आतंक का संरक्षक
दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री, बिलावल भुट्टो द्वारा संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रधानमंत्री और कश्मीर को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। भुट्टो की शर्मनाक टिप्पणी पाकिस्तानी सोच का एक नया निम्न स्तर है! पाकिस्तान आतंकवाद का संरक्षक रहा है। आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इसे आर्थिक तथा सैनिक सहायता देनी बंद कर दी थी! अब भी विश्व के किसी भी भाग में कोई आतंकवादी घटना होती है तो उसमें पाकिस्तान का नाम आ जाता है।
Written by जनसत्ता; दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्री, बिलावल भुट्टो द्वारा संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रधानमंत्री और कश्मीर को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। भुट्टो की शर्मनाक टिप्पणी पाकिस्तानी सोच का एक नया निम्न स्तर है! पाकिस्तान आतंकवाद का संरक्षक रहा है। आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इसे आर्थिक तथा सैनिक सहायता देनी बंद कर दी थी! अब भी विश्व के किसी भी भाग में कोई आतंकवादी घटना होती है तो उसमें पाकिस्तान का नाम आ जाता है।
अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने एक बार पाकिस्तान के बारे में कहा था कि अगर आप सांप पालेंगे तो एक न एक दिन वह आपको काटेंगे ही! इसीलिए पाकिस्तान में भी आतंकवादियों द्वारा अलग-अलग स्थानों पर आतंकवादी गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं, जिन आतंकवादियों को पाकिस्तान ने औरों के लिए पाला था! खूंखार आतंकवादी बिन लादेन पाकिस्तान में ही अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी गतिविधियां चला रहा था, जबकि अमेरिकी सेना ने घात लगाकर उसे मारा।
अभी भी पाकिस्तान में भारत द्वारा वांछित कई आतंकवादी हैं, जो वहां सरकारी संरक्षण में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं और भारत में जम्मू-कश्मीर और अन्य भागों में तोड़फोड़ की गतिविधियों में संलिप्त हैं। पाकिस्तान की हरकतों की वजह से अफगानिस्तान के तालिबानी, कई अरब देश तथा चीन भी उस से दूरी बनाने लगे हैं! नए-नए नौसिखिए विदेश मंत्री बने बिलावल भुट्टो को कूटनीति और विदेश नीति का एक अक्षर भी पता नहीं। देखा जाए तो कश्मीर समस्या ने अधिकांश पाकिस्तानी शासकों के दिलो-दिमाग में भारत के खिलाफ जहर भर दिया है, जिसे दूर किए बिना भारत और पाकिस्तान में संबंध सामान्य नहीं हो सकते!
'पाबंदी और त्रासदी' (संपादकीय, 15 दिसंबर) पढ़ा। बिहार में जारी शराबबंदी की नीति और रीति का कागजी सह व्यावहारिक विश्लेषण लेख में सांगोपांग रूप में वर्णित किया गया है। विधि विशेषज्ञों का मानना है कि कोई भी कानून जमीन पर इसलिए नहीं उतरते, क्योंकि उसके निर्माण के पूर्व सही समीक्षा नहीं की जाती, जहां उसे लागू करना है। अखंड बहुमत के बल पर राजनीतिक और दलीय पहचान-प्रतिष्ठा की स्थापना अगर कानून निर्माण का उद्देश्य है तो वह सामाजिक तानेबाने में कोलाहल उत्पन्न करेगा।
बिहार में शराबबंदी से सामाजिक हित के मुकाबले अधिक क्षति के आंकड़े सरकारी पन्नों में दर्ज हैं। भारतवर्ष गांवों का देश है जहां पैंसठ से सत्तर फीसद लोग आवासित हैं। जहरीली शराब के चोरी-छिपे उत्पादन के केंद्र ग्रामीण क्षेत्र ही हैं। बुनियादी सवाल यह है कि जब शराबबंदी लागू करने की कल्पना की गई थी तो इस कार्यक्रम के बारे में ग्राम पंचायत, प्रखंड, तहसील, अनुमंडल और जिला स्तरीय जनप्रतिनिधियों की संस्थाओं में जनमत संग्रह की कवायद क्यों नहीं की गई? समय की पुकार है कि जो विधि-विधान जहां कार्यान्वित होना है,,वहां उस विषय का गहराई से अध्ययन और विवेचन किया जाए और जमीनी स्तर पर संस्थाओं को उत्तरदायित्व से भी बांधा जाए।
यह सही है कि शराबबंदी से सामाजिक हित में उपयोगी और सार्थक परिणाम राज्य में देखने को मिले हैं, लेकिन यह भी दृष्टिगोचर हुआ है कि आज लाखों गरीब लोग जेल में बंद हैं, जिनके घर के चूल्हे-चौके प्रभावित हैं। बिहार में जहरीली शराब से मौतों के पीछे स्थानीय प्रशासन की क्रूर विफलता के पीछे उनकी शराब निर्माताओं से निर्मम अप्रत्यक्ष सांठगांठ से इनकार नहीं किया जा सकता है। संपादकीय निष्कर्ष बिल्कुल सही है कि अल्प हित के लिए जारी बहुल क्षति के पैमाने सामाजिक सुख और समृद्धि की नींव को कमजोर कर देगा।
'बढ़ती जरूरतों के बीच ऊर्जा का विकल्प' (19 दिसंबर) पढ़ा। भारत सरकार द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्र लगवाने पर सबसिडी दी जाती है, इसके बावजूद इन उपकरणों की कीमत वहन करना निम्न और मध्यम वर्ग के लिए संभव नहीं है। हालांकि महानगरों में अब नए बनाए जाने वाले सभी भवनों को सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसी अनिवार्यता कस्बों और छोटे नगरों में भी की जानी चाहिए। विश्व में सूर्य व्यापक ऊर्जा का स्रोत है। अब चाहे हम पेट्रोलियम पदार्थ उपयोग करें या कुछ और या कोयले का उपयोग करें, ये सभी वर्षों पूर्व सूर्य द्वारा ही निर्मित हुए हैं और एक सीमा के बाद इनकी उपलब्धि धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। जबकि विश्व भर में ऊर्जा जरूरतें दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं।
भारत में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के लिए बहुत कुछ काम हुआ है। इसके बावजूद जरूरत के मुताबिक पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है। अगर हर छत पर सौर ऊर्जा उपकरण लग सके तो भारत को भविष्य में उर्जा जरूरतों के लिए पर भारी धन खर्च करके विदेशी तेल पर निर्भरता खत्म हो सकेगी।
'जीत का जज्बा' (संपादकीय, 20 दिसंबर) पढ़ा। मेस्सी का जज्बा और संघर्ष गजब का था। वे 'करो या मरो' की तरह खेले और दुनिया के प्रतिष्ठित फुटबाल मैच के चैंपियन बन गए। इसके साथ ही अर्जेंटीना के लिए पिछले छत्तीस साल से पड़ा सूखा खत्म हो गया। मैदान पर हर तरफ मेस्सी के नाम की गूंज रही। लियोनेल मेस्सी का अपने आखिरी विश्व कप में खिताब जीतने का सपना पूरा हो गया है।
अर्जेंटीना का भी छत्तीस का साल का इंतजार खत्म हुआ और आखिरकार अर्जेंटीना की टीम तीसरी बार फीफा विश्व कप 2022 में चैम्पियन बन गई। इससे पूर्व माराडोना ने1986 में विश्व कप जीतने के लिए अर्जेंटीना का नेतृत्व किया था। माराडोना एक विशिष्ट प्रतिभाशाली खिलाड़ी और करिश्माई व्यक्ति थे।