जी-20 सम्मेलन धर्मशाला में होना सौभाग्य

Update: 2023-04-19 09:51 GMT
पिछले साल यानी 2022 में एक दिसंबर का दिन एक महत्वपूर्ण दिन था क्योंकि इस दिन हमारे देश भारत ने इंडोनेशिया से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी। भारत एक दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी-20 की अध्यक्षता करेगा। हमारे देश के पास जी-20 की अध्यक्षता होना हमारे लिए एक सुनहरा अवसर है क्योंकि हमारा देश सभी की भलाई के लिए व्यावहारिक और वैश्विक समाधान ढूंढकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है। ऐसा करने से वसुधैव कुटुम्बकम या ‘विश्व एक परिवार है’ की सच्ची भावना प्रकट होती है। दि ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (जी-20) एक अंतर-सरकारी मंच है जिसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। जी-20 सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं। वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिए एक मंच के रूप में एशियाई वित्तीय संकट के बाद 1999 में जी-20 की स्थापना की गई थी। 2007 के वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनजर इसे सरकार के प्रमुखों के स्तर पर अपग्रेड किया गया था और 2009 में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच नामित किया गया था। प्रतिवर्ष एक देश को जी-20 की अध्यक्षता सौंपी जाती है और फिर उस देश की अध्यक्षता और नेतृत्व में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। जी-20 लोगो बहुत ही सुंदर ढंग से डिजाइन किया गया है। यह हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों – केसरिया, सफेद और हरे और नीले रंग से प्रेरणा लेता है। यह हमारी पृथ्वी को कमल के साथ जोड़ता है।
कमल हमारे देश का राष्ट्रीय फूल भी है, जो चुनौतियों के बीच विकास को दर्शाता है। इस लोगो में ‘पृथ्वी’ बेहतरीन जीवन के लिए प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य वाले दृष्टिकोण को दर्शाती है। जी-20 लोगो के नीचे देवनागरी लिपि में ‘भारत’ लिखा हुआ है। भारत के जी-20 अध्यक्षता का विषय ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ या ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ महा उपनिषद से लिया गया है। जी-20 की अध्यक्षता हमारे देश के अमृतकाल की शुरुआत का भी प्रतीक है। 15 अगस्त 2022 को इसकी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से शुरू होकर 25 साल की अवधि तक 2047 तक, देश की आजादी के 100 साल तक देश का अमृतकाल मनाया जा रहा है। समूचे भारत के लिए यह गौरव का विषय है कि दिसंबर 2022 से जी-20 देशों की अध्यक्षता करने की जिम्मेदारी भारत को मिली है। भारत की अध्यक्षता में देश भर में जी-20 की 200 से अधिक बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में भी 19 और 20 अप्रैल 2023 को होने वाली इस बैठक में दुनिया भर से आने वाले करीब 70 प्रतिनिधियों को हिमाचल प्रदेश की पहचान से जुड़े प्रतीकों से अवगत करवाया जाएगा। विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों के स्वागत और प्रवास के दौरान स्थानीय संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों और पारंपरिक तौर-तरीकों को ही महत्व दिया जा रहा है जो एक सराहनीय कदम है। विश्व पर्यटन पर विशेष पहचान बना चुके धर्मशाला में जी-20 बैठक का आयोजन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। कांगड़ा एयरपोर्ट पहुंचने पर मेहमानों का पारंपरिक तरीके से स्वागत करना, हवाई अड्डे पर उन्हें हिमाचली पकवान और एप्पल टी, कांगड़ा चाय जैसे पेय पदार्थ देना, सच में ही काबिले तारीफ है।
इन महमानों का हिमाचली परंपरा के अनुसार स्वागत और सत्कार हमारी प्राथमिकता रहेगी। इसके साथ ही विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों और हमारे मेहमानों को उपहार में हिमाचली टोपी-शॉल के अलावा कांगड़ा की पेंटिंग्स भी दी जाएंगी। योग का जन्म भारत में हुआ था और भारत ने पूरे विश्व में योग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए हैं। हर वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। धर्मशाला में 19-20 अप्रैल को होने वाले जी-20 सम्मेलन में तकनीक व विज्ञान पर चर्चा के अलावा विभिन्न देशों से आए मेहमानों को योगाभ्यास भी कराया जा रहा है। आयुष विभाग के सौजन्य से मेहमानों के लिए सुबह 6.30 बजे आयोजन स्थल पर योग सत्र का आयोजन किया गया है। जी-20 के इस सम्मेलन की मेजबानी के लिए धर्मशाला शहर पूरी तरह से तैयार है। इसके लिए धर्मशाला शहर की खास सजावट की गई है। कांगड़ा एयरपोर्ट की साज सज्जा के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग व अन्य सडक़ों के दोनों ओर ब्रांडिंग व भवनों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। इस सम्मेलन का आयोजन धर्मशाला के होटल रेडिसन ब्लू में किया जा रहा है। यहां पर प्रतिनिधियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा की दृष्टि से शहर में पूरी व्यवस्था की गई है। 20 देशों के 70 महमानों, नीति निर्माताओं व विशेषज्ञों को हिमाचल की विरासत, संस्कृति, खानपान, कला, हस्तकला से भी रूबरू करवाया जाएगा। भविष्य में इसका लाभ हिमाचल के पर्यटन उद्योग को मिलेगा। आयोजन स्थल पर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और हस्तकला पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई गई है।
हिमालयन बायोरिसोर्स प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर और कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विज्ञान व प्रौद्योगिकी के नवाचार से जुड़ी प्रदर्शनी लगाई गई है। साथ ही हथकरघा व हस्तकला से जुड़े उत्पादों की प्रदर्शनी व बिक्री काउंटर भी लगाए गए हैं। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले विभिन्न देशों के प्रतिनिधि इन उत्पादों को खरीद भी सकेंगे। इसके लिए डिजिटल पेमेंट यानी यूपीआई आधारित भुगतान की व्यवस्था की गई है। जी-20 सम्मेलन जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक तनाव जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। हम हिमाचल वासियों के लिए यह गौरव की बात है कि धर्मशाला को जी-20 की बैठक के लिए चुना गया है। यह मौका हमें अपने मेहमानों को हिमाचल की सांस्कृतिक विशिष्टता, विविधता और सुंदरता से रूबरू कराने का अवसर देगा। इससे धर्मशाला विश्व मानचित्र पर उभरेगा।
प्रत्यूष शर्मा
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal
 
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