरी को राजधानी इंफाल में मणिपुरी भाषा के प्रमुख अखबार पोक्नाफाम के दफ्तर पर बम से हमला किया था। किसी भी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली। पुलिस की जांच में भी कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका। पत्रकार संगठनों की अपील पर इस हमले के खिलाफ लामबंद होकर तमाम अखबार और संपादक हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग में सोमवार से धरने पर बैठ गए। चौतरफा बढ़ते दबाव के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी है। लेकिन मणिपुर में पत्रकारों और अखबारों पर हमले की घटनाएं नई नहीं हैं।