त्योहार, मिलावटी मिठाइयां

पर्व-त्योहार भारतीय संस्कृति का प्रमुख हिस्सा हैं। भारत को यदि पर्व-त्योहारों का देश कहा जाए तो

Update: 2021-10-25 04:11 GMT

पर्व-त्योहार भारतीय संस्कृति का प्रमुख हिस्सा हैं। भारत को यदि पर्व-त्योहारों का देश कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। दीपावली खुशियों का त्योहार है। दीपावली की खुशियों को मनाने में मिठाइयों की अहम भूमिका है। दीपावली पर बड़े पैमाने पर लोग घरों में मिठाई लेकर जाते हैं, लेकिन मिलावट के इस दौर में मिठाइयों ने मीठे जहर का रूप ले लिया है। त्योहारों के समय लोग खुशियों को साझा करने लिए एक-दूसरे को मिठाइयों का आदान-प्रदान करने की परंपरा रही है।


मिठाइयों को खाने से पहले सतर्क जरूर हो जाएं क्योंकि ज्यादा मुनाफे के लालच के लिए कई मिठाई विक्रेता नकली सामान के साथ-साथ रासायनिक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक होते हैं। त्योहारों की वजह से अचानक बाजार में दूध, घी और मेवा की मांग कई गुना बढ़ जाती है, लेकिन अचानक मांग बढ़ने से पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती है। ऐसे में कुछ व्यापारी बढ़ती हुई मांग का फायदा उठाते हुए खाद्य पदार्थों में मिलावट का खेल शुरू कर देते हैं जिससे उन्हें चंद पैसों का फायदा मिलता है, लेकिन मिलावटी सामान लोगों की सेहत पर सीधा असर डालता है। बाजार में रंगीन मिठाई की भी खूब भरमार है। इन मिठाइयों के बनाने में रासायनिक रंगों का प्रयोग हो रहा है। रंग-बिरंगी मिठाइयों में कैमिकल होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यूरिया, केमिकल और मिलावटी रंगों के साथ-साथ खराब मेवा से बनी मिठाइयां सेहत के लिए बेहद खतरनाक होती हैं।

इसी के चलते लोगों का मोह मिठाइयों से भंग होता जा रहा है। आजकल ज्यादातर लोग रिश्तेदारी में सूखा मेवा, पैकिंग बंद बिस्कुट और चॉकलेट के गिफ्ट पैक देना पसंद करते हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत एकीकृत खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन का गठन मिलावटी खाद्य पदार्थों की पहचान व मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए किया गया था, लेकिन कार्रवाई खानापूर्ति तक ही सीमित रह गई है। ऐसे में लोगों को ही सचेत रहना है।

-राजीव पठानिया, नूरपुर


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