महंगी थाली
कृषि प्रधान देश में यह सवाल उठना वाजिब है कि आखिर क्यों बढ़ जाती हैं यहां सब्जियों की कीमतें! कभी प्याज के दाम प्रति किलो सौ रुपए के करीब पहुंच जाते हैं तो कभी अन्य सब्जियों के।
Written by जनसत्ता; कृषि प्रधान देश में यह सवाल उठना वाजिब है कि आखिर क्यों बढ़ जाती हैं यहां सब्जियों की कीमतें! कभी प्याज के दाम प्रति किलो सौ रुपए के करीब पहुंच जाते हैं तो कभी अन्य सब्जियों के। अब एक बार फिर से देश के कुछ राज्यों में सब्जियों की कीमतों में उछाल आ गया है। भिंडी का मौसम आ चुका है, लेकिन अभी भी इसकी कीमत देश के बहुत से राज्यों में 50 रुपए किलो से पार हो चुकी है।
नींबू दो से तीन सौ रुपए प्रति किलो हो चुका है। ऐसा ही हाल दूसरी मौसमी सब्जियों का है। उनकी कीमत भी बहुत ज्यादा है, लेकिन देश में उगाई जाने वाली सब्जियों की बढ़ती कीमतों को देख कर तो यह लगने लगा है कि यह कहीं दूर विदेशों से आई है।
कृषि प्रधान देश में सब्जियों की कीमत में बढ़ोतरी के लिए सरकारें बहुत से तर्क दे सकती हैं, लेकिन इसकी असली वजह क्या है, यह जानने की कोशिश सरकारें नहीं करतीं? देश में सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए और इनको उपभोक्ताओं तक सस्ता पहुंचाने के लिए गंभीरता से प्रयास करें तो देश में कभी भी सब्जियों के दाम आसमान न छुएं।
कृषि विशेषज्ञों को बदले मौसम चक्र के अनुसार देश में सब्जियों की पैदावार बढ़ाने के लिए नई तकनीक तैयार करनी चाहिए और सरकार को इस तकनीक को देश के गांव-गांव के किसान तक पहुंचाने के लिए प्रयास करने चाहिए। सरकार को अन्य उन कारणों की तलाश करनी चाहिए जो सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार हैं।