एक्सपर्ट्स का दावा: ओमिक्रॉन लोगों के लिए एक वरदान, क्या जल्द ही होगा कोरोना महामारी का अंत

ओमिक्रॉन लोगों के लिए एक वरदान

Update: 2021-12-30 08:22 GMT
पंकज कुमार।
देश और दुनिया में कोरोना (Corona) के ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron Variant) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत के कई राज्यों में इस वैरिएंट के बढ़ते मामलों के चलते कई प्रकार की पाबंदियां लगाई जा रही हैं. इस बीच अमेरिका के एक डॉक्टर का दावा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट लोगों के लिए एक वरदान है. यह वैरिएंट वैक्सीन की तरह काम करेगा. जिससे आने वाले समय में कोरोना महामारी का अंत होगा. अमेरिका के डॉक्टर अफशीन इमरानी (Afshine Emrani ) का कहना है कि ओमिक्रॉन सिर्फ एक सामान्य फ्लू की तरह है. यह वैरिएंट जिस रफ्तार से फैल रहा है उस हिसाब से जल्दी ही डेल्टा वैरिएंट को रिप्लेस कर देगा.
चूंकि ओमिक्रॉन से संक्रमित होने वाले अधिकतर मरीजों में काफी हल्के लक्षण हैं. इसलिए यह लोगों को संक्रमित करेगा भी तो उनको कोई परेशानी नहीं होगी. इससे संक्रमित होने पर उनके शरीर में एंटीबॉडी बन जाएगी. इस लिहाज से ओमिक्रॉन एक वैक्सीन की तरह ही काम करेगा. यह लोगों में कोरोना के खिलाफ मजबूत इम्यूनिटी बना देगा. जिससे आने वाले समय में इस महामारी का अंत होगा.
डॉ. का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका से जो डाटा मिल रहा है. उससे पता चलता है कि इन देशों में भले ही केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीज और मौतों के आंकड़ों में इजाफा नहीं हुआ है, जबकि डेल्टा के दौरान काफी लोगों की कोरोना से मौत हो रही थी. इससे पता चलता है कि ओमिक्रॉन डेल्टा से ज्यादा खतरनाक नहीं है. इसलिए इससे घबराना नहीं चाहिए. यह वैरिएंट तो एक आशीर्वाद के रूप में आया है.
डॉक्टर मास्क लगाकर कर सकते हैं मरीजों का इलाज़
ओमिक्रॉन जिस तेजी से फैल रहा है. उसके हिसाब से यह जल्द ही एक बड़ी आबादी को संक्रमित कर सकता है. अगर अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मचारी संक्रमित होते हैं तो 30 से 70 फीसदी स्टाफ को क्वारंटीन नहीं किया जा सकता . ऐसा करने से मरीजों को काफी परेशानी हो सकती है. इसलिए अगर अस्पताल के स्टाफ को ओमिक्रॉन होता भी है तो वह मास्क लगाकर मरीजों का इलाज कर सकते हैं. जैसा कि एक सामान्य जुकाम होने पर किया जाता है. यही रणनीति एयरलाइन में भी अपनानी चाहिए.
सभी लोगों का टेस्ट करने की जरूरत नहीं
डॉ. के मुताबिक, ओमिक्रॉन जल्द ही अधिकतर आबादी को संक्रमित करेगा ही. ऐसे में सबका कोरोना टेस्ट करने का कोई औचित्य नहीं है. सबसे जरूरी यह है कि लोगों को इस वैरिएंट के बारे में जागरूक किया जाए. उन्हें बताया जाए कि किस प्रकार से वह खुद को स्वस्थ रख सकते हैं. उन्हें अच्छी डाइट और विटामिन की जानकारी दी जाए. लोगों को इम्यूनिटी बढ़ाने के तरीकों के बारे में बताया जाए. उनके शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए. पैनिक न फैलाकर सिर्फ इससे बचाव के बारे में जागरुक किया जाए. यह भी जरूरी है कि वैक्सीन के बारे में सही जानकारी दी जाए. लोगों को लगता है कि टीका लगने के बाद उनको संक्रमण नहीं होगा, जबकि ऐसा नहीं है. कभी भी यह दावा नहीं किया गया था कि वैक्सीन लगने के बाद कोरोना होगा ही नहीं. टीका का मकसद बीमारी को गंभीर होने से बचाना है. जिससे अस्पतालों में कम लोग भर्ती हों और मौत के मामलों में कमी बनी रहे.
देश के कोविड एक्सपर्ट्स भी डॉ. इमरानी की बात पर सहमति जताते हैं. एम्स नई दिल्ली के कोविड एक्सपर्ट डॉ. युद्धवीर सिंह का कहना है कि कई बार अधिक म्यूटेशन से वायरस खुद ही कमजोर पड़ने लगता है. ओमिक्रॉन में भी ऐसा ही देखा जा रहा है. इससे संक्रमित होने वाले मरीजों में काफी हल्के लक्षण हैं. अगर भारत में यह वैरिएंट इसी प्रकार रहा तो यह हमारे लिए इम्यूनिटी बूस्टर का काम कर सकता है. ऐसे में यह वैरिएंट एक खतरा नहीं बल्कि लोगों को कोरोना के अन्य किसी वैरिएंट से बचाने का काम करेगा. हालांकि अभी देखना होगा कि भारत में ओमिक्रॉन किस प्रकार से व्यवहार करता है.
सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. जुगल किशोर का कहना है कि देश के बड़े महानगरों जैसे दिल्ली और मुंबई में ओमिक्रॉन फैल चुका है, लेकिन हम देख रहे हैं कि इससे मरीज तीन से पांच दिन में ही ठीक हो रहे हैं. किसी को ऑक्सीजन या आईसीयू की जरूरत नहीं पड़ रही है. ऐसे में अगर ज्यादा से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हुए भी तो कोई खतरा नहीं होगा. हालांकि यह जरूरी है कि लोग कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते रहें.
दक्षिण अफ्रीका के अध्ययन में भी यही बातें आईं थीं
दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अध्ययन किया था. जिसके परिणामों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से शरीर में इम्यूनिटी बन रहा है. जो डेल्टा के प्रभाव को कम कर रहा है. ऐसे में यह जल्द ही डेल्टा को रिप्लेस कर सकता है. अगर ओमिक्रॉन इसी प्रकार से हल्के लक्षणों वाला ही रहा, तो लोगों को इससे खतरा नहीं होगा. इस स्थिति में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या में काफी कमी आएगी. लोगों को सिर्फ सर्दी -जुकाम जैसे लक्षण रहेंगे और और यह महामारी पहले की तुलना में कम घातक रह जाएगी.
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