कोरोना का खतरनाक वेरिएंट

कोरोना वायरस ने फिर नया रूप धारण कर लिया है। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के जिस नए वेरिएंट का पता चला है जिसे अब तक का सबसे बुरा वेरिएंट बताया जा रहा है।

Update: 2021-11-27 01:00 GMT

आदित्य नारायण चोपड़ा: कोरोना वायरस ने फिर नया रूप धारण कर लिया है। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के जिस नए वेरिएंट का पता चला है जिसे अब तक का सबसे बुरा वेरिएंट बताया जा रहा है। चिंता जताई जा रही है कि नया वेरिएंट इम्यूनिटी से भी बचने की क्षमता रखता है। दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना में अब तक इस नए वेरिएंट के 59 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इसे देखते हुए भारत की चिंताएं और बढ़ गई हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे तीनों देशों से आने या जाने वाले यात्रियों की सख्ती से जांच करें और उनका टेस्ट करें। नए वेरिएंट का म्यूटेशन काफी ज्यादा बताया जा रहा है इसलिए इन देशों से यात्रा करने वाले और ट्रांजिशन फ्लाइट लेने वाले सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्री 'एट रिस्क' श्रेणी का हिस्सा हैं और उनकी कड़ी जांच आैर परीक्षण करना अनिवार्य है। जांच निर्देशों के कारण इन देशों के अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के संपर्कों में आए सभी लोगों की भी ट्रेकिंग और टेस्टिंग जरूरी है। ब्रिटेन आैर इस्राइल ने 6 अफ्रीकी देशों की सभी उड़ानों को निलंबित कर दिया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वेरिएंट चीन के वुहान में पाए गए मूल वायरस से बिल्कुल अलग है। सबके सामने यही सवाल है कि जिन वैक्सीन का उपयोग भारत और अन्य देश इस समय कर रहे हैं इस पर कारगर है या नहीं। लंदन के यूसीएल जेनेरिक्स इंस्टीट्यूट के निदेशक फ्रेंकोइस वॉलौक्स ने कहा है कि वी-1.1529 नामक नए वेरिएंट के बारे में अनुमान है ​कि यह किसी ऐसे एचआईवी या एड्स रोगी जिसका इलाज न हुआ हो, से विकसित हुआ है। इससे पुराने संक्रमण के दौरान विकसित होने की आशंका भी बनी हुई है। यह अनुमान लगाना अभी मुश्किल है कि इस स्तर पर यह कितना संक्रमण फैला सकता है। अब इस वेरिएंट को समझने के लिए कई बिंदुओं पर रिसर्च शुरू कर दी गई है। द​​क्षिण अफ्रीका ने पिछले साल वायरस के बीटा संक्रण का पता लगाया था। अब दक्षिण अफ्रीका ने कई उत्परिवर्तन के साथ नए कोविड-19 संक्रमण का पता लगाया है। महामारी का सबसे अधिक असर दक्षिण अफ्रीका में पड़ा है।कोरोना के नए वेरिएंट का पहला मामला बोत्सवाना में सामने आया था, उसके तीन दिन पहले ही दक्षिण अफ्रीका में इसी तरह के तीन मामले सामने आ चुके थे। वहीं हांगकांग में 36 वर्ष के एक शख्स में कोरोना का नया वेरिएंट मिला था, जोे हांगकांग से दक्षिण अफ्रीका के लिए उड़ान भरने से पहले कोरोना के पीसीआर टेस्ट में नकारात्मक पाया गया था, जहां वह 22 अक्टूबर से 11 नवम्बर तक रहा। उसके बाद हांगकांग लौटने पर परीक्षण कराया तब भी वह नकारात्मक पाया गया था लेकिन 13 नवम्बर के परीक्षण में वह कोरोना के नए वेरिएंट से संक्रमित पाया गया। दुनिया में भले ही कोरोना मामले कम होने के साथ ही तमाम पाबंदिया कम कर दी गई हैं। भारत में पाबंदियां लगभग खत्म ही हैं। लेकिन कोरोना वायरस का नया रूप पूरी दुनिया में कहर बरपा सकता है। कोरोना अभी गया नहीं, वह रूप बदल कर आ सकता है। यदि नए वेरिएंट ने कहर मचाया तो यह कोरोना की तीसरी लहर ही होगी। पहले कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाएं खत्म कर दी गई थीं। इस वायरस से निपटने के लिए अधिक अध्ययन की जरूरत है, जिससे संभावित रूप से एंटीबॉडी से बचने को बेअसर करना भी शामिल है। संपादकीय :भारत बंटवारे का दर्दकांग्रेस से तृणमूल कांग्रेस में !जनसंख्या के मोर्चे पर अच्छी खबरसैंट्रल विस्टा : देश की​कच्चे तेल के वैश्विकदलित युवक प्रिंस को न्याय !भारत में कोरोना से साढ़े चार लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। देश में पिछले 9 दिनों के डाटा को देखेें तो मृत्यु दर में 121 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई है। जयपुर के स्कूल के बच्चे भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं और उत्तराखंड के देहरादून में फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में 11 आईएफएस अधिकारी पॉजिटिव पाए गए हैं। कर्नाटक के धारवाड़ में एमडीएम मेडिकल कॉलेज में 66 छात्र कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अब इन छात्रों के प्राइमरी और सेकेंडरी कान्टैक्ट तलाशे जा रहे हैं। भारत में जैसे ही कोरोना के नए केस कम होने शुरू हुए, राज्यों ने सतर्कता कम कर दी। टेस्टिंग में कमी कर दी गई। अगर टेस्टिंग ही नहीं होगी तो फिर संक्रमण का सही आंकलन कैसे होगा। अब आने वाले महीनों में राज्य विधानसभाओं के चुनाव भी होने वाले हैं। बड़े आयोजनों की शुरूआत अभी से शुरू हो चुकी है। ऐसे में कोरोना से बचाव के उपायों का पालन कैसे होगा, यह सवाल हमारे सामने है। लोगों में अगर अतीत की गलतियों पर मुसीबतों से सबक लेने की सहज प्रवृत्ति होती तो शायद बहुत सी मु​िश्कलों से दुनिया बच सकती थी, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि जब मुसीबत गुजर जाती है तो उस दौरान भुगती गई बातें बिसरा दी जाती हैं। फिर पहले जैसा चलने लगता है। अभी गरीब देशों में केवल 1.4 फीसदी लोगों को ही पूरी तरह से टीका लगाया जा रहा है। महामारी को सामान्य मानकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता। अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है।


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