आखिर रिहाई
मादक पदार्थ रखने और सेवन करने के आरोप में गिरफ्तार अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को आखिरकार बंबई उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी। छब्बीस दिन तक हिरासत और लंबी चली बहसों के बाद यह फैसला आया है।
मादक पदार्थ रखने और सेवन करने के आरोप में गिरफ्तार अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को आखिरकार बंबई उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी। छब्बीस दिन तक हिरासत और लंबी चली बहसों के बाद यह फैसला आया है। बार-बार कयास लगाए जाते रहे कि जल्दी ही उन्हें जमानत मिल जाएगी, मगर स्वापक नियंत्रण ब्यूरो यानी एनसीबी ने कोई न कोई गंभीर आरोप लगा कर उन्हें हिरासत में बनाए रखा। आर्यन पर आरोप हैं कि वे क्रूज जहाज के एक जलसे में प्रतिबंधित मादक पदार्थ लेकर गए थे। वे मादक पदार्थ का कारोबार करते हैं। उनके पास से भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद हुआ है। फोन पर संवादों के जरिए हुई उनकी बातचीत से पता चलता है कि वे नशा कारोबारियों से लगातार संपर्क में थे।
मगर अदालत में जब आर्यन खान के वकील ने साक्ष्य पेश करने की मांग रखी, तो एनसीबी अपने पक्ष में कोई पुख्ता सबूत नहीं पेश कर पाया। फिर इस मामले ने तूल पकड़ा और एनसीबी की नीयत पर ही सवाल उठने शुरू हो गए थे। कुछ राजनेता भी आर्यन के पक्ष में खुल कर सामने आ गए। एनसीबी और उसके क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के कामकाज के तरीके को लेकर एक के बाद एक गंभीर आरोप लगने शुरू हो गए। इस तरह एनसीबी की साख ही सवालों के घेरे में आ गई।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि देश के विभिन्न हिस्सों में मादक पदार्थों का कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है और इसकी गिरफ्त में आकर बहुत सारे युवा असमय काल के गाल में समा जाते हैं। पिछले दिनों गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर जिस तरह तीन हजार किलो मादक पदार्थ की खेप पकड़ी गई, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बड़े पैमाने पर भारत में नशे का कारोबार फैला हुआ है। पंजाब जैसे राज्य तो इस समस्या से पार पाने की चुनौती से अभी तक जूझ रहे हैं। मुंबई के फिल्म जगत में बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की खपत को लेकर भी अक्सर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में एनसीबी पर लगातार दबाव रहता है कि वह इस तरह के कारोबार के तार छिन्न-भिन्न करे। मगर आर्यन खान मामले में अब वह खुद सवालों के घेरे में आ खड़ा हुआ है।
आर्यन खान का ताल्लुक चूंकि एक इज्जतदार और रसूखदार अभिनेता से है, इसलिए यह मामला देश और दुनिया भर में चर्चित हुआ, पर देश के अनेक हिस्सों में हजारों युवा नशे की गिरफ्त में पड़ कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं, उनके बारे में किसी को कोई भनक तक नहीं। एनसीबी की जिम्मेदारी उनके प्रति भी बनती है। उन इलाकों में फैले कारोबार को खत्म करने का दायित्व उस पर ही है।
मगर जिस तरह समीर वानखेड़े और उनकी टीम ने क्रूज जहाज पर छापा मारा, उसमें कुछ राजनीतिक संपर्क वाले लोगों को पंच बनाया उससे उसकी निष्पक्षता और कर्तव्यनिष्ठा प्रश्नांकित हुई। फिर शाहरुख खान से भारी रकम वसूलने का भी उन पर आरोप लगा और इसका खुलासा खुद एनसीबी के अपने एक पंच ने किया। वानखेड़े पर तो अब कई गंभीर आरोप लग चुके हैं, सतर्कता विभाग उनकी जांच कर रहा है। पर इससे केवल वानखेड़े नहीं, पूरी एनसीबी की साख धूमिल हुई है और यह सवाल गाढ़ा हुआ है कि सरकारों की चिंता नशे का जाल तोड़ने से कहीं अधिक एनसीबी को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने की है।