Gold : कोरोना काल में चढ़ता डॉलर, गिरता सोना, भारी टैक्स की वजह से बढ़ रही तस्करी
जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोना और सस्ता हो जाएगा।
कोरोना काल में अपनी चमक से दुनिया को चकाचौंध कर देने वाला सोना पिछले कुछ समय से अपनी चमक खोता जा रहा है। कभी ऐतिहासिक ऊंचाइयां छूने वाले सोने की कीमतें इसलिए भी हैरान कर रही हैं कि पिछले दिनों भारत में इस पर टैक्स बढ़ाकर इसे फिर 15 फीसदी कर दिया गया। इतना ही नहीं, डॉलर की कीमतों में बढ़ोतरी से आयातित वस्तुएं भी महंगी हो गईं, फिर भी सोना गिरता रहा। सोना गिरकर 50,000 रुपये प्रति दस ग्राम के नीचे चला गया है, जबकि कोरोना काल में यह 56,000 रुपये प्रति दस ग्राम की ऐतिहासिक ऊंचाई पर चला गया था।
वहीं, मंगलवार को एक डॉलर ने 80 रुपये की सीमा लांघ दी। यहां पर यह स्पष्ट कर देना होगा कि भारत में सोने के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजारों के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करते हैं। इसका कारण है कि भारत में सोने का उत्पादन नगण्य है और बड़ी मात्रा में सोना आयात होता है। कोलार की खदानों में अब सोने का उत्पादन नहीं होता है। भारतीयों का सोने के प्रति बड़ा मोह है और क्या राजा, क्या रंक सभी इसके दीवाने रहते हैं। इसलिए भारत सोने का आयात करने वाला नंबर वन देश है।
आंकड़े बताते हैं कि सोना कच्चे तेल के बाद दूसरे नंबर की आयातित सामग्री है, जिसके आयात पर बेशकीमती विदेशी मुद्रा खर्च होती है। सभी सरकारों ने कोशिश की कि सोने के आयात पर रोक लगाई जाए, लेकिन सोने का न तो आयात घटा और न ही उसकी तस्करी। एनडीए सरकार ने तो गोल्ड बांड भी जारी किया, पर लोगों में फिजिकल गोल्ड का ही नशा है और उन्होंने उसमें दिलचस्पी नहीं ली। इसलिए आज भी देश में सोना बड़े पैमाने पर तस्करी के जरिये लाया जा रहा है।
नीति आयोग ने वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है, जिसके मुताबिक, भारत में हर साल 100 से 120 टन तक सोना तस्करी के जरिये लाया जाता है। बड़े पैमाने पर इस तस्करी का मूल कारण भारत में इसकी कीमतें अन्य देशों, खासकर संयुक्त अरब अमीरात से काफी ज्यादा है। केंद्र सरकार की एजेंसी डीआरआई ने 2020-21 में 1,200 करोड़ रुपये का सोना जब्त किया था। इसका एक तिहाई म्यांमार से आया था। उसका कहना है कि दुबई के रास्तों पर सख्ती के कारण तस्कर अब म्यांमार के जंगली रास्तों से अरबों रुपये का सोना भारत ला रहे हैं।
उन्हें पकड़ना बेहद मुश्किल है, क्योंकि दोनों देशों की सीमा के रास्ते न केवल दुर्गम हैं, बल्कि उन्हें वहां के प्रशासन तथा आतंकी गिरोहों की भी मदद मिलती रहती है। नीति आयोग ने सोने पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सोने के आयात पर भारी टैक्स तस्करी को बढ़ावा दे रहा है। सीआईआई का तो यहां तक कहना है कि देश के बाजारों में बिकने वाले सोने का 80 फीसदी तस्करी से लाया जाता है। बहरहाल, सोने की कीमतें गिरने का सीधा कारण डॉलर है, जो दिन-प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है।
ध्यान रहे कि इस समय अमेरिका ऐतिहासिक मुद्रास्फीति के चंगुल में है और जून में यह 9.1 फीसदी पर पहुंच गई है। इसकी रोकथाम के लिए वह लगातार ऐसे कदम उठा रहा है, जिससे डॉलर मजबूत होता जा रहा है। इसी क्रम में अब सभी की निगाहें 27 जुलाई पर है, जब फेडरल रिजर्व ब्याज दरों पर बड़ी घोषणा करेगा। अमेरिका और यूरोप में ब्याज दरें हमेशा एक प्रतिशत के आस-पास रही हैं, लेकिन इस साल जून में फेड ने इसे .75 बीपीएस बढ़ाकर 1.50-1.75 फीसदी कर दिया, जिससे डॉलर बहुत मजबूत हो गया है और यह 20 साल के अधिकतम स्तर पर आ गया है।
अगर अब यह दो फीसदी के आंकड़े को पार कर जाता है, तो उसके तात्कालिक और दूरगामी बड़े प्रभाव होंगे। सबसे बड़ा प्रभाव होगा कि निवेशक बाहर के देशों के बजाय अमेरिका में ही बड़े पैमाने पर निवेश करेंगे। जब डॉलर कमजोर रहता है, तो सटोरिये और निवेशक, दोनों ही सोने में निवेश करते हैं और डॉलर के मजबूत होते ही इसमें। अगर वहां ब्याज दरें बढ़ीं, तो लोग डॉलर में और निवेश करेंगे, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोना और सस्ता हो जाएगा।
सोर्स: अमर उजाला