मजबूती की राह पर अर्थव्यवस्था

इसमें कोई संदेह नहीं की पूरी दुनिया में सभी बड़े देशों की अर्थव्यवस्था कोरोना के चलते मंदी झेल रही है।

Update: 2021-09-03 03:01 GMT

आदित्य नारायण चोपड़ा: इसमें कोई संदेह नहीं की पूरी दुनिया में सभी बड़े देशों की अर्थव्यवस्था कोरोना के चलते मंदी झेल रही है। इसीलिए भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कहा जा रहा है कि अब यह फिलहाल कोरोना काल के थपेड़ों से निकलने का प्रयास कर रही है। इसलिए चालू वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में पिछली तिमाही के मुकाबले 20.1 प्रतिशत की वृद्धि एक अच्छी खबर है। विशेषज्ञों ने स्पष्ट कर दिया है कि अर्थव्यवस्था अब पटरी पर आ रही है। क्योंकि 20.1 प्रतिशत की वृद्धि एक खुशनुमा हवा का झोका ही है। अगर देश के लोगों के बारे में बात करें तो यह तय है कि नुक्सान सबने झेला है, लेकिन यह भी सच है कि भारत ने आपदा में अफसरों को तलाश कर अपने आपको मजबूत करने की कोशिश भी है और इसमें सफलता भी मिली है। अर्थव्यवस्था का एक और खुशगवार पहलू है कि हमें भारत के शेयर बाजार की कुलांचे मारती चाल की तरफ रुख करना होगा और उत्तर बहुत आसानी के साथ मिल जायेगा। शेयर बाजार में जिस तरह विभिन्न औद्योगिक से लेकर वित्तीय व वाणिज्यिक कम्पनियों के भाव बढ़ रहे हैं उससे सिद्ध होता है कि इनका व्यवसाय करने वाले लोगों की आमदनी पिछले दो साल में भी बढ़ी है। यह सच है कि कोरोना की मार से त्रस्त इस क्षेत्र की जनता ने अपनी कर्मठता और जीवटता से जीवन की जल तरंगिनी आर्थिक परिस्थितियों में सुधार लाने का प्रयास किया है और यह सिद्ध करने की कोशिश है कि विपरीत परिस्थितियों में भी उनमें आगे बढ़ने का जज्बा है जिसकी वजह से महंगाई की कमरतोड़ मार के बावजूद देहाती कहे जाने वाली जनता अपनी कड़ी मेहनत के बूते पर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के प्रयास कर रही है। बेशक सकल उत्पाद वृद्धि दर 20 प्रतिशत के आसपास पहुंची है परन्तु इसके समानान्तर यह भी ध्यान रखना होगा कि बाजार में मांग में वृद्धि दर्ज नहीं हो रही है अर्थात सप्लाई के मुकाबले खपत अब भी बहुत कम है जिसके बिना अर्थव्यवस्था की 'सरसता' नहीं बनी रह सकती। भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर आज की तारीख में विशेषज्ञ कह रहे हैं की बड़े झटके झेलने के बाद अब हालात सामान्य स्थिति की ओर यह तेजी से बढ़ रही है।संपादकीय :सुपर टेक को सुपर झटकामहक उठा स्कूलों का आंगनतालिबान : भारत का मध्यमार्गखूब मनाई जन्माष्टमी , अब बारी हैं ...हमारे पास पंख हैं!रूस-चीन-पाक त्रिकोण में भारत विगत जुलाई महीने में जीएसटी की राजस्व उगाही एक लाख करोड़  रुपए से अधिक होना यह जरूर बताता है कि संगठित क्षेत्र से लेकर वाणिज्यिक क्षेत्र में कारोबार बढ़ा है। यदि 2020-21 की प्रथम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की गिरावट दर 24 प्रतिशत के करीब थी तो चालू 2021-22 के प्रथम तिमाही में यह 20 प्रतिशत के करीब ऊपर आयी है। इसका मतलब यह हुआ कि हमने पिछले साल 24 गंवाया था उसमें से केवल 20 ही पाया था अर्थात पिछले वर्ष के मुकाबले अभी भी चार प्रतिशत गिरावट ही रही। बड़ी बात यह है कि भारत बराबर संघर्ष कर रहा है और सफल हो रहा है। इसीलिए कहा जा रहा है कि यह कमी तब पूरी होकर समतल से ऊपर आयेगी जब घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 24 प्रतिशत से आगे निकल जाये। अतः हमें अभी आंकड़ेबाजी में न पड़ कर हकीकत की जमीन पर उतर कर अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के उपाय ढूंढने होंगे और यह तब तक नहीं हो सकता जब तक कि बाजार में मांग या खपत न बढे़। खपत तब तक नहीं बढ़ सकती जब तक आम आदमी की आमदनी में इजाफा न हो अर्थात उसकी क्रय शक्ति न बढे़। हम जिस सम्पत्ति नकदीकरण (मोनेटाइजेशन) की बात कर रहे हैं उसका मतलब भी सरकार द्वारा आधिकारिक रोकड़ा उगाहना है मगर इसका उपयोग आम आदमी को आर्थिक रूप से सशक्त करने में होना चाहिए।अगर आंकड़ों की ही बात की जाए तो वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी का आकार 26.95 लाख करोड़ था और उसमें 20.1 प्रतिशत की वृद्धि एक बड़ा सुधार दर्शा रही है। जरा याद ​कीजिए जब देश में लाकडाउन के कारण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियां ठप्प होकर रह गई थीं, लेकिन भारत फिर भी जूझता रहा। अभी 24 घंटे पहले ही जीएसटी का रिकार्ड कलेक्शन जो दूसरे महीने भी एक लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है तो इस पर भी कहा जा सकता है कि भारतीय इकॉनामी धन संग्रह में वृद्धि से बराबर सुधार की राह पर चल निकले हैं। पिछले साल की तुलना में जीएसटी बोनस में 30 प्रतिशत अधिक है, इसे देखकर ही विशेषज्ञ खुश हैं लेकिन हमें यह कामना करनी होगी कि अब आगे बड़ी तीसरी कोरोना लहर न आए और सबकुछ सामान्य गति से चलता रहे तभी भारतीय इकॉनामी सुदृढ़ हो जाएगी। ऐसा समय जल्दी ही आएगा, भारत ने जो प्लान किया वह सचमुच सही दिशा में आगे बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था फिर से मजबूत होगी, ऐसा ​िवश्वास देश और नागरिकों को है और इसी का इंतजार है।

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